00:00बढ़वानी में हजरत इमाम हुसेन की याद में बनने वाले कलात्मक ताजये प्रदेश भर से वह देश भर में पहचान रखते हैं
00:06यहां स्यासत से चली आ रही ताजयादारी की परमपरा तीनसो से अदिक साल से निर्णतर जारी है
00:11सहर में महरम के दोरान साथ भाईयों और मगरीब का ताजया विशे साकर्षा का केंदर बनता है
00:16रानिपुरा के ताजयदार सलमान साह की परिवार परंपरा 325 साल पुरानी है
00:22उनके परवज वफाती साह से सुरू हुई यह परंपरा पीड़ी दर पीड़ी आगे बढ़ रही है
00:52पीड़ी दर पीड़ी अलग अलग पेगंबर के पास रहा है अभी फिलाल इसकी एसा है कि मज्जिद अक्सा के महापर है इसकी इस्तिति इसके अंदर कई पेगंबरों के निशानिया और इसलाम की बहुत अच्छी चीजे मौजूद है
01:05जैसे मुसा अलग अलग पेगंबरों की निशानिया मोजूद है यह ताबुत हमारे मतलब मुस्लिमों के साथ साथ अन्य धर्मों के लिए बहुत पवित्रवाना जाता है
01:20इसको बनाने में लगबख 20-25 दिन का समय लगता है जिसमें रात रात में ज्यादा काम करते शुरू में उसके बाद जो आखरी का दस दिन महरम करते हैं उसमें पूरे 24 घंटे काम करके इसको तैयार किया आता है
01:39यह कहां कहां से लोगाते हैं हमारे देखने के लिए आसपास के सेहरों बहुत मश्यूर है आई साइट के सभी जीलों से खरवोन बढ़वा सनावाद इधर बनावार कुक्षिधार के भी लोग आते हैं एक बार हमारे यूट्यूब पे जो हम इसका जब से प्रचार होने ल