00:16तो उसमें एक मेढक को डाला और मेढक ने का ये क्या चल रहा है
00:21वो जल्दी से बाहर कूद गया
00:24मीढकों कितना समय लगया पानी से बाहर कूदने में गुसा और फट से बाहर कूद गया लगया
00:30ये खौलता पानी पागल हो गया बच गया
00:34बच गया क्योंकि बाहर वो जिस तापमान में पहले था
00:41और फिर भीतर पानी के जिस तापमान का उसको अनुभव हुआ उनमें यकायक बहुत ज्यादा अंतर आ गया
00:53तो उसको पता चल गया ये तो भारी अंतर है अंतर अचानक से आया तो उसको अनुभव में आया वो नोटिस कर पाया
01:06फिर एक दूसरा मेढ़क लिया गया उसको पानी में डाला गया पानी सामान ने तापमान पर फिर तापमान थोड़ा बढ़ाया गया
01:18तो मेढ़क जो है बाहर नहीं आया इसों गयते हैं अनुकूलन, कंडिशनिंग
01:26पानी गर्म हुआ पर मेढ़क की जो विवस्था थी वो उसी गर्म तापमान के अनुसार ढल गई
01:36उसके अनुकूल हो गई तो वो बरदाश्ट कर ले गया
01:40फिर तापमान थोड़ा और बढ़ाया गया पर अभी भी मेढ़क ने तुलना पिछले तापमान से करी वो बोला थोड़ा ही तो बढ़ाया है
01:51जैसे आप कदम दर कदम सीड़ी चड़ रहे हो
01:57और हर कदम पर आपको यही दिखाई देता हो कि
02:02पिछले कदम से थोड़ा सा ही तो उपर आए है
02:04थोड़ा और तापमान बढ़ाया गया, थोड़ा और बढ़ाया गया
02:07मेढक बाहर ही नहीं आया
02:09क्योंकि अचानक से नहीं बढ़ाता अपमान, वो उबलकर मर गया उसमें, वो उसमें उबलकर मर गया, अब मुझे नहीं मालूम है प्रियोग वास्ताव में हुआ है कि नहीं हुआ है, लेकिन कहानी सुनने में बोधपूर्ण भी है और रोचक भी है,
02:30बाच समझ में आ रही है, वो मेढ़क कौन है, हम किसी मेढ़क के नहीं बात कर रहे हैं, वो मेढ़क हम हैं, अचानक से अगर औसत अपमान, तीन डिगरी, पांच डिगरी बढ़ जाए, तो हम सब चिल्ला पड़ेंगे, और सदमे में आ जाएंगे और कहेंगे, ये कुछ बह�
03:00चल रही हो, तो हम उसको नोटिस नहीं कर पाते हैं, हमें पता नहीं चलता है कि ऐसा हुआ, चली कुछ द्रिश हैं, कल्पना करिए, और ये बहुत आगे के नहीं है, मैं बस 10-20 साल आगे की बात कर रहा हूँ, अभी गर्मियां आ रही है, सडकों का जो डामर है, ये जो एस
03:30सडकों पर डामर पिघल चुकी है, और जो गरीब लोग ज्यादा बाहर का ही काम करते हैं, आउटडोर्स, वो चल भी रहे हैं तो उनकी चपलें डामर में चिमक रही हैं, पक्षी उड़ रहे हैं और उड़ते उड़ते आस्मान से अचानक गिर जाते हैं, जस्ट डॉपिं
04:00स्कूल से लोट रहे हैं और एक दो बजे का दोफ़र का समय हैं, और बच्चे ऐसे चलते आ रहे हैं, चलते जा रहे हैं, अचानक हीट स्टोक हुआ वहीं गिर गया, यह सब बाते होने वाली हैं, पर जब यह सब भी हो रहा होगा ना, तो हो सकता है, हमें तब भी बहुत ब
04:30ये सब कुछ gradually हो रहा है, क्रमशह हो रहा है, लगातार हो रहा है, निरंतर हो रहा है, पर एक जटके में नहीं हो रहा है।
05:00जिसकी आप बात कर रहे थे, वो न जाने कितने आदिम वाइरसे को रिलीज करने वाला है, दो तीन वजहों से।
05:30वाइरस ऐसी चीज होती है, जिसको आप लगभगे chemical मान सकते हैं, chemical कभी मरता नहीं न, तो वाइरस भी कुछ-कुछ chemical जैसा होता है।
05:38वो बर्फ के नीचे लाखों करोडों साल तक dormant पड़ा रहेगा।
05:44और जलवायू परिवर्तन से वो बर्फ अब रही है, पिघल।
05:50वो बर्फ पिघल रही है और जहां बर्फ थी अब वहाँ पर पड़ेगी सूरत की रौशनी।
05:54एक चीज थी जो बर्फ से ढकी हुई थी बर्फ तो पहली गई और अब सीधे उस पर क्या पड़ रही है।
05:58सूरत की रौशनी। यह सब पुराने जो वाइरस हैं यह वापस आने वाले हैं।
06:04इन्हें कहते हैं Zoonotic Pandemics। और होने वाला है आप जंगल काट रहे हो।
06:10जो COVID का भी जो वायरस था जंगल से ही आया था ना। आप जंगल काट रहे हो तो जंगल के बहुत सारे पशुपक्षी, जीव, जानवर, यह सब अब कहां जाएंगे, किसके संपर्क में आएंगे।
06:28क्योंकि आपने उनका घर तो जला दिया, काट दिया,
06:31या आपने काम ऐसे कर दिया कि उनके घरों में आग लग गई,
06:33wildfires,
06:35तो आपके संपर्क में आएंगे, और उनके पास ऐसे वाइरस है,
06:38जिनसे आप पहले कभी संपर्क में नहीं आए हो,
06:41तो आपके पास कोई natural immunity है, नहीं उन वाइरस वगएरा के खिलाफ,
06:45वाइरस भी बैक्टिरिया भी, आपके पास कोई natural immunity नहीं है,
06:54और यह सब होने जा रहा है, लेकिन यह सब कुछ, एक ही साल में नहीं होगा,
06:58जो कुछ होगा, जो कुछ अगले साल होगा, मेधक का तापमान, दीर दीर बढ़ाया जाएगा,
07:07आज इस heat stroke महले में उस घर में हुआ है, कल उस घर में हुआ है, परसओ उस घर में हुआ है,
07:12ऐसा नहीं होगा कि एक दिन एक ही घर के पांच लोगों को एक साथ हीट स्ट्रोक हो गया, ऐसा नहीं होगा
07:27जो कुछ हो रहा है और होने जा रहा है, अगर वो एक ही जगह पर एक साथ हो जाए, तो आप कहोगे प्रलय के लिए दूसरा नाम नहीं चाहिए
07:36यही प्रलय है, लेकिन गजब की माया यह है कि यह सब कुछ एक भिखरे तरीके से हो रहा है
07:46scattered in both time and place, आज यहां हो रहा है, कल वहां हो रहा है, तो आज और कल का अंतर और यहां और वहां का अंतर
07:55तो हमको लग रहा अभी हम तो बचे हुए है ना
07:59कोई बचा नहीं हुआ है
08:03अगले बीस वर्षों में
08:07भारत में जो उत्पादकता है खेतों की
08:14जो क्रॉप इल्ड्स है वो तीस प्रतिशत तक कम हो सकती है
08:18और आबादी बीस प्रतिशत तक बढ़ सकती है
08:20मतलब समझिए और यह सब जलवाई उपर उर्टन से
08:23भाई फसलें एक खास प्रकार का तापमान मांगती है
08:28एक खास अवधी में बारिश मांगती है
08:31वो जितने भी climate patterns थे वो पूरे तरह से बदल रहे है
08:39तो पौधे पर आप आग्या तो नहीं चला सकते
08:47कि यह हूँ उग वो कहरा भाई मुझे जैसा तापमान और बारिश चाहिए थी
08:54और जैसी मुझे हवाई चाहिए थी वो नहीं है तो मैं नहीं उगूँगा
08:57और आबादी आपकी बढ़ गई है
09:00और पैदावार आपकी गिर गई है आप खाओगे क्या
09:03आप नहीं खापाओगे उसका नतीजा यह होने वाला है कि दुनिया के लगभग
09:10120 करोड लोग हैं जहने अपना घर छोड़ना पड़ेगा और दुनिया मैं बूल क्यों रहा हूँ
09:16ज्यादा तर उसमें भारत जैसे देशों के होगे
09:18ज्यादा तर भारत जैसे देशों के होगे क्यों क्योंकि भारत में इरिगेशन
09:26से बहुत पैदावार नहीं होती है बहुत हद तक अभी भी मॉनसून पर निरभर है
09:33और मॉनसून की हवाएं निरभर है कि एक खास
09:41temperature difference हो
09:44समुद्र
09:45की सतह और
09:48थल की सतह के बीच में
09:50जल और थल
09:54के बीच में जब
09:56तापमान का एक खास अंतर होता है
09:58तब मौनसून की हवाएं उठती है और
10:01जमीन की तरफ आती है फिर आपके हमाले से टकराती है
10:07और बारिश होती है सब होता है
10:11तो पहली बात तापमान ज्यादा है
10:14तो पेड़ पौधे
10:17यह सब बड़े होने से इंकार करेंगे
10:19न इन में अन लगेगा न फल लगेंगे
10:23न सबजियां लगेंगी
10:24और दूसरी बात यह कि बारिश भी नहीं हो रही है
10:27और तीसरी बात यह कि आपने
10:31ग्लेशियर सारे पहला दिये तो नदिया भी नहीं बची है
10:33हम कितना भी कहलें आपने बात करी कथा पुरान की
10:39आप कितना भी कहलो
10:41कि गंगा जी किसी दूसरे लोक से उतरी है
10:45यह हमारी पौरानिक माननेता है न क्या ऐसे हुआ था फिर राजा भगीरत और फिर शिव जी की जटाएं ठीक है वो एक सुंदर कथा है जिसका एक उचा प्रतिकात्म कर्थ हो सकता है
10:57लेकिन आप जमीनी तल पर देखो तो हमें पता है कि गंगा और एमुना कहां से आती है
11:03तो आपने तापमान बढ़ा दिया तो वो ग्लेशियर बचाए गया
11:09वो नंगा पहाड़ बन गया वाँ बरफी नहीं जब बरफी नहीं तो नदी कैसी
11:13और जब नदी नहीं है तो खेती कैसी
11:16खेती कैसी
11:20और एक जटके में नहीं हो जाएगा ये सब कुछ
11:30ये साल दर साल लगातार हो रहा है
11:32गंगोत्री कितना सिकुड चुका है
11:37थोड़ा सा गूगल कर ये तो आपको पता चल जाएगा
11:40मैं आपसे यहां पर एक भी बात ऐसे नहीं बोलने जा रहा हूँ जो कालपनिक है
11:43मैं आपसे वही सारी बाते बोल रहा हूँ
11:46जो UN और IPCC की रिपोर्ट्स में रोज सामने आ रही है
11:49बस उन रिपोर्ट्स को हम पढ़ते नहीं है
11:51कंगोतरी कितना सिकुड़ चुका है आप खुद सर्च कर लीजिए
11:57और यहां दर जाने के बाद क्या सर्च करेंगे
12:00आप लोग तो मॉबाइल लेके बैठे हैं रिकॉर्डिंग भी कर रही हैं
12:02यहीं बैठे बैठे कर लीजिए न
12:04लडाईयां इसलिए नहीं होने वाली है
12:12कि ओइल चाहिए पेट्रो डॉलर्स चाहिए जमीन चाहिए
12:16लडाईयां होने वाली है पानी के लिए
12:20जब नदी नहीं है तो पानी के लिए तो लड़ मरेंगे न और क्या करेंगे
12:24विश्व युद्ध अगलाब पानी के लिए होगा और इसलिए होगा क्योंकि ये जो बड़ी बड़ी विस्थापित जनसंख्याएं हैं ये खड़ी हो जाएंगी कि हमें कहीं और जाना है
12:35भई पुरानी सारी सभ्यता हैं हमें पता है नदियों के किनारों पर पनपी क्यों क्योंकि पानी था हम कहते न सिंदुघाटी सभ्यता क्यों इजिप्ट में क्यों वहां कौन सी नदी थी फिर इधर गंगा नदी थी चीन में भी नदी किनार ही लोग अब वो नदी नहीं तो �
13:05और कहां जाएंगे वो फिर राष्ट्री ये सीमाओं पर रुक नहीं जाएंगे जहां कहीं भी बस जीने को मिल रहा हूं हमें जाने दो यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे दर्दनाक पलायन विस्थापन होगा
13:22120 करोड लोग अनुमानित हैं कि अपना घर छोड़ कर भागने को विवाश होंगे और उन में से 120 करोड अगर हैं तो मान लीजे कि 80 करोड तो भारती यही हैं
13:33पर यह सब कुछ एक दिन में नहीं होगा और यह दिन मनी होगा तो हमारे कान पर जू नहीं रहेंगेगी
13:52जो मिट्टी होती है किसी भी जगाए की मिट्टी करोडों सालों से एक प्रकार की ही बारिश पा रही होती है एक ही प्रकार की
14:06जो कैंसर की प्रेविलेंस है वो 5 से 10 गुना बढ़ने वाली है
14:12क्योंकि मिट्टी और पौधे का बड़ा नाजुक संबंध होता है
14:24मिट्टी में बहुत प्रकार की तत्व होते हैं
14:28पर अगर सही स्थितियां हैं तो उन में से जो विशैले तत्व हैं वो पौधे में प्रवेश नहीं करते
14:34सीसारमगा-इविशैला आई विशैल माने हमारे लिए विशैला जैसे आर्सेनिक व अपने आपने आपनी आप सर्च करिएगा और से निक केंसर एड़ क्लाइमिट चेंज
14:47आप जो साधारन खाना खा रहे होगे ना वही आपको कैंसर दे रहा होगा, कैंसर के मामले 5-10 गुना बढ़ने वाले हैं, और इसकी बात में ज्यादा आप लोगों से इसलिए किया करता हूं, क्योंकि ये जो महाप्रलय आ चुकी है, वो सबसे अधिक हमारे उपर ही तूटनी
15:17ओसत भारतिये का जो कार्बन फुट्प्रिंट है, वो बहुत छोटा है, और जिसका कार्बन फुट्प्रिंट माने आप कितना कार्बन उतसर्जित करते हो, और जिसका कार्बन फुट्प्रिंट जितना छोटा होता है न, क्लाइमेट चेंज की मार उस पर उतनी भयानक प�
15:47पूट्प्रिंट बड़ा इसी लिए है क्योंकि उसके पास पैसा है अभी गीता कम्यूनिटी पर ही किसी ने डाला था मुझे नहीं मालूम कि वो सही गणनाओं से आ रहा है कि अलॉन मस्क के जो दो जेट हैं वो एक साल में जितना कार्बन उतसर्जित कर देते हैं उतना ओसत
16:17को सिसर्फ दो जेट एक साल में कर देते हैं अभी हम उस अमीर आदमी के पूरे फुट्प्रिंट की बात नहीं कर रहे है हम उसके सिर्फ दो LAURA कि लया है और यह बात सिर्फ किसी एक अमीर आदमी की नहीं है
16:47बना दिया है, नहीं, हम evolution की पैदाईश हैं, और वो evolution तापमान की नमी की कुछ खास परिस्थितियों में हुआ है, होता है न, ये एक machine है और ये इतने से इतने तापमान के बीच में काम करने के लिए बनी है, वैसे ये भी एक machine है, आपका engine है, उसका तापमान बढ़ जाए त
17:17बहुत सारी machinery होती है, विदेशी लोग उसको बेचने को तयार होते हैं, खासका military machinery, भारत उसको खरीदता नहीं है, बताओ क्यों, क्योंकि वो कैनडा की किसी firm ने बनाई थी, तो भारत के रेकिस्तान में जो तापमान होता है, जहां युद्ध लड़ा जाएगा, मान लिज
17:47जाए वो राइफल हो, जाए टैंक हो, वो उतने तापमान के लिए बना ही नहीं है, अब वैसे ही अब टीन से आपका जगड़ा हो गया, वहाँ पर जो 0-20 डिगरी नीचे का तापमान है, उसके लिए आपने जो हथियार मगाया था वो बना ही नहीं है, आपकी राइफल है
18:17हम पागल होने वाले हैं, ठीक, आपके भीतर भी तापमान नापने की प्रक्रिया लगातार चल रही है, जैसे भीतर भीतर एक घड़ी चलती है कि नहीं चलती है, हम जानते हैं एक घड़ी बहार लगी होते हैं एक भीतर चलती है, उसी को फिर आप बोलते हैं, कौन सी रिद
18:47चली है तो रात में ठंडक हो जाए जब रात में 12, 2, 3 बजे भी लूही चल रही होगी
18:56तो भीतर की सारी विवस्था खराब हो जानी है ये जो ये है ये हिस्सा जो है हमारी मशीन का ये विक्षिप्त हो जाना है
19:02तो एक कप्ती सड़क है जिस पर डामर पिघल चुका है और उस पर पागल लोग दोड़ रहे हैं अपने कपड़े फ़ाड़ते हुए
19:11पांच, दस, बीस मिनट तक दोड़ते हैं और फिर मरके गिर जाते हैं
19:17ये दुनिया छोड़ कर जा रहे हैं अपने बच्चों के लिए