00:00एक चीज पड़ी थी, आचारे दजनीश के बारे हैं, तो जहाड पर बेटेते हैं, महीं पर वो दिहान करते हैं, उन्होंने रिखा कि एक बार जटका लगा और में नीचे गिरा, और में ने देखा कि शरीर नीचे गिरा था, वहां से एक चांकी का ताथ मेरी नादी पर और �
00:30करीब आयू थी, इतना ही जी पाए थे, कुछ बाते हैं जो लोगों की लिस्निंग खोलने के लिए बोलनी जरूरी होती हैं, 1960 के दशक में ये बात वो कह रहे थे, तो एक बड़े ब्रक्ष पर उपर बैटकर में ध्यान करता था रोज रात, एक दिन ध्यान में कब कितना ल
01:00और देवी ये प्रपंच करके बैठे हो, वो कुछ नहीं है, तो सोचिए 1960 के दशक में, वो भी मध्यभारत का वो इलाता है, कोई बहुत शिक्षित नहीं, बहुत विक्सित नहीं, वहां अगर वो ये सब ना बोलने तो कोई सुनेगा, तब मैंने चौक कर देखा कि ये क्य
01:30बोल दो कि तो देखो फिर क्या होता है, ये ये कमरा क्या ये ये वेटर नो इड़ा चोटा पड़ जाएगा, इना चाहते वए भी आखिरकार इसका हो ही गया, आप जिनकी बात कर रहे हैं, अचारी रजनीचनों नहीं खुद बोला था, कि ये इंलाइटनमेंट इस दालास
02:00जल्दी चले गए, थोड़ा और जीए होते हैं, तो फिर खुदी कहते हैं, चुटकुले की तरह ही सुनो