पूरा वीडियो: अकेली हूँ, जीवन में साथी की कमी चुभती है || आचार्य प्रशांत (2024)
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00:00तो हमें पुरुष को लेकर या इस्तरी को लेकर के वासना जागरत करी जाती है फिल्मों, किसे, कहानियों, समाज, शादी, विवाह, प्रपंच, इनके माध्यम से एक पुरुष और एक इस्तरी समुदर के तट पर विचरन कर रहे हाथ में हाथ लेकर के
00:12और सामने सुर्यास्त हो रहा है और पीछे से फोटो कीची गई, यह से लूट आ रहा है और सुख की ये छवी हमारे छप जाती है
00:18कि मेरे जीवनें भी कोई होगा जिसके साथ मैं समुदर तट पर बीच पर ऐसे सुर्यास्त के समय चलूँगी
00:23अब इसमें सेक्स कहीं नहीं है, वो देखो क्या आपना हाथ में हाथ डाल कर मस्त हैं
00:26और संसेट हो रहा है और मैं या अकेली घूम रही हूँ, मैं कैफे में अकेली बैठी ह worn, मैं सिनेमा हॉल में
00:31केली बैठी हूँ वो देखो कपल बैठा हुआ है
00:33ये सब आपको किसने सिखाया एक दिना बच्ची थी
00:35आपको ये सब नहीं पता था ये सब छविया है
00:37जो आपके भीतर डाली गई है
00:38समाज ने आपको एक सामाजिक
00:41स्तरी बना दिया मनुष्य नहीं
00:43रहने दिया आप एक मनुष्य है आप क्या करेंगी
00:45किसी के हाथ में हाथ डालके बताइए तो
00:47इससे बड़ा दुश्मन किसी
00:49इस तरी का नहीं हो सकता ये जो भाव है
00:51I need a man in my life