Story Behind Offering Neem To Lord Jagannath: जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) का शास्त्रों में विशेष महत्व है और यह आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिव्य यात्रा में लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन और रथ खींचने का पुण्य प्राप्त करते हैं।
00:00जगनात रत यात्रा का शास्त्रों में खास महत्व है और ये आशार शुकले दुट्य को दूमधाम से मनाई जाती है
00:09इस दिव्वे यात्रा में लाखोश रधालू भगवान जगनात के दर्शन और रत खीचने का पुर्णे प्राप्त करते हैं
00:15ऐसे में आज हम आपको बताएंगे भगवान जगनात को आखिर कडवे नीम का भोग क्यूं लगाया जाता है इसके पीछे का रहस से क्या है
00:22दरसल पूरी की जगनात रत यात्रा हिंदु धर्म की सबसे भव्वे प्रसिद और शद्धा से ओध प्रोत यात्राओं में से एक मानी जाती है
00:30ये यात्रा हर साल आशान महीने के शुकल पक्ष की दुट्य तिथी को आयजित होती है
00:35जिसमें भगवान जगनात अपने बड़े भाई बलबद्र और बहन सुबद्रा के साथ रत पर सवार होकर शुरी मंदिर से गुंडीचा मंदिर की तरफ प्रस्थान करते हैं
00:44लाकोश रधालू इस पावन मौके पर पूरी पहुँचते हैं और भगवान के रत को खीच कर पूर्णे प्राप्त करते हैं
00:50ये परंपरा सुनने में भले ही विचित्र लगे लेकिन इसके पीछे गहरी धार्मिक भावना और एतिहासिक महत्व चुपा हुआ है
00:56भगवान को मीठे की जगा कड़वा नीम क्यों चड़ाया जाता है ये जानना भगतों के लिए हमेशा जिग्यासा का विशे रहा है
01:02आईए जानते हैं इस खास परंपरा के पीछे की परानिक और आध्यात्विक मानेता क्या है
01:07भगवान जगनात को 56 भोग लगाने के बाद नीम के चूर्ण का भोग चड़ाने की परंपरा के पीछे एक बेहत मारमिक कथा जुड़ी है
01:13कहा जाता है कि जगनात पुरी मंदिर के पास एक वरधा महीला रहती थी जो भगवान को अपने पुत्र के रूप में मानती थी
01:37पित कर सके जब वो मैला भगवान को वो चूर्ण देने मंदिर पहुंची तो द्वार पर तैनात सैनिकों ने उसे अंदर नहीं आने दिया
01:44इतना ही नहीं उसके हाथ से नीम का चूर्ण भी छीन का फेग दिया और उसे अपमानित कर मंदिर से भगा दिया
01:50ये देखकर वो इस तरी अत्यांत तुकी हो गई कि वो अपने पुत्र भगवान को प्यार से बनाई हुई और शिदी नहीं दे सकी
01:56उस रात भगवान जगनात ने पूरी के राजा के सपने में दर्शन दिये और पूरी घटना की जानकारी दी भगवान ने राजा से कहा कि उन्होंने एक सची भक्त का अपमान सहन किया है और ये अनुचित है
02:06उन्होंने राजा को आदेश दिया कि वो खुद उस महिला के घर जाकर शमा मांगे और उसी नीम के चून को फिर से बनवा कर भगवान को अर्पित करें
02:14अगले दिन राजा ने भगवान की आग्या का पालन किया वो महिला के घर गए माफी मांगी और उससे दोबारा चून बनवाया
02:21उस मा ने बड़े प्रेम से वो नीम का चून तयार किया और राजा ने उसे भगवान जगनात को भोग के रूप में अर्पित किया
02:27भगवान ने उसे सुविकार किया तब इस ये परंपरा चल पड़ी कि 56 भोग के बाद भगवान को नीम के चून का भोग भी लगाया जाता है जो आज तक पूरी श्रद्धा और प्रेम भाव के साथ निभाई जाती है
02:37फिलाल इस वीडियो में इतना ही अगर आपको ये जानकारी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें शेयर करें और चानल को सब्सक्राइब करना बिलकुल न भूले