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00:00द्रापदी को कोई पाचों से प्रेम था, वो तो वहाँ पर सब को छोड़ छाड़के, करण को ठुकरा करके, अर्जुन के लिए आई थी, सव आसमानों को और तीन जहानों को छोड़के आई तेरे लिए, वो सब छोड़ छाड़के वहाँ पर किसके लिए, करण ने तो वो �
00:30खनुरधर, सरुष्रेश, कुंति वो आके बोलती पांचो बाटलो, आपको कैसा लगे? आपका फेर है, और आप वहाँ घर जाये कहाजा, यह चार बड़े भाई है, बाटलो, प्रेम से उपर यहाँ भी किसको रख दिया? कुंति को प्रेम समझ महीं नहीं आया जीवन पर, न