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  • 7/7/2025
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Transcript
00:00मेरे पिता जी का पंडितों से बड़ा विशेश संबंध था
00:03पंडित उने मिल भर जाए बस
00:05वो खुद भी संस्कृत के विद्वान थे
00:07और पंडित मिला नहीं कि पकड़ लेते थे
00:09कि ये जो भी बूला
00:10जब तुमें इसका उचारण ही नहीं आता है
00:12तो तुमें इसका अर्थ क्या आता होगा
00:13अभी एक दिन बीता है
00:15मेरी माता जी बहुत उस दिन उदास हो रही थी
00:19क्योंकि विशेश दिन था उसमें
00:21पिता जी खुदी बैठ करके
00:23गरंत सुनाते थे मा को
00:24वो खुदी पंडित बन जाते है
00:26खुदी बताते भी थे अर्थ भी करते थे
00:27अब वो दिन अभी बीत किया
00:29भर मैसा होना चाहिए ना
00:31अर्थ पूर्ण एक आदमी को ज्यान देना
00:33जन्म देने के बराबर है
00:35जन्म भी छोटी बात होती है
00:36जन्दगी देने के बराबर है
00:37साधारन तोर पर इमा बनना कितनी मुश्किल का काम होता है
00:40पहले पैदा करो फिर बढ़ा करो पढ़ाओ लिखाओ
00:42जब किसी को आपको मानसिक तोर पर और आत्मिक तोर पर जन्म देना होता है
00:47वो तो बहुत बड़ी बात हो जाती
00:49गुरूशे का रिष्टा इसलिए किसी भी दुनिया के और रिष्टे से उपर माना गया है

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