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00:00शम्शान के पाद से में एक बाद निकल रहे थे, हाई स्कूल की दिनों की बात है, हमारे गाहों में बहुत बिजली वगारा नहीं थी, क्या देखते हैं, ताजा ताजा उसमें आप लास चल रहे हैं, तो हम देखें कि एक वहाँ बैठी आउरे तो रो रही है हो आपे, ऐसे स
00:30कौन है कौन जल गया ओओ�वर यह, का है करो रहे हो इतना, क्या है? रही नहीं बता सकते, कौन मर गया, नहीं बता पाईंगे, बहुत कर से दो कहा इतना, गले कम अई खरें, इसल्कनान सान रही है हम और ना पड़ा है हम आपको थे हामारी ओ जोडी बुली हम ही मर गय है।
01:00पूरी उतर गई माने का भईया नहीं जब रात में जाड़े का दिन था आ रहा है था ठंड लग रही थी तो देशी
01:07पूरी उतर गई अब बड़ी तकलीफ होती है बुद्ध क्या बोल गए या आत्मा अगर अगर अगर तुम्हारा चक्कर एकदम शून्य है
01:14तो फिर उजसनी हमने पूरी कहानिया चला रखी है और समसान में जो हमने सब बैठा रखे हैं वहाँ पर उनका क्या होगा ताकि उनको ही तो हमने आत्मा माना है विदान तो हमने समझा नहीं कि समझें कि आत्मा अर्थात वो जो निर्गुण है निराकार है इंद्रिया तीत ह