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  • 7/7/2025

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00:00तो सब लोग अब डॉक्टर इंजिएर बनने से कोई मतलब नहीं है मैं मेरे जीवन का अन्वो बताता हूं मैं 75 में इमर्जेंसी आई तो मैं इमर्जेंसी के खिलाब काम करने लगा तो मुझे उस समय साल मैंने अपना शिक्षा के तरफ ध्यान नहीं दिया और मुझे ग्यार
00:30और साइस ग्रूप में मुझे 49.26% मिले और इंजिरिंग मेरे घर के मेरी मां की मेरे बहनों की सब की इच्छा थी कि मैं इंजिनियर बनू पर महाराष्ट में और देश में इंजिरिंग के इंडिमिशन का नियम ऐसा है कि प्रोफेशनल कॉलेज में कर आपको अडिमिशन च
01:00कि मुझे 7 वर्ड रेकॉर्ड हो गए और मुझे 13 डिलिट्स मिले डॉक्टरेट्स मिले तेरा और उसमें से 6 डॉक्टरेट जो है उक्रूशिम इतने अन्मे मिलिया मैं भी डॉक्टर नाम नहीं लगा था तो मेरे एक मित्र ने पुचा कि वे आपको ये तेरा तेरा डॉक्
01:30तो जीवन के यश के साथ दिग्री नहीं जुड़ी हुई है वालमी की महाराज को कोई डिग्री नहीं मिली थी तुकाराम महाराज को तुकड़जी महाराज को गाडगे महाराज को गजनन महाराज को किसी को डिग्री नहीं मिली थी हमारे अमरहती में एक संद दे गुलाब
02:00पेश पर कौन सी हुई लिखिये वो उनको मुकदगर्थी इतने विद्वान थे और इसलिए जीवन का यशश्वी होना केवल डिग्री हासिल करने से नहीं होता है डिग्री आवश्चक है पर डिग्री के साथ साथ अपने घर में उसको कैसे संस्कार होते वो भी उतने आवश

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