"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा
यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸
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00:00मुरली अमरित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शांती
00:26आईए सुनते हैं साथ जून दो हजार पच्चिस दिन शनीवार की साकार मुरली
00:33शिबाबा कहते हैं मीठे बच्चे तुम अभी पुजारी से पूज्य बन रहे हो
00:38पूज्य बाप आए हैं तुम्हें आप समान पूज्य बनाने
00:42प्रश्न
00:43तुम बच्चों के अंदर कौन सा ध्रिड विश्वास है
00:47उत्तर
00:48तुम्हें ध्रिड विश्वास है कि हम जीते जी बाप से पूरा वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे
00:53बाबा की याद में यह पुराना शरीर छोड़ बाप के साथ जाएंगे
00:58बाबा हमें घर का सहज रास्ता बता रहे हैं
01:01गीत
01:02ओम नमो शिवाए
01:05ओम शान्ती
01:07ओम शान्ती ओम शान्ती तो बहुत मनुष्य कहते रहते हैं
01:13बच्चे भी कहते हैं ओम शान्ती
01:14अंदर जो आत्मा है वह कहती है ओम शान्ती
01:18परन्तु आत्माएं तो यथार्थ रीती अपने को जानती नहीं है ना बाप को जानती हैं
01:24भल पुकारते हैं परन्तु बाप कहते हैं मैं जो हूँ जैसा हूँ यथार्थ रीती मुझे कोई नहीं जानते
01:31यह भी कहते हैं कि मैं अपने को नहीं जानता था, कि मैं कौन हूँ, कहां से आया हूँ
01:36आत्मा तो मेल है न, बच्चा है, फादर है परमात्मा, तो आत्मा ये आपस में ब्रदर्स हो गई
01:43फिर शरीर में आने कारण कोई को मेल, कोई को फीमेल कहते हैं
01:48परन्तु यथार्थ आत्मा क्या है? यह कोई भी मनुष्य मात्र नहीं जानते. अभी तुम बच्चों को यह नॉलेज मिलती है, जो फिर तुम साथ ले जाते हो. वहाँ यह नॉलेज रहती है, हम आत्मा हैं. यह पुराना शरीर छोड दूसरा लेते हैं. आत्मा की बहचान सा
02:18याद करते हैं. मैं आत्मा बिंदी हो, बाप भी बिंदी है. उस रूप में याद करें ऐसे बहुत थोड़े हैं. नंबर वार बुद्धी है न? कोई तो बहुत अच्छी रीती समझ कर औरों को भी समझाने लग पड़ते हैं. तुम समझाते हो, अपने को आत्मा समझ बाप
02:48को ही नहीं पहचानते हैं, इसलिए बाप को भी पूरा जान नहीं सकते हैं. अभी तुम बच्चे जानते हो, हम आत्मा बिंदी हैं. इतनी छोटी सी आत्मा में 84 जन्मों का पाठ है. यह भी तुमको समझाना पड़े. नहीं तो सिर्फ कहते हैं, ज्यान बहुत अच्छा है.
03:18तुम जानते हो ज्यान की समझ कोई में भी नहीं है. तुम समझाते हो, अभी हम पूज्य बन रहे हैं. हम किसकी पूजा नहीं करते हैं? क्योंकि जो सबका पूज्य है, उन्च-टे-उन्च भगवान उनकी हम संतान है. वे है ही पूज्य पिताश्री. अभी तुम बच्चे
03:48तुमको अभी पूजे मिला है, जो आप समान बना रहे हैं, तुमसे पूजा छुडा दी है, अपने साथ ले जाते हैं, यह चीची दुनिया है, यह ही मृत्यू लोग, भक्ती शुरू ही तब होती है जब रावन राज्य होता है, पूजे से पूजारी बन जाते हैं, फिर प�
04:18के लिए, तो तुम बच्चों को युक्ती दी है, बाप को याद करने से तुम पूजारी से पूजे बन जाएंगे, क्योंकि वह बाप है सर्व का पूज्य, जो आधा कल्प पूजारी बनते हैं, वह फिर आधा कल्प पूज्य बनते हैं, यह भी ड्रामा में पाठ है, ड्र
04:48वह निराकार है, वह नॉलिजफुल ही आकर पढ़ाते हैं, स्रिष्टी के आदी मध्य अंत का राज समझाते हैं, बाप आते हैं एक बार, उनको जानना भी एक बार होता है, आते भी हैं एक ही बार संगम युक पर, पुरानी पतित दुनिया को आकर पावन बनाते हैं, अभी �
05:18ग्यान दे रहे हैं, फिर कल्ब बाद भी बाप को आना पड़ेगा, बाप द्वारा जो इस समय जानना है, वह फिर कल्ब बाद जानेंगे, यह भी जानते हैं, अब पुरानी दुनिया का विनाश होगा, फिर हम सत्युग में आकर अपना पाट बजाएंगे, सत्युगी स्�
05:48कि स्टडी पूरी तब होगी जब विनाश के लिए सामगरी तयार होगी, फिर तुम समझ जाएंगे आग जरूर लगेगी, तयारियां तो होती रहती हैं न, एक दो में कितना गर्म होते रहते हैं, चारों तरफ भिन भिन प्रकार की सेनाएं हैं, सब लडने के लिए तयार ह
06:18एक दो को डराते रहते हैं कि ऐसा करो नहीं तो हमें ये बॉम्ज हाथ में उठाने पड़ेंगे, मौत सामने आ जाता है तो फिर बनाने के सिवाए रह नहीं सकते हैं, आगे भी लड़ाई लगी थी तो बॉम्ज लगा दिये, भाववी थी न, अभी तो हजारों बॉम्ज �
06:48और जीवन मुक्ती, सबकी आत्माएं पविद्र बन मुक्ती धाम चली जाएंगी, यह दुख धाम विनाश हो जाएगा जिसको मृत्यू लोग कहा जाता है, पहले अमर लोग था, फिर चक्कर लगाए, अब मृत्यू लोग में आये हो, फिर अमर लोग की स्थापना होती है
07:18बरूर होना है, यह 100% certain है, बाप समझा रहे हैं कि अपनी आत्मा को योग बल से पवित्र बनाओ, मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जाएंगे, परंतु यह भी बच्चे याद नहीं कर सकते हैं, बाप से वर्सा आत्वा राजाई लेने में मेहनत तो चाहिए न, जि
07:48देह अभिमान को छोड़ देना है, तुम आत्मा हो, यह तुम्हारा रत है, इससे तुम कितना काम करते हो, सत्यूग में तुम देवी देवता बन कैसे राज्य करते हो, फिर तुम यही अनुभव पाओगे, उस समय तो प्रैक्टिकल में आत्म अभिमानी रहते हो, आत्मा क
08:18बच्चों को बिमारी आदी में भी पुराने शरीर से कभी तंग नहीं होना है, क्योंकि तुम समझते हो, इस शरीर में ही जी करके बाप से वर्सा पाना है, शिर बाबा की याद से ही पवित्र बन जाएंगे, यह है मेहनत, परन्तु पहले तो आत्मा को जानना पड़े, मु
08:48और कोई नहीं जानते, जिन्होंने कल पहले बाप से वर्सा लिया था, वही लेंगे, मुख्य है याद की यात्रा, भक्ती मार्ग की यात्राएं अब खतम होनी है, भक्ती मार्ग ही खलास हो जाएगा, भक्ती मार्ग क्या है, जब ग्यान हो तब समझें, समझते हैं भक्ती स
09:18सब स्वर्गवासी थे
09:19बाप कहते हैं
09:205000 वर्ष पहले भी
09:22तुमको स्वर्गवासी बनाया था
09:23अब फिर तुमको बनाता हूँ
09:25फिर तुम ऐसे 84 जनम लेंगे
09:27यह बुद्धी में याद रहना चाहिए
09:29भूलना नहीं चाहिए
09:31जो ज्यान स्रिष्टी के आदी
09:33मध्य अंत का बाप के पास है
09:34वह बच्चों की बुद्धी में टपकती है
09:36हम कैसे 84 जनम लेते हैं
09:39अभी फिर बाबा से वर्सा लेते हैं
09:41अनेक बार बाप से वर्सा लिया है
09:43बाप कहते हैं जैसे लिया था
09:45फिर लो
09:46बाप तो सबको पढ़ाते रहते हैं
09:49दैवी गुन धारन करने के लिए
09:51भी सावधानी मिलती रहती है
09:52अपनी जाच करने के लिए
09:54साक्षी हो देखना जाहिए कि
09:56कहां तक हम पुरुशार्थ करते हैं
09:58कोई समझते हैं हम बहुत अच्छा
10:00पुरुशार्थ कर रहे हैं
10:01प्रदर्शनी आदी का प्रबंद करता रहता हूं
10:04ताकि सब को मालुम पढ़ जाए कि
10:06भगवान बाप आया हुआ है
10:07मनुश्य बिचारे सब घोर नींद में
10:10सोय हुए हैं
10:11ज्यान का किसी को पता नहीं है
10:13तो जरूर भक्ती को उच ही समझेंगे
10:15आगे तुम्हारे में भी कोई ग्यान था क्या
10:17अभी तुमको मालुम पढ़ा है
10:19ग्यान का सागर बाप ही है
10:21वही भक्ती का फल देते हैं
10:23जिसने जास्ती भक्ती की है
10:25उनको जास्ती फल मिलेगा
10:26वही अच्छी रीती पढ़ते हैं
10:28उच पद पाने के लिए
10:29यह कितनी मीठी मीठी बाते हैं
10:32बुढियों आदी के लिए भी
10:33बहुत सहज कर समझाते हैं
10:35अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो
10:38उच ते उच है भगवान शिव
10:40शिव परमात्माय नमा कहा जाता है
10:42वह कहते हैं मामे कम याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो
10:46बस और कोई तकलीफ नहीं देते हैं
10:50आगे चल शिव बाबा को भी याद करने लग पड़ेंगे
10:52वर्सा तो लेना है जीते जी बाब से वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे
10:56शिव बाबा की याद में शरीर छोड़ देते हैं तो वह फिर संसकार ले जाते हैं
11:01स्वर्ग में जरूर आएंगे जितना योग उतना फल मिलेगा
11:05मूल बात है चलते फिरते जितना हो सके याद में रहना है
11:09अपने सिर से बोजह उतारना है
11:11सिर्फ याद चाहिए और कोई तकलीव बाप नहीं देते हैं
11:15जानते हैं आधा कल्प से बच्चों ने तकलीव देखी है
11:17इसलिए अभी आया हूँ तुमको सहज रास्ता बताने वर्सा लेने का
11:21बाप को सिर्फ याद करो
11:23भल याद तो आगे भी करते थे परंतु कोई ग्यान नहीं था
11:26अभी बाप ने ग्यान दिया है कि इस रीती मुझे याद करने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे
11:32भल शिव की भक्ती तो दुनिया में बहुत करते हैं
11:35बहुत याद करते हैं परंतु पहचान नहीं है
11:38इस समय बाप खुद ही आकर पहचान देते हैं कि मुझे याद करो
11:42अभी तुम समझते हो, हम अच्छी रीती जानते हैं, तुम कहेंगे हम जाते हैं बाप दादा के पास
11:47बाप ने यह भागीरत लिया है, भागीरत भी मशूर है, इनके द्वारा बैठ ग्यान सुनाते हैं
11:54यह भी ड्रामा में पाठ है, कल्प कल्प इस भागीरत पर आते हैं, तुम जानते हो कि यह वही है जिसको श्याम सुन्दर कहते हैं, यह भी तुम समझते हो, मनुष्य ने फिर अर्जुन नाम रख दिया है, अभी बाप यथार्थ समझाते हैं ब्रह्मा सो विश्नु, विश्
12:24इसमा को अब बाप कहते हैं, सिर्फ मामेकम याद करो, तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे, इसलिए तुमको खुशी भी होती है, यह एक अंतिम जनम पवित्र बनने से, हम पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे, तो क्यों ना पवित्र बने, हमें एक बाप के बच्च
12:54को छोड़ना पड़े, लड़ाई लग जाए, एक बाप की ही याद रहे, इसमें महनत है, अच्छा, मीठे मीठे सिकी लथे बच्चों प्रती मात पिता, बाप दादा का याद प्यार और गुड मॉनिंग, रुहानी बाप की रुहानी बच्चों को नमस दे, हम रुहानी ब
13:24आप की याद में रहते हैं, दो, इस शरीर से कभी भी तंग नहीं होना है, इस शरीर में ही जी करके बाप से वर्सा पाना है, स्वर्गवासी बनने के लिए इस लाइफ में पूरी स्टडी करनी है, वर्दान, त्रिकाल दर्शी और साक्षी द्रष्टा बन हर कर्म करते बं�
13:54ऐसे ही साक्षी द्रष्टा बन कर्म करने से कोई भी कर्म के बंधन में कर्म बंधनी आत्मा नहीं बनेंगे, कर्म का फल श्रेष्ट होने के कारण कर्म संबंध में आएंगे, बंधन में नहीं, कर्म करते नियारे और प्यारे रहेंगे, तो अनेक आत्माओं के सामने द्रि�
14:24व्यर्थ संकल्प आत्मिक शक्ती अर्थात एनर्जी जमा करता है, समय भी सफल करता है, व्यर्थ संकल्प एनर्जी और समय को व्यर्थ गमाता है, इसलिए अब व्यर्थ संकल्प की रचना बंद करो, ये रचना ही आत्मा रचता को परिशान करने वाली है, इसलिए सदा इसी
14:54संगम की बेला है सुहानी ये समय है बड़ा वरदानी