00:00अबस्कार स्वागत आपका हमारे इस चनल में और आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस्थानी प्रचलित बटेसर
00:10जो की मत्य प्रदेश के मुरेना जले के द्वारा निर्मित लगभग 200 बलुवा पत्थर से बना पोद्य मंदीर वखंडर है
00:21और यहां जो है ग्वालिर के उत्तर में लगभग 35 किल मेटर और मुरेना से शहर से लगभग 30 किल मेटर की दूरी पर है
00:31और यह मंदीर समू उत्तर भारती मंदीर वस्तुकला के शलिक के हैं
00:36और मंदीरों में जायतर छोटे हैं और लगभग 25 एकड हेक्टेर में फैल हूँ हैं
00:43और यह बोदिस्व अब लोग कितेश्वर और शक्ति को समर्पित है
00:51बोद्धर्म के भीतर तीन प्रमुक प्रमपराओं का प्रतिनितु करते हैं यह
00:56और यह स्थाल चंबन लदी घाटी में स्थीर पड़ावली जो कि एक प्रमुक मंदीर के लिए जाना जाता है
01:03और इसके के लिकट एक पहाडी के उत्तर पश्चिव ढ़लान पर बटिश्वर मंदीर आटवी और दसवी सताब्दी के बीच बनाए गए थे
01:13और इस स्थान का नाम इस मंदीर के प्रांगण के सबसे बड़े मंदीर बुतेश्वर मंदीर के नाम पर है और इसे बटेश्वर और बटेशर अथवा बटेशरा के नाम से भी जानाता है
01:28जिन मंदीरों का रूप में बर्दमान में दिख रहे हैं उनमें अधिकांस आपको नजर आएंगे और मत्यप्रदेश के पुरातत्व गुर्जपतिहार राजवंश के शाषनकाल में ये दोशो मंदीरों का ये संभू बनाया गया था
01:45और कला इत्यासकार और भारतिये मंदीर बस्तु कला में इसमें ये बहुत रही अच्छे हैं देख रहे हैं और इस तरह से हमने आपको इस मंदीरों के खुश्रती के बारे में हमने आपको बताया और जैसा कि आपको देख रहा है वीडियो के माद्दम से तो ये जानकारी �