Train Fare Hike: भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने लंबी दूरी की तमाम यात्री ट्रेनों में किराया (Rail Fare) बढ़ा दिया है। इस पर बहुजन समाज पार्टी (BSP)) की अध्यक्ष मायावती (Mayawati) का बयान सामने आया है। उन्होंने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। आपको बता दें कि रेलवे (Indian Railway) ने अलग-अलग कैटेगरी की ट्रेनों के लिए किराए में इजाफा किया है। इसके तहत अब मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के किराये (Train Fare) में 1 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी की गई है, जबकि AC ट्रेन से यात्रा करने पर ये इजाफा 2 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से लागू होगा। मायावती (Mayawati) का कहना है कि देश के अधिकांश लोग जब महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी से परेशान हैं ,ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ से रेल किराया बढ़ाना आम लोगों के खिलाफ और व्यावसायिक सोच वाला फैसला ज्यादा लगता है।
00:00जैसा कि ये विदित हैं, कि देश के अधिकांस लोग जब जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी वे कमाई घटने आदी की, हर दिन की भूट प्यास तथा गरीबी वे तंगी के तरस्त जीवन की मार से अति पीडी तो दुखी हैं,
00:27तो तब ऐसे में केंद्र सरकार दुवारा देश में रेल का किराया बढ़ाना भी कुल मिलाकर आम जन हिद के जिरुद वे सभीधान के कल्यान कारियू देशे की बजाएर वेवसाइक सोच वाला फैंसला जादा लगता है,
00:49साथ इस सरकार दुवारा राष्ट पर्थम के नाम पर आम जन का जीएस्टी की तरह ही रेलवे के माध्यम से भी दैनिक जीवन पर बोज बढ़ा कर उनका सोचन बढ़ाने की ये परंपरा घोर अनुचित है,
01:11जिस पर सरकार अगर तुरंट पुनर विचार करें तो ये बहतर होगा।
01:19वैसे भी इस समय देश में बढ़ती गरीबी, महंगाई वैस सम्मान जनक, स्ताई, रोजगार के घोर अभाव में परिवार को पालने के लिए अपना घरबार आदी छोड़ कर पलाइन करने की मजबूरी आदी के कारण यहां के करोडों लोगों के लिए ये रेल का सफर को�
01:49बलकि रेल का अतीक कस्टदाई सफर ये आम जरूरत वे मजबूरी है बलकि रेल का यह अतीक कस्टदाई सफर आम जरूरत वे इनकी ये आम जरूरत वे मजबूरी है जिसके तहस सरकार को इनके प्रती वेपारीक नहीं बलकि साहन भूती का कल्यान कारी बरताब जरूर करना
02:19सबी किन से हमेशा अपेक्षा रहती हैं, इसलिए सरकार को केवल अपने फाइदे में वे उससे मुठी भर अमीर वे संपन लोगों की चिंता करते रहने की बजाएं, देश के उन करोडों लोगों की समुचित चिंता करनी चाहिएं, जो रोजगार के अभाव में आत्म सम्मान
02:49पेट भर कर किसी परकार गुजर बसर करने के लिए सरकार की योजनाओं का थोड़ा सा लाब लेने को मजबूर हो रहे हैं, यही कारण है कि देश की अबादी में से लगभग 95 करोड लोग सरकार की कम से कम किसी एक समाधी कल्यान योजना का लाभारती बनने को मजबूर हो �
03:19सन दो हजार पचिस में लगभग चोंसट दसमलव तीन परतिश्यत तक पहुंच गई है
03:27जबकि सन दो हजार सोला में इस संख्या करीब बाइस परतिश्यती थी
03:33किन्तु अंतर रास्ट्रे श्रम संख्थन के इनाक्डों को भी सरकार अपनी उपलब दी बता रहे