- 3 months ago
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लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita?cmId=m00099
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फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?cmId=m00021
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#acharyaprashant #globalwarming #climatechange #heatwaves #आचार्यप्रशांत #bhagavadgita #spirituality
वीडियो जानकारी: 18.04.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नोएडा
Title: हमारा खौफ़नाक भविष्य - ऐसी होती है प्रलय || आचार्य प्रशांत (2024)
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विवरण:
इस वीडियो में आचार्य प्रशांत ने मानवता और प्रकृति के संबंधों पर चर्चा की है। वे बताते हैं कि हम अपनी कामनाओं के कारण प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हैं, जिससे अप्रत्याशित घटनाएं होती हैं। आचार्य जी प्रकृति के इस दंड को समझाते हुए कहते हैं कि मनुष्य अपनी सीमाओं को भूलकर खुद को प्रकृति से बड़ा समझने लगता है, जबकि वह प्रकृति के सामने कुछ भी नहीं है। आचार्य प्रशांत यह स्पष्ट करते हैं कि प्रकृति का अतिक्रमण करने से हमें केवल नुकसान ही होता है, और हमारा भविष्य तभी उन्नत /बहत्तर हो सकता है जब हम अपने अहंकार और कमजोरियों को स्वीकार कर आत्मज्ञान और चेतन की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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संत कबीर दोहे और भजन:
कबीर सोई पीर हैं, जो जाने पर पीर ।
जो पर पीर न जानहिं, ते काफ़िर बेपीर ।।
कहता हूँ कहि जात हूँ, कहा जु मान हमार।
जाका गला तुम काटिहो, सो फिर काटि तुम्हार।।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06&nd=1&dlsi=0db8e0909301402f
संगीत: मिलिंद दाते
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वीडियो जानकारी: 18.04.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नोएडा
Title: हमारा खौफ़नाक भविष्य - ऐसी होती है प्रलय || आचार्य प्रशांत (2024)
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विवरण:
इस वीडियो में आचार्य प्रशांत ने मानवता और प्रकृति के संबंधों पर चर्चा की है। वे बताते हैं कि हम अपनी कामनाओं के कारण प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हैं, जिससे अप्रत्याशित घटनाएं होती हैं। आचार्य जी प्रकृति के इस दंड को समझाते हुए कहते हैं कि मनुष्य अपनी सीमाओं को भूलकर खुद को प्रकृति से बड़ा समझने लगता है, जबकि वह प्रकृति के सामने कुछ भी नहीं है। आचार्य प्रशांत यह स्पष्ट करते हैं कि प्रकृति का अतिक्रमण करने से हमें केवल नुकसान ही होता है, और हमारा भविष्य तभी उन्नत /बहत्तर हो सकता है जब हम अपने अहंकार और कमजोरियों को स्वीकार कर आत्मज्ञान और चेतन की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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संत कबीर दोहे और भजन:
कबीर सोई पीर हैं, जो जाने पर पीर ।
जो पर पीर न जानहिं, ते काफ़िर बेपीर ।।
कहता हूँ कहि जात हूँ, कहा जु मान हमार।
जाका गला तुम काटिहो, सो फिर काटि तुम्हार।।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06&nd=1&dlsi=0db8e0909301402f
संगीत: मिलिंद दाते
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LearningTranscript
00:00आप नंगे पाउं चल सकते हो
00:01दुनिया का एक एक प्राणी नंगे पाउं चलता है
00:04आप नंगे पाउं नहीं चल सकते हो
00:05आप तो अब बिना ब्रश की है न जी पाओ
00:07सरमें दर्ध हो जाएगा
00:08आपके लिए प्रति दिन नहाना जरूरी हो गया है
00:11दुनिया में कोई प्राणी नहीं प्रति दिन नहाता है
00:13आपको कहां से मिलेगा नहाने को पानी जब पीने को पानी नहीं है नहाने को कहां से पाऊगे
00:17प्रक्रते से दूर होकर हम शारिरिक रूप से सबसे असुरक्षित जीव बन गए है
00:22और मानसिक रूप से भी
00:24रिन्यूवेबल एनर्जी, क्लीन, ग्रीन एनर्जी और ये सब कुछ
00:29इन सब के पीछे धारना क्या है भोग कम नहीं करूँगा
00:32प्रिणाम अचारी जी आप अकसर कहते हैं कि अहम हर एक चीज को भोगना चाहता है
00:40अहम बाहर छलांगे माता है, तो प्रक्रते उसे रोक देती है
00:46तो क्या अचारी जी प्रक्रती के इस डंड से हम सुद्रेंगे
00:50इक तरह से ये प्रक्रते का डंड भी नहीं है
00:58प्रक्रते, सच पूछो तो बड़ी निर्पेक्छोती है
01:04वो इतनी बड़ी है, इतनी स्वायत है, इतनी स्वतंत्र है
01:10कि उसको अहम जैसी छोटी चीज़ को जो उसी का अपना एक नन्हासा मुन्ना है
01:17उसको दंड देने की जरूरत भी नहीं है
01:19होता बस यह है कि अहम अपनी कामना के अनुसार प्रक्रति से छेड़ छाड़ करता है
01:27और प्रक्रति को अपनी कामना के अनुसार एक रूप देना चाहता है
01:32प्रक्रति ने कोई ठेका नहीं ले रखा है कामना पूरी करने का
01:38वो तो वही करती है जो उसके नियमों के अंतरगत होना है
01:44और उसके नियम अगर कहते हैं तो उससे छेड़जाड करोगे तो ऐसी प्रतिक्रिया होगी तो प्रतिक्रिया हो जाती है
01:50और प्रक्रती इतनी बड़ी है कि प्रक्रती की छोटी सी प्रतिक्रिया भी नुन्नु अहंकार के जेले जिलनी नहीं है
01:59आप अगर प्रक्रती लोगे पूरा ब्रह्मान्ड प्रक्रती के आधीन है
02:05जीरो केल्विन समझते हो
02:090 से 273 डिगरी नीचे
02:12लगभग उतना तापमान भी प्रक्रती में देखा जाता आउटर स्पेस में
02:18और 10,000 डिगरी लाखों डिगरी वो सब तापमान भी देखा जाता सुपर नोवाज में
02:27तो प्रक्रती में तो यह सब कुछ है
02:29प्रक्रति लेकिन अगर जो पूरी रेंज है उसमें तापमान की
02:36उसको मनुष्य के लिए शून्य दसंबल शून्य शून्य शून्य शून्य एक प्रतिशत भी बदल दे
02:41तो हम सब या तो जम जाएंगे या भाप हो जाएंगे
02:45प्रक्रति माइनस 273 से करोणों डिगरी तापमान तक जाती है ठीक है
02:55सूरज की सतह पर कितना तापमान होगा सूचो
02:59और उसमें एक बहुत छोटी सी रेंज है जिसमें हम जुन्नू लोग अपना कूदफान मचाते है
03:05हम कौन सी रेंज में जी सकते हैं
03:07मान लो शून्ने से 20-30 डिगरी नीचे से लेके शून्ने से 60 डिगरी उपर
03:11कुल मिलाकर 100 डिगरी की भी रेंज नहीं है जिसमें हम बच सकते हूँ
03:16और वो भी तब जब हमारे पास हीटिंग है और कपड़े हैं और तमाम तरीके के औजार हैं और विवस्थाएं
03:25अगर यह सब कपड़े उपड़े ना हो तो हम अधिक से अधिक 5 डिगरी से लेके 25 या 35 डिगरी तक में बच पाएं
03:34रेंज और छोटी हो जाएगी तो प्रक्रते को क्या करना है जो वो पूरी रेंज है उसकी अपनी उसको जरा सा ऐसे आगे पीछे कर देगी हमारे लिए
03:44हमारे लिए तो हम कहीं के नहीं रहेंगे तो ये भी सोचना कि मनुष्य ने प्रक्रते के साथ बुरा करा तो अब प्रक्रती दंड दे रही है ये भी अपने आपको बहुत बड़ा मानने वाली बात है प्रक्रती इतनी बड़ी है कि उसे हमें दंड देने की भी जरूरत नह
04:14आपको पता भी नहीं हुआ है कभी
04:16कि आप उठो और पाओ कि
04:18ऐसे मच्छर मरा हुआ है बहाँ पे
04:19क्योंकि जब आपका खून पी रहा था तभी आपने
04:22करवट ले लियो मर गया
04:23हम प्रक्रति के सामने ऐसे मच्छर
04:26बहुत बड़ा होता है इंसान के सामने
04:27हम प्रक्रति के सामने
04:29धूल के एक करण का
04:31शतांश भी नहीं है
04:32वो करवट क्या लेगी वो
04:37इतनी सी गति कर दे इंसान क्या चीज है उसके सामने
04:42बात समच में आ रही है
04:45फिर इंसान भूल क्या करता है
04:48इंसान ये बात समझता नहीं है
04:51कि तुम्हारा काम
04:53प्रक्रति को भोगना नहीं है
04:55भोगा किसी छोटी चीज को जाता है
04:59आप कुछ खाते हो
05:02जो चीज आप खाते हो
05:04वो आपके मुँख के आकार से छोटी होती है
05:06तभी खाते हो
05:06प्रक्रति बहुत बड़ी है
05:09उसको भोगा नहीं जा सकता
05:10मुर्खता है
05:12लेकिन फिर भी हम उसे भोगना चाहते हैं
05:15क्यों भोगना चाहते हैं क्योंकि हम स्वयम को नहीं जानते
05:18हमें पता ही नहीं है दो बाते
05:22पहला तुम जो चाह रहे हो वो प्रकृति को भोग के मिलेगा नहीं
05:26और दूसरी बात जिसको तुम भोगने जा रहे हो वो बड़ी मा है तुम कोशिश भी कर लो तो तुम उसको भोग सकते नहीं
05:35अरे तुम क्या कर लोगे तुम अधिक सदिक ये प्रत्वी ग्रह वरवाद कर दोगे इससे तुम्हारी प्रजाती मिट जाएगी
05:39पूरे ब्रहमांड को देख लो तो उसमें प्रत्वी ग्रह की हैसियत क्या है
05:43समूचे ब्रहमांड के सामने प्रत्वी ग्रह कितना बताओं
05:49शुरू करो
05:51गंगोत्री से ही शुरू कर दो
05:57और सीधे बंगाल की खाड़ी तक चले जाओ
06:00ठीक है
06:02और गंगा में जितनी बूंदे हो
06:05उनमें से एक बूंद के बराबर है ब्रहमांड में प्रत्वी की हस्ती
06:12अबश में आरी बात है
06:18भारत का पूरा पश्चमी तट्र ले लो
06:23गुजरात से शुरू करो केरल तक चले जाओ
06:27उसमें बीच में रेतीली बीचें आती है
06:31रेत वाले तट बीच आती है
06:35कितने उस पे धूल के कड़ोंगे
06:37कितने होंगे
06:41या थार का रेगिस्तान ले लो
06:45उसमें कितनी रेत के कड़ोंगे
06:47तो प्रत्वी के हैसियत ब्रहमांड में
06:51पूरे थार के रिगस्तान में जितनी बालू है रेत उसके एक कन से भी कम है तुम प्रक्रती को क्या नुकसान पहुचा लोगे युबार मैंने कहा था लोग बोलते है न ग्लोबल वार्मिंग इस फीवर अफ प्लैनेट मैं गादा था अर्थ
07:16is not sick the earth is just adjusting itself to eliminate man अर्थ का कुछ नहीं जाता तुम्हारा सब कुछ जाता है इसमें तेहरा घाटा मम्मी का कुछ नहीं जाता तू अभी दो सेकेंड पहले पैदा हुआ है
07:38evolutionary time scale में तू दो सेकेंड पहले उस दिन में IIT में भी यही बोल रहा था न
07:43evolution की दृष्टी से तू दो सेकेंड पहले पैदा हुआ है अब मम्मी अर्बों साल पुरानी है
07:51और तेरे जैसे वो एक सेकेंड में लाख पैदा करती है उनका क्या जाएगा तू मिट जाएगा ये भी कहना let's save the planet let's save the planet है हंकार की बात है हम इतने बड़े हैं कि हम
08:12वो तुम्हारे आने से पहले भी थी और वो तुम्हारे जाने के बाद भी है बिटा तू अपनी बचा
08:21और मनुष्य है जो इन छोटी temperature ranges में survive कर सकता है
08:31प्रक्रतिब बढ़े हुए तापमानों पर भी जो प्राणी
08:40मौज में बचे रह जाएं ऐसों को विक्सित कर देगी हां ऐसों को विक्सित करने में हो सकता है दस लाख वर्ष लगे
08:46प्रक्रति के लिए दस लाख वर्ष क्या है समय तो उसकी जेब में
08:50प्रक्रतियों कोई प्रतिक्षा करनी पड़ती है
08:54जैसे तुम प्रक्रति के बच्चे हो
08:56जुन्नू
08:56वैसे ही समय भी क्या है
08:58प्रक्रति का बच्चा
08:59किसी चीज में 10 करोड साल लग रहे हैं
09:02तो प्रक्रतियों कोई आपती नहीं है
09:04उसके लिए 10 करोण वर्ष क्या है जैसे पलक जपकी
09:06समझ में आ रही यह बात
09:12वो इतनी बड़ी है
09:16कि वो पलक भी जपके
09:18तो हमारे लिए महाप्रले है
09:21या क्या है
09:25मा ने बस सांस लिये
09:28और हमारे लिए
09:32चक्रवात आ गया वो कुछ नहीं है
09:34क्या है जड़ा सी माने सांस लिये
09:37जिसको आप सूरज बोलते हो
09:46सूरे देउता बोलके उपासना करते हो
09:47आपको मालू मैं वो एक
09:48दुनिया के आधे तारे उस सूरज से बड़े है
09:52हम चीज क्या है
10:01लेकिन जिसको नमन करना चाहिए
10:05जिसके साथ हमारा रिष्टा
10:07बस हो सकता है कि उसको देखें
10:09साक्षी हो करके
10:11हम निकल पड़ें उसको भोगने के लिए
10:14हम यहते कोई देवी खड़ी हो
10:23पूर्ण अपने विक्सेत आकार में
10:27अस्त्र शस्त्र से सुसजित
10:28और कोई मच्छर आके बोल रहा हो मैं इनको भोगूँगा
10:32क्योंकि मैं बहुत कामुक आदमी हूँ
10:35मैं देवी को भोगूँगा
10:36और देवी माने देवी
10:38और मच्छर क्या बोल रहा है
10:39मुझे भोगना है
10:41कुछ नहीं करना है
10:45उसको बाद ऐसे देख लेना है
10:46देखनी भर से भस्म हो जाएगा
10:48भस्म माने क्या माने जल नहीं जाएगा
10:50दिल का दौरा पड़ जाएगा उसको
10:52sacredness ये शब्द हमारे
11:01व्याकरण से लुप्त हो गया है
11:04sacred माने वो जो इतना बड़ा है
11:08कि उसको छूने का प्रयास भी नहीं करना चाहिए
11:12उन्होंने भी sacred नहीं माना प्रक्रति को
11:19जिन्होंने consumption करा
11:21और sacred तो वो भी नहीं मान रहे हैं
11:24जो एक्टिविजम कर रहे हैं
11:26sacred माने बहुत बड़ा मानना
11:29अगर आप कह रहे हो मैं तुझे आके बचा लूँगा
11:33तो जिसको बचा रहे हो उसको बड़ा मान रहे हो क्या
11:35तो एक्टिविजम में भी sacredness कहा है
11:40अगर sacredness आती है तब जब कुछ बहुत बड़ा लगता है
11:52तो फिर प्रशन उठता है किसके लिए बड़ा मेरे लिए बड़ा ना
11:55sacredness सिर्फ तब आती है जब आत्मग्यान होता है अपना पता होता है हम कितने छोटे हैं
12:02हमारी पूरी शिक्षा में कहीं आत्मग्यान नहीं हैं हम नहीं जानते हम कौन हैं
12:08तो हमें पता ही नहीं हम छोटे हैं कितने हैं
12:10तापमान बदल जाता है
12:18तुम्हारा सब कुछ बदल जाता है
12:20मनुष्य क्या है
12:21मनुष्य अपनी एक सोच है, धारणा है
12:23मनुष्य अपना मन है
12:26प्रियोग हो चुके हैं
12:30शोध है और उन शोधों की कोई ज़रोध भी नहीं ये बात आपके आम अनुभव की है अभी इस कमरे में जितना तापमान हो बदल जाए आपका विचार बदल जाएगा इनसानी बदल जाएगा
12:41और ये बस खाल की बात है तापमान नमी जबाओ एट्मॉस्फेरिक प्रेशर ये बदल जाए आप पूरे बदल जाओगा इनसानी दूसरा हो जाएगा
12:59आप पूरी तरह से प्रक्रति के उत्पाद हो अभी इस कमरे में उमस बढ़ जाए नमी आर्द्रता आपके विचार बदल जाएंगे की नहीं
13:14प्रयोग हो चुके हैं लोगों को अलग-अलग तरीके के महौल में सुलाया गया उनको सपने ही अलग-अलग आए
13:20महौल माने कहीं कोई सो रहा है वहां एक तरह की आवाज है कहीं दूसरे तरह की आवाज है कहीं कोई सो रहा है वहां बिलकुल अंधेरा है कोई सो रहा है वहां थोड़ी रोशनी बीच बीच में रोशनी भी अलग-अलग तरीके की है तापमान अलग करके देखे गए उनकी
13:50आप उसके आधीन हो
13:51आप जिससे छेड़ शाड़ कर रहे हो आप उसके आधीन हो
13:58जिसको आप छेड़ रहे हो बदल गया तो आप नहीं बचोगे
14:01नहीं समझे
14:05तुम इस कमरें बैठे हो
14:11मानलो तुम्हारे पास यहाँ पर कोई विवस्था है
14:15जो यहाँ तापमान निश्चित करती है
14:19जो यहाँ पर कितना प्रेशर होगा यह निश्चित करती है
14:22ठीक है?
14:25यहाँ पर कितनी धूल होगी हवा में यह निश्चित करती है
14:27तुमने उसे छेड़चाड कर दी
14:30तुमने उसे छेड़शार कर दी तुमने अस्था खराब कर दी या खुद को मार डाला
14:35तुम उसी की पैदाईश हो
14:40जब एक खास एक्मोस्फरिक प्रेशर हुआ
14:42एक खास टेंपरिचर हुआ
14:45तो उससे इंसान खड़ा हुआ
14:47तुम प्रक्रति पर कहीं से भेजे नहीं गए हो
14:52लोग इस तरह की भाषा का इस्तिमाल करते हैं
14:53जब मैं इस दुनिया में आया
14:55कोई मर जाता तो बोलते हैं अब वो दुनिया छोड़ के चला गया
14:57कहां
14:58तुम इस दुनिया में कहीं से आये नहीं हो
15:01तुम इसी मिट्टी से उठे हो
15:02और तुम इस मिट्टी से उठे हो
15:05क्योंकि यहाँ पर कुछ विशेश परिस्थितियां थी
15:07तुम उन्ही परिस्थितियों से छेड़ चाड़ कर रहे हो
15:10तुम दुबारा मिट्टी हो जाओगे
15:12तुम जिन परिस्थितियों की पैदाईश हो
15:17तुम उन्ही परिस्थितियों को
15:19अल्टर कर रहे हो, बदल रहे हो
15:21कोई वज़य है ना कि प्रत्वी ग्रह पर जीवन है
15:25मंगल पर नहीं है, क्या वज़य है
15:26कोई ऐसा थोड़ी है कि कोई परमात्मा बैठा है
15:31जिसने का प्रक्रत ही मेरी फेवरिट है
15:32प्रत्वी मेरी पसंदीदा है, प्रत्वी पर ही जीवन होगा
15:36ऐसा है क्या, कि कि दूसरे लोग से
15:40कोई दिव गुलेल से परमात्मा ने मनुष्य को खैच के फेका
15:46और कहा कि इसमें जो
15:48मेरा सबसे प्रियग रहा है वो प्रत्वी है
15:51प्रत्वी परी जाके लैंड करे ये
15:53ऐसा तो कुछ नहीं है
15:54यहां कुछ परिस्थितियां है
15:57जिनसे इंसान निर्मित हुआ
16:00तुम उन परिस्थितियों को बदल रहे हो
16:02अच्छा यहां धूली धूल होती
16:06तो इंसान होता
16:07होता
16:10जब इंसान ही आ हुआ
16:13तो धूल कितनी थी
16:15AQI कितना रहा होगा
16:16कुछ भी नहीं
16:19किसी बहुत शान जगह पर चले जाओ
16:21तो वहां पर AQI एक से भी नीचे होता है
16:23जब AQI इतना कम था
16:27तब जाकर के इनसान प्रत्वी पर निर्मित हुआ
16:31अब अगर AQI तुमने 500 का कर लिया है
16:35तो वो हवा इनसान को अब जीने देगी क्या
16:38जाहिर सी बात है नहीं क्योंकि तुम्हारा सिस्टम ही डिजाइंड है
16:42AQI less than 1 के लिए
16:44और उस सिस्टम को तुम AQI greater than 500 दे रहे हो
16:47वो सिस्टम तो खतम हो नहीं है
16:49आपको मालूम है यह आख हैं
16:55चुकि इनसान सबसे पहले अफरीका में खड़ा हुआ था
16:58आपकी आखों को व्रिक्ष देखने जरूरी है
17:03क्योंकि आप जंगल से अभी दो दिन पहले निकले हो
17:10अगर इनसान 100 साल पुराना है
17:11तो जंगल से वो बस अभी अभी निकला है
17:14अगर आप मानो हो कि इनसान कि प्रत्वी पर कुल अवधी 100 वर्ष की है
17:21तो जंगल से वो बस अभी अभी निकला है
17:23उसे पहलो जंगल में रहता तो जंगल में रहता तो आँखे क्या देखती थी
17:25आपकी आँखों को हरीतिमा देखनी जरूरी है
17:29और आपकी आँखें पढ़ने के लिए निर्मित भी नहीं है
17:35बात समझ रहो
17:41और आपकी आखें डेड़ सो की स्पीड पर कुछ देखने के लिए बनी भी नहीं है
17:47आप जो गाड़ी चलाते हो वो आखों के साथ अन्या है
17:52क्योंकि आखें ऐसी हैं ही नहीं कि वो कुछ समझ पाएं कि चल क्या रहा है
17:58आखें कभी नहीं चली आपकी टांगें कितना दोड़ सकती हैं
18:01बीस तीस अधिक्तम गति आखें उतने में तो पता लगा लेती हैं क्या चल रहा है
18:06उसके आगे फिर आखें जवाब देना शुरू कर देती है
18:09टीवी देखने के लिए आपकी आखें बनी ही नहीं है
18:15समझ में हारी यह बाती है
18:20इसमें से कुछ चीज़ें ऐसी हैं जिनके हम कुछ व्यवस्था कर सकते हैं
18:25ज़ते चश्मा लगा लिया
18:26क्योंकि आप देखोगे टीवी मुबाइल आप किताब पढ़ोगे
18:31तो ठीक चलो चश्मा लगा लो
18:33लेकिन तापमान का क्या करोगे
18:36बारिश का क्या करोगे
18:40आप जलचर तो हो नहीं
18:44पानी बढ़ाएगा
18:45क्या करोगे
18:47मनुष्य को तो प्राकृतिक रूप से तैरना भी नहीं आता
18:53प्रकृति में जानवार होते हैं जो तैरते हैं
19:00वो खुद बखुद तैरते हैं, उनका छोटा सा बच्चा डाल दो तैर जाएगा
19:02और जानवर होते हैं, जो नहीं तैरते हैं, वो पानी के आसपास भी नहीं होते
19:07जाजातर जानवर जो होते हैं प्रक्रति में, जंगल वाले, वो सब तैर जाते है
19:14आपको बता है भैंस तेहरती है
19:17आपको बता है हाथी तेहरता है
19:18यह सब मस्त तेहरते है
19:20तो चो हाथी तेहरता है
19:22पानी बढ़ाएगा आप तेहर लोगे
19:28और वो थोड़ा बहुत नहीं तेहरते हैं कि स्विमिंग पूल है
19:32हाथी तेहर कर
19:35अमेजन पार कर जाता है
19:36आप जो कर रहे हो उसे समुद्रों को जलस्तर बढ़ेगा
19:42लेशेर पिखलेंगे
19:44नदियों में भी बाढ़ हाईगी पहले तो
19:45आप क्या करोगे
19:48एक चीज़ और आखिरी इसमें
19:59दुनिया में जितने जीव हैं
20:01उनमें से मनुष्य प्राकृतिक रूप से सबसे असुरक्षित है शारीरिक तल पर
20:06हमारी खाल पर तो अब बाल भी नहीं होते
20:11अगर मनुष्य दौरा निर्मित विवस्था
20:21तूटती है चर्मरा के
20:23तो किसी भी अन्य प्रजाति से ज्यादा मनुष्य को दुख होना है
20:28बाकियोंने प्रकृतिके भीतर अपने लिवस्था बना रखी है
20:38इंसान अकेला है जो प्रकृति निर्मित नहीं स्वर अचित विवस्था पर अब आश्रित है
20:44आप नंगे पाउं चल सकते हो
20:48दुनिया का एक एक प्राणी नंगे पाउं चलता है आप नंगे पाउं नहीं चल सकते अब
20:52आप तो अब बिना ब्रश की है न जीपाओ
20:59सर में दर्ध हो जाएगा
21:00दुनिया कोई प्राणी दात नहीं माजता
21:02आपके लिए प्रतिदिन नहाना जरूरी हो गया है
21:09दुनिया में कोई प्राणी नहीं प्रतिदिन नहाता
21:10आपको कहां से मिलेगा नहाने को पानी जब पीने को पानी नहीं है नहाने को कहां से पाओगे
21:14प्रक्रते से दूर होकर हम शारीरिक रूप से सबसे असुरक्षित जीव बन गए हैं
21:24और मानसिक रूप से भी
21:25दुनिया की किसी प्रजाती में अवसाद, डिप्रेशन, मेंटल हेल्थ
21:32की उतनी बड़ी समस्या नहीं जितनी मनुश्य में
21:37आपने देखा है, आपको थोड़ी धूप लग जाए, आपकी खाल जल जाती है
21:44और भैसे तो दिन भर धूप में रहती हैं, तो नहीं जलती
21:47दुनिया के सब प्राणी अभी भी ऐसे हैं कि उभूख बरदाश्ट कर लेते हैं
21:58आपके लिए एक दिन का व्रतु पवास इतनी बड़ी बात हो जाती है कि आप उसको भगवान से जोड़ देते हो
22:04एक दिन नहीं खाया तो अब मुझे भगवत प्राप्ते हो जाएगी
22:07दुनिया के जितने जीव हैं सब की जिन्दगी ऐसे ही चलती है कि एक दिन खाया दो दिन नहीं खाया उनका चलता रहता है
22:24आप कैसे जीव होगे बताओ
22:25और थोड़ी उच नीच हो जाए जिन्दगी में तो हमें डिप्रेशन हो जाता है
22:30बंदर को कभी देखा डिप्रेशन में प्रले जैसी स्थिति जब बनेगी तो बाकी प्राणी किसी तरह अपना गुजारा कर लेंगे
22:40आपका क्या होगा
22:44और अगर वो मरेंगे भी विलुप्त भी होंगे तो दर्द सहकर मरेंगे दुख सहकर नहीं
22:54मर जाएंगे खत्म हो जाएंगे पर उनको यह नहीं होने वाला
22:58अग्जाइटी डिप्रेशन आपका क्या होगा ना तो हमारा शरीर इसलायक है कि कुछ
23:03सह सके ना हमारा मन इसलायक है कि कुछ सह सके
23:08हम प्रत्वी की सबसे कमजोर प्रजाती है
23:11most vulnerable
23:15प्रत्वी की एक चौथाई आबादी ऐसी है
23:22जो आन्शिक रूप से अपूर्ण रूप से
23:25मनुष्य द्वारा निर्मित दवाओं पर आश्रित है
23:28एक चौथाई ऐसे है
23:32जो या तो एकदम ही ऐसे हैं कि दवाई न मिली तो उसी दिन मर जाएंगे
23:38या ऐसे हैं कि दवाई नहीं मिली तो धीरे-धीरे मर जाएंगे
23:41या आपकी फैक्टरियां अगर बाधित होनी शुरी हुई दवाईयों की फर्मिसीज
23:48आप जीलोगे दुनिया का कोई प्राणी दवाईयों पर इतना आश्रित नहीं है इतना मनुष्य
23:54कोईट के दिनों में एक मामला आया था एक आदमी पागल हो गया अपने बाल नोच नोच के
24:10क्योंकि उसने जिन्दगी में कभी बाल नहीं बढ़ाई था दाड़ी नहीं रखी थी
24:13उसके बाल बहुत बढ़ गाए उसने नोचने शुरू कर दिये
24:21कितना नोचेगा तो सचमुच पागल हो गया
24:24छोटी थी बात है पर सोच लो
24:28प्रक्रते से दूर जा जाके हमने अपने आपको बहुत कमजोर कर लिया है
24:36और अब तुर रहा ही है कि हम
24:39बिना अपनी कमजोरी को जाने प्रक्रते से और खिलवाल कर रहे हैं
24:44खाना तो हमको ऐसा लगता है जैसे बाजार में मिलता है
24:49फसले वैसे यूगती रहेंगी अगर तापमान उपर नीचे हो गया तो
24:54उत्तर भारत में आप फरवरी, मार्च, अप्रेल, मई में बारिश करोगे
25:08तो खाने को क्या पाओगे
25:10पर हमें लगता है नहीं यह तो फैक्टरी प्रोड्यूस्ट है आटा
25:19जिसे पच्चे से पूछो आटा कहां से आता है वो लेगा फैक्टरी से आता है
25:23उसको पूछो खेत क्या होता है वो लेगा जहां फार्मा उस होता है
25:31फसलोग लेगी तापमान उपर नीचे हो गया तापमान ही नहीं होता यह पहले ग्लोबल वार्मिंग बोलते थे
25:42अब climate change बोलते हैं
25:43फिर climate crisis बोलते हैं
25:44सिर्फ warming की बात नहीं है
25:46उसमें precipitation भी है
25:48और उसमें तमाम तरह के extreme weather events हैं
25:52सिर्फ warming नहीं है
25:53rainfall का pattern पूरे तरह से बदल रहा है
25:56तुम क्या खाओगे यह बता दो
25:59प्रक्रति का कुछ नहीं बिगड़ता
26:04वो दूसरी प्रजातियां पैदा कर देगी
26:06जो दूसरी चीज़ें खाती है
26:08तिल्चटे हैं उनको बोलते हैं कि वो पत्थर भी खा लेते हैं
26:21बोलते हैं
26:23क्या थे nuclear war भी हो जाए तो तिल्चटे नहीं मरेंगे
26:34पर इनसान अपनी ऑकात भूल गया है
26:43यह आत्मग्यान की कमी से होता है
26:45आत्मग्यान का मतलब ही है
26:47अपनी ऑकात पर रखते रहना
26:50हम कह रहे हैं
26:54बड़ी मा का भोग तो हम करते ही रहेंगे
26:58बस भोग करने के हम ज्यादा चतुर
27:01चालाक तरीके निकाल लेंगे
27:04रिनियूवबल एनरजी
27:06क्लीन ग्रीन एनरजी और यह सब कुछ
27:12भोग कम नहीं करूँगा
27:13भोग करने के लिए मैं चालाकी पूर्ण तरीके निकाल लूँगा
27:18मैं अपनी एनरजी रिकॉर्मेंट उतनी ही रखुँगा
27:24बस मैं अब एक चालाग तरीका लेकर आ रहा हूँ जिससे carbon emission नहीं होगा, कैसे नहीं होगा, किसको मूर्ख बना रहे हो, जिसको आप green energy बोलते हो, उसकी पूरी over the life cycle cost लेकर के मुझे दिखा दो कि वो कैसे clean है,
27:39UAE में और उधर आसपास के जो सब अरब देश हैं उनमें, आप अभी पढ़ियेगा, पिछली गर्मियों की खबर है, कुछ गाओं, कुछ शेहर ऐसे थे जिनको हमेशा के लिए abandon कर दिया गया है,
28:01कुछ ऐसे थे जिनमें थ्री डे वर्क वीक करना पड़ा, अब उनमें तापमान इतना हो गया कि उनमें अब रहा नहीं जा सकता, उनको छोड़ दिया गया, वो पूरे शम्शान हो गए, ये दुनिया के बहुत सारे शेहरों का भविश्य है, पूरा ही छोड़ देना पड�
28:31हो जाएगा, कोई बर्फ के नीचे दब जाएगा, कोई पानी के नीचे आ जाएगा, कहीं हर समय तूफान चल रहे होंगे, कहीं इतना सूखा पड़ रहा होगा कि वहां पीने का पानी नहीं मिलेगा तो वहां रहेगा कौन, ये दुनिया के अधिकान शेहरों का भविश्य
29:01अमीरों को फर्क नहीं पड़ता, वो कहते हैं कोई भी चीज कितनी भी कम हो जाए, इतना ही तो होगा ना कि उसके दाम बढ़ जाएंगे, पानी बहुत कम हो जाएगा, हम 10,000 रुपए में एक बोतल खरीद के पीलेंगे, हम अमीर हैं
29:31आप कह रहे हो कि जो एरपोर्ट था वो सी पोर्ट बन गया, अमीरों को फर्क नहीं पड़ता, उनकी बड़ी बड़ी अट्टा लिकाएं हैं, उनकी छत पर हेलिपैड है, वो कह रहे हैं हमें चलना ही कौन सा पब्लिक कन्वेयंस से हैं, आप जिसको हवाई जहाज बोलते ह
30:01आप जालने वाले हैं, हमारे घर की छत पर हेलिपैड है, हम सीधे वहाँ से जाएंगे, वहाँ थोड़ी पानी भरा है, और सही बात है, वहाँ थोड़ी पानी भरा है, और जो उनसे भी ज्यादा अमीर हैं, वो कहते हैं, आरे तुम छोड़ो हेलिकॉप्टर, मेरे पास र�
30:31आठ दस बच्चे पैदा करो, दुनिया भर का कंजम्शन करो, अभी मार्स भी तो तबाह करना है।
31:01पर पीर, जो पर पीर ना जा नहीं, ते का फिर बे पीर रिसा दो, ते का फिर बे पीर।
31:22कहता हूँ कही जात हूँ, कहा जो मान हमार।
32:15कहता हूँ कही जात हूँ, कहा जो मान हमार।
32:25जा का गला तुम काटी हो, सो फिर काटी तुम्हार।
32:35रिसा दो, सो फिर काटी तुम्हार।
32:43जात हूँ
32:55जात हूँ
32:57तुम्हार।
33:01जात हूँ
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