00:02ऐसा क्या था जो आपको अपने राज्य में और महल में और पत्नी के साथ नहीं मिल जाता
00:07जिसको खोजने के लिए आप जंगल गए और बुद्ध चुप रहे जवाब नहीं दिये
00:11कुछ है ऐसा जो शहर में पतनी के सामने रिष्टेदारों के सामने सबकी उमीदों अपेक्षाओं का आदर करते हुए नहीं करा जा सकता है
00:21रिष्टा पुरुष और स्त्री का हो तो प्रक्रति का होता है पती और पतनी का हो तो समाज का होता है
00:26स्त्री को छोड़ कर नहीं गए थे, पत्नी को छोड़ कर गए थे
00:29और लंबा चोड़ा वो काल था एक, दस वर्ष, पंदरा वर्ष, भटक रहे हैं
00:33आपके लिए तो बुद्ध वही हैं, वो दिवरिक्ष के नीचे बैठे हुए हैं
00:37अधमुदी आखे, शांत चहरा, उसके पीछे की थड़ प्रयोग, चोप, नामने देखी हैं, नाम देखना चाहते हैं
00:43पंदरा साल तक जंगल में क्या वैसे बैठे रहे होंगे, चीखे होंगे, चिलाएं होंगे, खून बहाया होगा
00:48समाज तो हमारे भीतर घुस जाता है, हाड मास खून बन जाता है, समाज को अपने भीतर से निकाल कर फेकना असान नहीं होता है, वही प्रयोग करने के लिए जंगल जाना पड़ता है