00:00इस तरह है कि हाथ से अब हर चौते दिन सामने आ रहे हैं जब कहीं कोई पती अपनी पत्नी की या पत्नी अपने पती की या प्रेमी अपनी प्रेमिका की हत्या कर देता है तो हम बहुत शोर मचाते हैं वो शोर मचाके कहीं हम खुद कोई नहीं चाता ना चाते कि हम ठीक हैं सा
00:30गंदगी बस प्रकट कहीं कहीं हो जाती है, रिष्टों की एक ही स्वस्थ बुनियाद हो सकती है, वो है प्रेम, प्रेम के नाम पे हम बस पशुता जानते हैं, क्योंकि प्रेम तो अध्यात्मिक ही होता है, अध्यात्म से हमारा कोई लेना देना नहीं, और प्रेम ऐसी चीज �