00:00आप सोचते हो समाज जैसा चल रहा है वो बड़ी अच्छी तरीके से चल रहा है नहीं तो फिर तो सोसाइटी कैसे चलेगी वैसी सी बात है आप पूछे कि नहीं तो फिर तो कैंसर कैसे चलेगा नहीं चलना चाहिए भाई
00:12नहीं चलना चाहिए एकदम नहीं चलना चाहिए जैसा चल रहा है ये सब तो डानमाइट लगा के उड़ा देना चाहिए
00:19आपको दिखनी रहा है जैसा चल रहा है उससे क्या होगा
00:23आप सब के मन में एक छवी बैठी हुई है कि दुनिया जैसी चल रही है
00:26शायद अच्छी चल रही है ठीक ठागी चल रही है
00:28दुनिया जैसी चल रही है इसी को पाप कहते है
00:31जिन दिनों की आप बात कर रहे हैं, उन्हीं दिनों में एक और student था मेरा, यहीं पर अभी वो बैठा हुआ है, उसके साथ रात भर कुछ बात हुई, discussion हुआ, फिर जब सुबह होगे, इमने का भूख लग रहे हैं, चलो रहे हैं, कुछ खापी के आते हैं, वहाँ पर नोईड
01:01एक चरा से कमरे में, तो इनको ले करके निकला, यहीं, उदित, तो वहाँ पर सब कॉर्पोरेटे मारते थी, मारते थी, मारते थी, इसके साथ जा रहा था, तब तो यह क्या उमर रही होगी, बीस भी नहीं रही हो शायद, मैंने का जितनी बिल्डिंग्स देख रहे हो न, �
01:31नहीं चाहिए, यह जैसा चल रहा है, यह बीस चालिस साल नहीं चल सकता, यह दुनिया के आधी प्रजातियां खत्म कर चुका है, प्रते दिन सौ से एक हजार प्रजातियां सदा के लिए विलुप्त हो रही है, और जानते हो नैचुरल रेट ओफ एक्स्टिंशन क्या है, �
02:01है विलुप्ति की, हम उससे सो गोना हजार गोना ज्यादा तेजी से प्रजातियों को प्रति दिन मार रहे हैं, यह कर रहा है हमारा समाज, और आप कह रहे हो, फिर सोसाइटी कैसे चलेगी वरना, अरे मुझे नहीं चलानी है सोसाइटी, जैसी चल रही है, रुकनी चाहिए
02:31मन की जिस वृत्ति ने यह इमारते खड़ी करी हैं, और इन इमारतों के अंदर जो काम होता है, वो काम रुकना चाहिए क्योंकि उसी काम ने आज हमें कहीं का नहीं चोड़ा है।
03:01उसके साथ अन्याय यह हुआ है कि उसे पैदा कर दिया गया और अगर वो पैदा हुआ है तो जिन्होंने पैदा करा उनका धर्म था कि अगर पैदा करा है तो इसको जीने लायक
03:11जिन्दगी दो उसको सबजी वाला बना दिया
03:13और आप कह रहे हो
03:15देखो सबजी वाला सबजी बेचता है
03:17सुसाइटी कैसे चलेगी सबजी नहीं बेचेगा तो
03:19आपको मुझको हम सबको
03:23ये जिन्दगी दे दी जाए कि दिनवर सबजी बेचोगे
03:25ठेले पर हम जी पाएंगे हम नहीं जी पाएंगे
03:28पर सबजी वाला सबजी बेचता है तो मैंसे कहते हैं
03:30जैसे वो पता नहीं कितने पुणने का काम कर रहा हो
03:32हमने नर्क दे दियाungрий उसको
03:36और जो ग्लोबल वॉर्मिंग की हम बात कर रहे हैं
03:38इसका सबसे आधा असर सबजी वालों पर ही पढ़ना है
03:40क्योंकि वो रात में बारा बज़े
03:42सबजियां नहीं बेचेंगे
03:43वो दिन में निकला करते हैं
03:45अपने ठेलों पर सबजी ले करके
03:47heat wave से उनको ही heat stroke होने वाला है
03:52वही मरने वाले है
03:52पर हम बात ऐसे कर रहे हैं कि
03:55अरे सबजी वाला जो कर रहा है देखो
03:57heat to is a cog in the giant wheel of the society
04:00भाई उसका शिकार हो रहा है
04:03वो बरबाद हो रहा है
04:06आप सब की क्या रुची है
04:12इस system को इस व्यवस्था को बनाए रखने में
04:15मैं तो चाहता हूँ
04:18कि इसका बेडा गर्क हो
04:19कुछ न बचे इसका
04:23हमारे कुछ दिल है कि नहीं है
04:32हमें दिखाई देता है
04:34हमने दुनिया कैसी बना दिये
04:36या हम इतने पत्थर हो गए हैं कि
04:39हमें लोगों का दर्द समझ में ही नहीं आता
04:42ये दुनिया नहीं है
04:45ये ये
04:48मैं जहां खेलने जाता हूँ
04:51वहाँ पर पास में कहीं पर कोई
04:53मदुमक्खियों का छत्ता होगा
04:54उन्होंने मदुमक्खियों के छत्ते पर पता नहीं
05:01कौन सी गैस मार दी, धुआ मार दिया
05:03पूरे कोर्ट पर मरी हुई मदुमक्खियां बिखरी हुई है
05:06और तडप रही है, पूरी मरीनी हुई है, तडप रही है
05:15ताकि आपका सिस्टम चलता रहे
05:17ग्लानी तब होती है, आप पाते हो, आप खुद
05:25आप पैदा हो गए हो, तो आप खुद इसमें शरीको
05:29फिर एक ही तरीका होता है प्राश्चित करने का
05:31कि इसको जितना रोक सकते हो रोको, अब क्या खेलोगे
05:38आपके कोर्ट पे अधमरी मधुमख्यां तडप रही है
05:42तो जो मेरे साथकान का कपड़ा लेकर क्या उनको एक तरफ करा जा रहा है
05:46कुछ नहीं कर सकता, निर्मम होना पड़ता है
05:50क्या करोगे अब उनको, एक एक को उठा गे डॉक्टर के पास ले जाओं, क्या करूं
05:54कम सकम सो पड़ी है
05:56यह है हमारी सोसाइटी
05:58और उन्हीं जो मरी होई और तडप्ती होई
06:02मख्यों में न
06:03एक नाम सबजी वाले का है
06:06कभी बत कहिएगा कि
06:12जो समाजिक व्यवस्था चल रही है
06:14जो आर्थिक व्यवस्था चल रही है
06:17वो तो चलती रहनी चाहिए
06:18या जो पारिवारिक व्यवस्था चल रही हो
06:21तो चलती रहनी चाहिए
06:22कुछ नहीं चलते रहना चाहिए
06:23हमें आमूल्चूल परिवर्तन चाहिए
06:26अध्यात्म इसलिए है
06:29नहीं तो गीता हम किसलिए पढ़ रहे है
06:30तो जब मैं बोलूं कि हमें समाज के काम आना है
06:37तो वैसी ही बात है कि मैं बोलूं कि मेरे इस बाजू में फोड़ा है
06:42मुझे इस बाजू के काम आना है
06:43एक ही थरीके से काम आया जा सकता है
06:45जो चीज नहीं होनी चाहए उसको हटा दो
06:48और येही तरीका है विधान्त का
06:51निति-निति का अर्थी款 है ये जो नहीं होना चाहए उसको हटा दो
06:59आपकी बात से अगरी करता हूं आचायरे जी
07:02मतलब मुझे भी लगता है कि सुसाइटी में ज्यादा चीजें गलती हैं जिनको सही करना है और कोशिशी कर रहा हूं मैं भी जानने की चीजें आपके माध्यम से लेकिन आप ही ने क्यूरॉसिटी सिखाई है तो मेरे कुछ फॉलो अप सवाल है क्या मैं पूछ सकता हूं हाँ
07:32सुसाइटी में हम सब ने उस सुसाइटी को खराब किया हुआ है अब वो ना ज्यादा पढ़ें कि कुछ बहुत अच्छी जॉब ले सकते हैं उनके ओपर डिपेंडेंसी बहुत है फैमिली उनकी बन चुकी है तो अब next best चीज क्या कर सकते हैं वो लोग देखो सबसे पहले
08:02बात से एग्री कर रहे हो मैं सही बोल रहा हूँ मैंने ही 12 साल पहले भी बोला था sometimes you agree and sometimes you disagree but do you ever understand मैंने थोड़ी का है कि मेरी बात से एग्री करो मैंने का है पहले समझ तो लो बात को आपके प्रश्न में ये भाव नहींते है अभी आप समझ भी नहीं मैंने क्या का है आप स
08:32कोई और बात कर रहा हूँ मैं डिसॉलूशन की बात कर रहा हूँ
08:38समाथ के धाचे में मैं किसी ऊपरी छेड़ छाड़ की किसी कॉस्मेटिक परिवर्तन की बात नहीं कर रहा हूँ देखिए हम यहाँ पर गीता पर चर्चा करने को हैं यहाँ बात केंदर की होती है
08:52सब कुछ बदल जाएगा
08:59आप अभी भी यह मान रहे हो कि जो चल रहा है वो वैसे ही चले
09:02उसमें कुछ खराबियां आ गई है
09:04गाड़ी का एक टायर पंचर हो गया है
09:06तो चलो step नहीं लगा देते हैं
09:08मैं वो बात नहीं कर रहा हूँ
09:10अध्यात्म का काम नहीं है step नहीं लगाना
09:12वो managers का काम है
09:13manager यह करते हैं कि जो व्यवस्था चल रही है
09:20उसको चलाए रखने के लिए छोटे मोटे परियुरतन कर देते हैं
09:24उसे manager बोलते हैं
09:25manager का काम नहीं व्यवस्था बनाना नहीं होता
09:27उसका काम होता है जो चल रहा चले उसमे थोड़े कॉस्मेटिक चेंजिस करते रहो ताकि चल रहा हो चलता रहे
09:32आप अभी भी मान रहे हो आप कहा रहे हो अच्छा ठीक है हाँ सही बात है सबजी वाला तो गडबड है फस गया है उसके आज पैसे नहीं है
09:45लेकिन उसका परिवार उसके बच्चे है आप माने मान रहे हो कि जैसी पारिवारी क्यों चल रही हो तो चल नहीं चाहिए
09:49और फिर आप कह रहे हो कि आप एगरी करते हो आप समझे ही नहीं हो तो एगरी कैसे कर रहे हो
09:56पाडिवारी प्यवस्था भी वैसी क्यों चले जैसी अभी चल रही है
10:02वैसी क्यों चले जैसी अभी चल रही है बताओ न
10:08माननेताओं ने हमारे मन में जगह बना ली है जैसे उस सच हो
10:20जैसे कुछ बाते तो पत्थर की लकीर हो और उनको वैसे चलना ही चाहिए
10:24आप सोचिएगा
10:25कुछ भी वैसा क्यों चलना चाहिए जैसे चल रहा है
10:28और जल्दी से ये बोल करके
10:29अपनी जिग्यासा मत रोक दीजेगा
10:31बट वाट इस दे ऑप्शन
10:32टेल में अल्टरनेटिव
10:34ये सब बेकार की बाते होती है
10:36क्यों चले कुछ भी वैसा जैसा चल रहा है
10:44जब जो कुछ चल रहा है वो हंकार की केंदर से आ रहा है
10:46तो क्यों चले बताओ न
10:48आपका परिवार कहां से आ रहा है
10:50हंकार से
10:51आपका समाज कहां से आ रहा है
10:53आपकी राजनीति कहां से आ रही है
10:55आपकी अर्थवस्था कहां से आ रही है
10:57आपका मुरुणजन कहां से आ रही है
10:58आपकी कलाएं कहां से आ रही है
10:59आपका साहित्य कहां से आ रही है
11:00आपका विज्ञान कहां से आ रहा है
11:01सब कुछ किस के अंदर से आ रहा है
11:03तो कुछ भी वैसा क्यों चले जैसा चल रहा है और नहीं चलेगा
11:07अगर अध्यात्म जीवन में उतरेगा तो केंदर बदलेगा
11:11जब केंदर बदलेगा तो कुछ भी वैसा नहीं रह सकता जैसा है
11:13सब कुछ बदल जाएगा
11:16ना परिवार वैसा रहेगा
11:17ना समाज वैसा रहेगा
11:18ना संसद वैसी रहेगी
11:19ना बाजार वैसा रहेगा
11:20सब बदल जाएगा
11:22हो सकता है कि संसदों की जरूरत ही खत्म हो जाए
11:24हो सकता कोई संसद न बचे
11:27सोचिएगा
11:34किसी भी बात को ये मान लेना कि चू की वो चली आ रही है इसलिए चलती ही रहे
11:39खतरनाक चीज़े ये
11:40जो चला आ रहा है अगर वो कृष्ण विरुद्ध था तो क्यों चले बोलो
11:49जो चला आ रहा है अगर वो सत्य विरुद्ध था तो क्यों चले बोलो