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00:00स्चेल
00:02प्रोका
00:04यजे
00:07सरो
00:08वेखल
00:10वेखल
00:14शें
00:18मेरा
00:20क्या से ओतों
00:22सेंट
00:24सब्सक्वा
00:26थाव कार या रारा टीजारी है, बाबा मुझे सर्फ एक मौका दे दे, ये जब रग अटू इनकी माह इसन दा होती है?
00:41अध्य सब्सक्रान कि तरा मिलो के मादेक तो नही है, लेकन देखना हमारी दोगलती है, बाबजी.
00:45जान्ते हो ना हम कुछ नहीं कर सकते ती लिए शेर बने फिर रहे हो जाके बुला कि अथर करना है सब कुछ
00:51पीसले में को हाँ
00:53लिए भी गूर लोग ये तो बरत अची बात है
00:56इपे 속लारा हूआ हिसमी मेरे सर में दर्द को भسمा यहने कमार है
01:05जार्म साथ जो काँ जो कि मैं भी ले रहा हूँ लेहो अपकी लें आपकी
01:06को भी तेज होता है कभी हल्का साथ ये खड़ीता हुआ यह जाके भुलाह लाओना उसको जिसको ताया जी ने शेर बनाया था
01:13क्यों पागल खानी की देवानों ते खुर्रा पुरा के अपना सर बीटे रहे
01:17उनका मिला तो आपका ऐसान जरूर था आगी
01:20आज पता चला है
01:25कि कॉकरो छेर से भी दादा खतर्नाग हो
01:43हुआए जिए बढ़ा हुआए भी दादाही कि दो जाए भी जाए भी दो
02:03अबार दे जाए शाबाष पर जाए शाबाष
02:13बार बार तुम्हें देखने को तुमसे मिलने को करता है
02:19ये बेचानी बेता भी मेरी समझ से बाहर है
02:23अब तुम्हारे बारे में सोचता हूँ तुम दिल की धड़का नित्यस हो जाती है
02:28मुझे साफ साफ सुना ही देती है
02:30तुम्हें तु इस बात की भी खबर नहीं कि मैं
02:35तुम्हारे लिए कितना बेकरार
02:38मसब तु दिल की यही असरते दूआ
02:55कि तुमसे मिल के तुम्हे अपना बनाना है
03:00तुम्हें तुम्हें इनी फीलिंग्स कभी पता नहीं होगा
03:04अगर वो कहते हैं न
03:08कि अगर नियत सची हो तो मकसद हासिल हो ही जाता है
03:12मैं तुम्हारे इंतिसार करूंगा
03:30क्या पैर खोलूं
03:44क्या पैर खोलूं
03:54वाश्रूम
03:58अच्छा
04:02अच्छा
04:06अच्छा
04:08पैरट आए
04:14अच्छा
04:16अच्छा
04:22अच्छा
04:28पैर वा
04:33अच्छा
04:36अच्छा
04:42अच्छा
04:47अच्छा
04:52पहाँ नहीं नहीं कियो ममा मेरे पार सुन हो गाया है
05:11परेशान मत हूँ आज डॉक्टर रंगून वाला आएंगे ना तु उनको बतायेंगे आए
05:17वो एक दवार एट कर देंगे एक वक्त में पंदरा पंदरा टैबलेट्स खानी पर रही है
05:28बस ममा मत थक गया हुआप
05:58में अपने मा के बाप को कुछ कहाए जो इसी यूनिस्टी में विजिटिंग प्रोपेसर भर कराता है
06:05वो नजमों में डूबा रहता है और इसकिसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता
06:09अलीना और हारिस के पेले मुलाकात एक लेक्चर के दवरान होती है
06:13नजम अलिने इसके नजमों के मफूम पर सवाल कर दे
06:15वो सवाल जो शायद खुद हारिस ने भी खुट से कभी नहीं के
06:19पहले तो हारिस को अलीना के बातों से चल होती है
06:22लेकिन वक्त के साथ साथ इसकी बिसाख तगी मुस्किराहित और सवालाथ हारिस के दिल के बंद अर्वाज़ को कोलने लगता है
06:31रब्ता रब्ता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते है
06:33अगर महबत के इजहार कभी नहीं होता
06:36कहानी इस मौल पर पहुंचती है
06:38जब अलेना एको एक खतनाक बिमारी लाहिक हो जाती है
06:41और वो हारिस को बताए बगए युनिवस्टी चोड़ दीती है
06:45उससे एक खत चोड़ कर जिसमें वो लिखती है
06:48मौत को लब्जों की नहीं दुआई की जरूरत होती है
06:51अगर मैं वापस ना सकी तो मुझे अपने किसी नजम में जिन्दा रख लेना
06:55हर इस बिचेने से हर रोज उसे तलाश करता है
06:58वो शेहर हस्पिताल हर जगा जाता है
06:59लेकिन अलेना कहीं नहीं मिलती
07:02दोह सालवाद उनिस्टिम एक नहीं नुमाईश होती है
07:04जिसके इन्वान है यादो का मुसम वाएक पेंटिंग होती है
07:07बारिश में बेगते एक लड़की और नेचल लिक्या होता है
07:10वो जो आँखों से बोलती थी
07:12अर इस पेचान लेता है ये अलीना है
07:14पेर चान नुमाईश के कोने में वही मुस्किराट वही निगाए अलेना वापस आ जाती है
07:20सेहतमन मगर खामोश इस बारहार इस खुद चल कर जाता है
07:24और कहता है अब की बार सिर्फ नजब नहीं पोजित जिन्दगी लिकोंगा तुमें लेकर
07:29इस रामसल के हवाले से आप भी अपने राया की जाहर लाजबी कमेंट करें
07:32साथ में हमरे योटूब का चैनल सबस्क्राइब का नमत बुलिए है
07:35तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफ़ज
07:37इस रामसल की इस किस्के आगाद में आप देखेंगे
07:40अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुश्किरादी मगरांद से दुभी लिड़की है
07:44जो कराजी के एक मशहूर योटूब योटूब की तालवा है
07:48वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है
07:51एक एसा हमसल पर जो इसके खामोशी को समझे
07:53और इसके आंकों में चुपे दर्द को पड़ सके
07:57हारीस एक संजीदा
07:58हारीस एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इनसान
08:01चंज साल पेले एक हादसे में अपने माँ के बाप को कुछ कहा है
08:04जो इसी उन्वर्टी में वेजिटिंग प्रोपेस्टर भर कराता है
08:08वो नजमों में डूबा रहता है
08:10और इसकिसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता
08:13अली ने और हारीस के पहले मुलाकात एक लेक्चर के दवरान होती है
08:16निवर्टी ने इसके नजमों को मभूम पर सवाल कर दे
08:19वो सवाल जो शायद खुद हारीस ने भी खुद से
08:38जबत के इज़ार कभी नहीं होता कहानी इस मोर पर पहुंचती है
08:41जब अलीना एक और खुद नाक बीमारी लाहिक हो जाती है
08:45और वो हारीस को बता है बगए युनिवर्टी चोड़ दीती है
08:48उसे ख़त चोड़ कर जिसमें वो लिखते है मौत को लबजों की नहीं
08:52दुआई की ज़रूरत होती है अगर मैं वाफस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजब में जिम्दा रख लेना
08:58हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है वो शेहर हस्पिताल हर जगा जाता है
09:03लेकिन अलीना कहीं नहीं मिलती
09:05दोह साल बाहर उनिस्टी में एक नहीं नुमाईश होती है जिसके नवान है यादो का मुस्वाइक पेंटिंग होती है
09:11बारिश में बेगते है एक लड़की और नेचल लिक्का होता है वो जो आँखों से बोलती थी
09:16हरी इस पेचान लेता है ये अलीना है पेचान नकर नुमाईश के कोने में वही मुस्किराट वही निगाए अलीना वापस आ जाती है
09:24सियतमन मगर खामोश इस बारहार इस खुद चलकर जाता है और कहता है अब की बार सिर्फ नजब नहीं पोई जिन्दगी लिकोंगा तुमें लेकर इस रामसल के हवाले से आप इपने राए की जाहर लाज़मी कमेंट करे साथ में हमरे येटूब का चैनल सबस्क्राब करना
09:54पाई है एक एसा हमसा पर जो इसके खामोशी को समझे और इसकी आंकों में चुपे दर्द को पड़ सके हारे से एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इंसान चंद साल पेले घासे में अपने मा के बाप को कुछ कहा है जो इस ही उन्वर्टी में वेजिटिंग प्रोपेस
10:24खाल इसने भी खुछ से कभी नहीं के पहले तो हारिस को अलियना के बातों से चल होती है लेकिन वक्ते साथ साथ इसकी बिसाखत तकी मुस्किराहित और सवालात हारिस के दिल के बंद रवाजु को कोलने लगता है रबता रबता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते हैं अ�
10:54जिसमें वो लिखते है मौत को लबजों की नहीं दुआए की जरूरत होती है अगर मैं वावस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजम में जिन्दा रख लेना हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है वो शेहर हस्पिताल हर जगा जाता है लेकर अलियना कहीं नहीं मिलत
11:24कोने में वही मुस्किराट वही निगाया लेना वापस आ जाती है सेहतमन मगर खामोश इस बारहार इस खुद चलकर जाता है और कहता है अब की बार सिर्फ नजम नहीं पोजित जिन्दगी लिकोंगा तुमें लेकर इस रामसल के हवाले से आप इस अपने राय की जाहर ला
11:54लेक्चर के दालवा है वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है एक एसा हमसा पर जो इसके खामोशी को समझे और इसकी आंकों में चुपे दर्द को पड़ सके हार इस एक संजीदा हार इस एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इंसान चंद साल पेले गासे में अ�
12:24लेवली ने इसके नजब कम भूम पर सवाल करते है वो सवाल जो शायद खुद हार इस ने भी खुझ से कवी नहीं के है पहले तो हार इसको अले ने के बात उसे चल होती है लेकर वक्त के साथ साथ इसकी बेसाखत तक ही मुस्किराहिट और सवालात हार इसके दिल के बंद �
12:54आए बगए युनिवस्टी चोड़ दीती है उसे एक खत चोड़ कर जिसमें वो लिखते हैं मौत को लबजों की नहीं दौाई की जरूरत होती है अगर मैं वावस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजम में जिन्दा रख लेना हर इस बिचेने से हर रोज उसे तलाश करता है व
13:24जान लेता है यह अलीना है पर चाहना कर नुमाईश के कोने में वही मुझे निगाए अलेना वापस आ जाती है सियतमन्द मगर खामोश इस बारहार इस खुद चलकर जाता है अब की बार सिर्प नजब नहीं पोजिए लिकोंगा तुमें लेकर इस रामसल के हवाले से आप
13:54जो ही लिलकी है जो कराजी के एक मशूर यूनिवस्टी में लिटरेचर की दालवा है वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है एक एसा हमसपर जो इसके खामोशी को समझे और इसकी आंकों में चुपे दर्द को पड़ सके हार इस एक संजीदा हार इस एक संजीदा कम
14:24अलीन और हार इसके पेले मुलाकात एक लिक्चर के दोरान होती है निव अलीन नी इसके निजम क Penn Simple पर सवाल कर दे वहाब जो शायद हो शायद खुद खुद से कवी नहीं कि पेले तो हार इसको अलीन कि बातों से चल होती है लेकिन वoga के साथ साथ इसकी बिसाथ तकी मु�
14:54हमारी लाहिक हो जाती है और वो हारिस को बता है बगए युनिवस्टी चोड़ दीती है उसे एक खत चोड़ कर जिसमें वो लिखती है मौत को लबजों की नहीं दुआई की जरूरत होती है अगर मैं वावस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजम में जिन्दा रख लेना हर इस
15:24लिक्या होता है वो जो आंकों से बोलती थी खरीस पेचान लेता है यह अलीना है पेचान ना कर नुमाईश के कोने में वही मुस्किराट वही निगाया लेना वापस आ जाती है सेहतमन मगर खामोश बाहर हार इस खुद चलकर जाता है और केता है अब की बाहर सिर्प नजम
15:54अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुस्किराटी मगर अंदर से दुभी लिड़की है जो कराजी के एक मशहूर यूनिवस्टी में लिटरेचर की दालवा है वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है एक एसा हमसपर जो इसके खामोशी को समझे और इसकी आंकों में च�
16:24करता है और इसके सी किज़बात बारना पसंद नहीं करता अलीना और हारिस की पेले मुलाकात एक लेक्चर के दवरान होती है निवड़ी ने इसके नजम को मभूम पर सवाल करते हैं वो सवाल जो शायद खुद हारिस ने भी खुच से कभी नहीं के पहले तो हारिस को अलीन
16:54ता कहानी इस मोड़ पर पहुंचती है जब अलेना एक और खतरनाक बीमारी लाहिक हो जाती है और वो हारिस को बता है बगए युनिवस्टी चोड़ दीती है बसे खत चोड़ कर जिसमें वो लिखती है मौत को लबजों की नहीं दौाई की जरूरत होती है अगर मैं वावस न
17:24एक पेंटिंग होती है बारिश में बेगते एक लड़की और नेचर लिक्का होता है वो जो आंकों से बोलती थी अर इस पेचान लेता है ये अलीना है पेचान नकर नुमाईश के कोने में वही मुस्किराट वही निगाए अलीना वापस आ जाती है सियतमन मगर खामोश इस
17:54इस रामस सीरियल की इस किसी आगाद में आप देखेंगे अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुस्किराटी मगर अंदर से दोही लिलकी है जो कराजी के एक मशहूर यूनिवस्टी में लिटरेचर की दालवा है वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है एक एसा हमसपर �
18:24वेजिटिंग प्रोपेसलबर कराता है वो नजमों में डूबा रहता है और इस किसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता अलीना और हारिस के पहले मुलाकात एक लेक्चर के दवरान होती है निवली ने इसके नजमों के मभूम पर सवाल कर दे वो सवाल जो शायद खुद
18:54है बन जाते हैं अगर महबत के इजहार कभी नहीं होता कहानी इस मोड़ पर पहुंचती है जब अलीना एक और एक खतनाक बीमारी लाहिक हो जाती है और वो हारिस को बता है बगहर इस चोड़ दीती है उससे एक खत चोड़कर जिसमें वो लिखते है मौत को लबजों की नह
19:24युनिस्ट्रिम एक नहीं नुमाइश होती है जिसके इनवान है यादों का मुसम वह एक पेंटिंग होती है बारिश में बेगते है एक लड़के और नेचल लिखका होता है वो जो आंखों से बोलती थी खर इस पेचान लेता है यह अलीना है पेचान नक नुमाइश के कोन
19:54साथ में हमारे यूटूब का चैनल सबस्क्राइब का ना मत बूलिए है तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफिज
19:58इस रामा सीरियल की इस किस्कागाद में आप देखेंगे अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुश्किरादी मगरांदा से दोही लिड़की है जो कराजी के एक मशहूर यूनिवस्टी में लिटरिचर की दालवा है वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है एक एसा हमसपर
20:28कराता है वो नजमों में डूबा रहता है और इसकिसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता अलीना और हारिस के पहले मुलाकात एक लेक्चर के दवरान होती है निवली ने इसके नजमों को मभूम पर सवाल करते हैं वो सवाल जो शायद खुद हारिस ने भी खुद से खव
20:58करते हैं अगर मुहबत के इजहार कभी नहीं होता कहानी इस मोड पर पहुंचती है जब अलीना एक और एक खतनाक बीमारी लाहिक हो जाती है और वो हारिस को बता है बगए युनिवर्स्टी चोड़ दीती है बसे एक खत चोड़कर जिसमें वो लिखते है मौत को लबजों
21:28नहीं नुमाईश होती है जिसके इन्वान है यादो का मुसम वहाएक पेंटिंग होती है बारिश में बेगते है एक लड़के और नेचल लिक्का होता है वो जो आंकों से बोलती थी अर इस पेचान लेता है ये अलीना है पेचान नकर नुमाईश के कोने में वही मुस्किर
21:58और ये टूब का चैनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए थैंक्स पर वाचिंग अलाहाफिस इज्रामस सीरियल की इस किसके आगाद में अब देखेंगे अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुस्किरादी मगरांदर से दोही लिड़की है जो कराजी के एक मशहूर यूनिवस्
22:28को कुछ कहाए जो इसी यूनिस्टी में वेजिटिंग प्रोपेसलेबर कराता है वो नजमों में डूबा रहता है और इसकिसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता अलीना और हारिस के पहले मुलाकात एक लेक्चर के दवरान होती है निवली ने इसके नजमों के मभूम प
22:58को कौलने लगता है रप्ता रप्ता दोनों एक दूसी के साहे बन जाते हैं अगर मुहबत के इज़ार कभी नहीं होता कहानी इस मौर पर पहुंचती है जब लेना एक और एक खतनाग बिमारी लाहिक हो जाती है और वो हारिस को बता है बगहर इस उन्वर्षिटी चोल देत
23:28लेकर अलेना कहीं नहीं मिलती दोह साल बाहर युनिस्टी में एक नहीं नुमाईश होती है जिसके इन्वान है यादों का मुस्वाइक पेंटिंग होती है बारिश में बेगते एक लड़की और नेचल लिक्या होता है वो जो आंकों से बोलती थी हर इस पेचान लेता है य
23:58होले से आप अपने राए की जार लाजमी कमेंट करें साथ में हमरे यूटूब का चैनल सबस्क्राइब का नहीं मत बुलिए है थैंक्स पर वाचिंग अलाहाफिज इस ड्रामस सीरियल की इस किस्के आगाद में आप देखेंगे अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुश्किर
24:28दिल से नरम इनसान चंद साल पे लेगासे में अपने माँ के बाप को कुछ कहा है जो इसी यूनिस्टी में वेजिटिंग प्रोपेसल भर कराता है वो नजमों में डूबा रहता है और इस किसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता अलीना और हारिस के पहले मुलाकात एक �
24:58मुस्किराहिट और सवालात हारिस के दिल के बंद दर्वाज़ों को कोलने लगता है रप्ता रप्ता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते हैं अगर मुहबत के इज़ार कभी नहीं होता कहानी इस मौर पर पहुंचती है जब लेना एक और एक खरतनाग बिमारी लाहिक हो ज
25:28इसे हर रोज इसे तलाश करता है वो शेहर हस्पिताल हर जगह जाता है लेकर अलीना कहीं नहीं मिलती दोह साल वाद यूनिस्टी में एक नहीं नुमाईश होती है जिसके इन्वान है यादो का मुस्वाइक पेंटिंग होती है बारिश में बेगते एक लड़की और नेचर
25:58अब नजब नहीं पोजिए लिकोंगा तुमें लेकर इस रामसिल के हवाले से आप इस अपने राय की जाहर लाजबी कमेंट करें साथ में हमरे यूटूब का चैनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए है तैंक्स पार वाचिंग अलाहाफेज इस किसके आगाद में देखेंग
26:28पड़ सके हारी से एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इंसान चंद साल फेले गासे में अपने मा के बाप को कुछ कहाए जो इसी यूनस्टी में वेजिटिंग प्रोपेसर भर कराता है वो नजब में डूबा रहता है और इस किसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता
26:58के साथ साथ इसकी बिसाख तगी मुस्किराहिट और सवालाथ हारी से दिल के बंद रवाजु को कोलने लगता है रब्ता रब्ता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते हैं अगर महबत के इज़ार कभी नहीं होता कहानी इस मोड़ पर पहुंचती है जब अलीना एको एक खत
27:28अपने किसी नजम में जिन्दा रख लेना हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है वो शेहर हस्पिताल हर जगा जाता है लेकर अलीना कहीं नहीं मिलती दोह सालवाद में एक नहीं नुमाईश होती है जिसके इन्वान है यादो का मुसम वह एक पेंटिंग होती है ब
27:58बारहार इस खुद चलकर जाता है और कहता है अब की बार सिर्फ नजम नहीं पोजित जिन्देगी लिकोंगा तुम्हें लेकर इज्रामस सीरियल की इस किस्के आगाद में आप देखेंगे अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुश्किराती मगरांदा से दोहीं लिड़की है
28:28मौशी को समझे और इसकी आँखों में चुपे दर्द को पड़ सके हारिस एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इनसान चंद साल फेले एक हादसे में अपने माँ के बाप को कुछ कहा है जो इसी उन्वर्टी में वेजिटिंग प्रोपेसल भर कराता है वो नजमों में �
28:58के है पहले तो हारिस को अलियना के बातों से चल होती है लिगन वक्त के साथ साथ इसकी बिसाखत तगी मुस्किराहिट और सवालाथ हारिस के दिल के बंद दर्वाजु को कोलने लगता है रप्ता रप्ता दोनों एक दुसी के साहे बन जाते हैं अगर महबत के इजहार कभी
29:28दुआई की जरूरत होती है अगर मैं वावस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजम में जिन्दा रख लेना
29:33हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है वो शेहर हस्पिताल हर जगा जाता है लेकिन अलीना कहीं नहीं मिलती
29:40दोह साल बाहर युनिस्टी में एक नहीं नुमाईश होती है जिसके इन्वान है यादो का मुसम वाएक पेंटिंग होती है बारश में बेगते एक लड़की और नेचर लिक्का होता है वो जो आँखों से बोलती थी
29:51हर इस पेचान लेता है ये अलीना है पेचान नुमाईश के कोने में वहीं मुस्किराट वहीं निगाए अलीना वापस आ जाती है
29:59सियतमन मगर खामोश इस बारहर इस खुद चलकर जाता है और कहता है अब की बार सिरियल की इस किसके आगाद में आप देखेंगे
30:19अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुस्किराटी मगर अंदर से दोही लिलकी है जो कराजी के एक मशहूर यूनिवस्टी में लिटरेचर की दालवा है
30:26वो बच्पन से एक ही खुआप देखती आई है एक एसा हमसपर जो इसके खामोशी को समझे और इसके आंगों में चुपे दर्द को पड़ सके
30:35हारीस एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इंसान चंद साल फेले एक हादसे में अपने माग के बाप को कुछ उता है
30:43जो इस ही उनस्टी में वेजिटिंग प्रोपेसर भलकर आता है वो नजमों में डूबा रहता है और इसकिसी के जजबाद बारना पसंद नहीं करता
30:51अलीना और फार्णी पहले मुलाकात ऐक लेक्चर के दबरान होती है और अलीना उसके निजमों कम भ्वह भूम पर सवाल करती है
30:58वो सवाल जो शायद खुद हारिस ने भी खुज से कम नहीं किये है
31:02पहले तो हारीज को अलीना के बातों से चल होती है
31:04अलिगन वक के साथ साथ इसकी बिसाख तगी
31:07मुझकिराहित और सवालाथ हारीज के दिल के बंद रवाजु को कोलने लगता है
31:13रब्ता रब्ता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते है
31:16अगर महबत के इजहार कभी नहीं होता
31:19कहानी इस मोड पर पहुंचती है
31:20जब अलिगन एको एक खतरनाग बिमारी लाहिक हो जाती है
31:24और वो हारीज को बता है बगए युनिवस्टी चोड़ दीती है
31:27उसे एक खत चोड़ कर जिसमें वो लिखती है
31:30मोड को लबजों की नहीं दुआई की ज़रूरत होती है
31:33अगर मैं वापस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजब में जिन्दा रख लेना
31:37हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है
31:40वो शेहर हस्पिताल हर जगह जाता है
31:42लेकर अलेना कहीं नहीं मिलती
31:44दोह साल वाद में निस्टी में एक नहीं नुमाईश होती है
31:47जिसके इन्वान है यादो का मुझे मुझे वाएक पेंटिंग होती है
31:50बारश में बेगते एक लड़की और नेचे लिका होता है
31:53वो जो आंकों से बोलती थी
31:55अरे इस पेचान लेता है ये अलीना है
31:57पेचान नुमाईश के कोने में वही मुझे निगाए अलीना वापस आ जाती है
32:02सेहतमन मगर खामोश इस बारहार इस खुद चल कर जाता है
32:06और कहता है अब की बार सिर्फ नजब नहीं पोजिए लिकोंगा तुम्हें लेकर
32:11इजरामस सीरियल के हवाले से आप भी अपने राए की जाहर लाजबी कमेंट करें
32:15साथ में हमरे यूटूब का चैनल सबस्क्राइब का ना मत बुलिए है
32:17तेंक्स पर वाचिंग अला हाफ़ेज इजरामस सीरियल की इस किस्के आगाद में आप देखेंगे
32:22अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुश्किरादी मगरांद से दुभी लिड़की है
32:26जो कराजी के एक मशहूर यूनिवस्टी में लिटरिचर की दालवा है
32:30वो बच्पन से एक ही खुआप देखती आई है
32:33एक एसा हमसपर जो इसके खामोशी को समझे
32:36और इसकी आँखों में चुपे दर्द को पड़ सके
32:39हारीस एक संजीदा
32:40हारीस एक संजीदा कम गुम अगर दिल से नरम इनसान
32:43चंद सालवे लेगासे में अपने माँ के बाप को कुछ कहा है
32:46जो इसी उनस्टी में विजिटिंग प्रोपेस्टर भर कराता है
32:50वो नजमों में डूबा रहता है
32:52और इसकिसी के जजबात बारना पसंद नहीं करता
32:55अलीना और हारिस की पेरे मुलाकात एक लेक्च्चर के दवरान होती है
32:59वो इनस्टी ने इसके नजमों कुम भी भूम पर सवाल करती है
33:01वो सवाल जो शायित खुद हारिस ने भी खु़द से कवी नहीं के
33:05पहले तो हारिस को अलीना के बातों से चल होती है
33:08लेकिन वक्त के साथ साथ इसकी बिसाख तकी मुस्किराहिट और सवालाथ हारिस के दिल के बंद दर्वाजु को कोलने लगता है
33:17रब्ता रब्ता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते हैं
33:19अगर महबत के इजहार कभी नहीं होता
33:22कहानी इस मोड़ पर पहुंचती है
33:24जब अलेना एको एक खतनाज बीमारी लाहिक हो जाती है
33:27और वो हारिस को बताए बगए है यूनिवस्टी चोड़ दीती है
33:31बसे एक खत चोड़ कर जिसमें वो लिखती है
33:33मुद को लब्जों की नहीं दुआई की जरूरत होती है
33:37अगर मैं वापस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजब में जिन्दा रख लेना
33:40हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है
33:43वो शेहर हस्पिताल हर जगह जाता है
33:45लेकर अलेना कहीं नहीं मिलती
33:48दोह साल वाहिए उनिवस्टी में एक नहीं नुमाईश होती है
33:50जिसके नवान है यादो का मुसम वह एक पेंटिंग होती है
33:53बारिश में बेकते एक लड़के और नेचर लिक्का होता है
33:56वो जो आंकों से बोलती थी
33:58अर इस पेचान लेता है ये अलीना है
34:00पेर चान नुमाईश के कोने में वही मुस्किराट वही निगाया लेना वापस आ जाती है
34:06सियतमन मगर खामोश इस बारहार इस खुद चलकर जाता है
34:10और कहता है अब की बार सिर्फ नजब नहीं पोजिए जिन्दगी लिकोंगा तुमें लेकर
34:15इस ड्रामस सिर्यल के हवाले से आप ये अपने राय की जाहर लाजबी कमेंट करें
34:18साथ में हमरे ये टूब का चैनल सबस्क्राब करना मत बूलिए
34:21तेंक्स पर वाचिंग अला हाफ़ेज
34:22इस ड्रामस सीरियल की इस किस के आगाद में आप देखेंगे
34:26अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मस्किराती मगरांद से दूही लिलकी है
34:30जो कराजी के एक मशहूर यूनिवस्टी में लिटरेचर की दालवा है
34:33वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है
34:36एक एसा हमसपर जो इसके खामोशी को समझे
34:39और इसके आँखों में चुपे दर्द को पड़ सके
34:42हारीस एक संजीदा
34:44हारीस एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इंसान
34:46चंद साल फेले एक हादसे में अपने माग के बाप को कुछ उता है
34:50जो इसी उनिस्टी में वेजिटिंग प्रोपेस्टर भर कराता है
35:09हारीस को अलियने के बातों से चल होती है
35:11लेकिन वक के साथ साथ इसकी बिसाख तगी
35:14मुस्किराहिट और सवालाथ हारीस के दिल के बंद रवाजु को कौलने लगता है
35:20रप्ता रप्ता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते है
35:23अगर मुहबत के इजहार कभी नहीं होता
35:26कहानी इस मोड पर पहुंचती है
35:27जब अलियना एको एक खतरनाग बिमारी लाहिक हो जाती है
35:31और वो हारीस को बता है बगए युनिवस्टिटी चोड़ दीती है
35:34उसे एक खत चोड़ कर जिसमें वो लिखती है
35:37मुद को लबजों की नहीं दुआई की जरूरत होती है
35:40अगर मैं वापस ना सकी तो मुझे अपनी किसी नजब में जिन्दा रख लेना
35:44हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है
35:47वो शेहर हस्पिताल हर जगह जाता है
35:49लेकर अलियना कहीं नहीं मिलती
35:51दोह साल बाहर उनस्टी में एक नहीं नुमाईश होती है
35:54जिसके इन्वान है यादो का मुसम वाएक पेंटिंग होती है
35:57बारिश में बेगते एक लड़के और नेचे लिका होता है
36:00वो जो आँखों से बोलती थी
36:02अर इस पेचान लेता है ये अलियना है
36:04पेर चान नुमाईश के कौने में वही मुस्किराट वही निगाया लेना वापस आजाती है
36:10सेहतमन मगर खामोश इस बारहार इस खुद चल कर जाता है
36:13और कहता है अब की बार सिर्फ नजब नहीं पोजित जिन्दगी लिकोंगा तुमें लेकर
36:18इस रामसल के हवाले से आप भी अपने राया की जाहर लाजबी कमेंट करें
36:22साथ में हमरे योटूब का चैनल सबस्क्राइब का नमत बुलिए है
36:24तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफ़ज
36:26इस रामसल की इस किस का गाद में आप देखेंगे
36:29अलीना एक खुश मिजाज हस्ती मुश्किरादी मगरांदर से दुही लिलकी है
36:33जो कराजी के एक मशहूर योटूब की दालवा है
36:37वो बच्पन से एक ही खवाब देखती आई है
36:40एक एसा हमसल पर जो इसके खामोशी को समझे
36:43और इसके आँकों में चुपे दर्द को पड़ सके
36:46हारीस एक संजीदा
36:47हारीस एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इनसान
36:50चंद साल फेले एक हादसे में अपने माग के बाप को कुछ कहा है
36:54जो इसी उन्वर्टी में वेजिटिंग प्रोपेस्टर भर कराता है
37:13हारीस को अलेने के बातों से चल होती है
37:15लेकिन वक्त के साथ-साथ इसकी बिसाखत तगी
37:17मुस्किराहित और सवालाथ हारीस के दिल के बंद दरवाजु को कोलने लगता है
37:24रप्ता रप्ता दोनों एक दुस्य के साहे बन जाते है
37:26अगर मुहबत के इजहार कभी नहीं होता
37:29कहानी इस मोड पर पहुंचती है
37:31जब लेना एक और खतनाज बीमारी लाहिक हो जाती है
37:34और वो हारीस को बताए बगए इस उन्वरस्टी चोड़ दीती है
37:38बसे खत चोड़ कर जिसमे वो लिके

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