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  • 2 days ago
आपके घर में कभी मेंढक आता है ! तो मेरी यह बात ध्यान से सुन लो ! premanand ji maharaj #motivation 🥀😱


अगर आपके घर में कभी मेंढक आता है
घर में मेंढक आना शुभ है या अशुभ
आज की कथा
15 मई 2025
15 मई की कथा

राधा नाम महिमा
राधा नाम की महिमा
नाम जप महिमा
नाम जप
राधा नाम जप
गुरु मंत्र महिमा
दान की महिमा
नाम जप चल रहा है
मनुष्य का सबसे बड़ा धन
इंसान का सबसे बड़ा धन

🌾🌷🌾🌷
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Transcript
00:00हमको इतना ग्यान होना चाहिए कि हमें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए
00:05हम कौन है, हमारा उद्देश्च जन्म का क्या है और उसकी प्राप्ति कैसे होगी
00:12हम कौन है, हमारे जद्म का उद्देश क्या है और उसकी प्राति कैसी होगी
00:18ये सब से पहले भगवत प्रेमी मात्माओं का सत्संग
00:25भगवत प्रेमी
00:27अगर भगवत प्रेमी मात्माओं का सत्संग ना मिले
00:31तो इन चारों प्रश्णों का उत्तर नहीं मिल सकता
00:34क्योंकि हमारी बुद्धी इतनी पवित्र नहीं है कि सास्त्रों के शिद्धांतों को समझ सके
00:40तो उनकी पवित्र बुद्धी जब हमारी बुद्धी की योगी शब्दों में सुनाते हैं
00:45तो हमारी समन में आ जाता है
00:46इसलिए भगवत प्रेमी महात्माओं का शंग
00:49दूसरा
00:52मेरी भी मृत्यू निश्चित है
00:55मेरा भी शरीर छुटेगा
00:58दूसरों का फूकने जा रहे हैं
01:00तो हमको ये चिंता हो जानी चाहिए
01:01कि मेरी भी मृत्यू होगी
01:03कब होगी
01:05कैशे होगी
01:06कौन सी दुरगटना गटेगी
01:08इसका कोई पता नहीं
01:09इसलिए
01:10हम अपने
01:12मृत्यू पर विजय प्राप्त करने के लिए
01:15भगवान का भजन करें
01:16मृत्यू भजन कराती है
01:18जब मृत्यू का भजय आता है
01:21तो भजन होता है
01:22अपने लोगों को तो
01:24सावधान करने के लिए
01:26हर समय गार्ट मिल गया है
01:27ये किड़नी जैसे असाध्य रोग है ये हर समय कहती रहती है मरोगे
01:33भजन करो
01:35इधर उधर मत देखो मरोगे
01:37कभी भी मर सकते हो
01:39बड़ी कृपा भगवान की
01:40हर समय पीड़ा याद दिलाती रहती है
01:43भजन करो
01:44भजन करो
01:44तो हर समय विवेक से जागरत रहो कि तुम्हारी भी मिलती होगी, तुम्हारा भी सरीर शूटेगा
01:49तीस श्रीवा
01:51सास्त्रों का नित्य श्वाध्याय करो, चाहे एक पेज ही करो
01:58दो इस लोगी अर्थ साइथ पढ़ोगी इताजी के
02:02दो इस लोग स्रीमत भागवत के पढ़ो, दो दोहा के बीच की सब चोपाई अर्थ साइथ पढ़ो, शास्त श्वाध्याय करो
02:09चोथा, संसारी पुरुषों के बीच में बैठ करके हसी मजाक प्रपंची की बातें ये छोड़ दो, कुशंग छोड़ दो
02:18जाके संग कुमति मति उपजय करत भजन में भंग दजोरि मन हर्भी मुखन को शंग, इस से तुम्हारे प्रशनों का उत्तर हो जाएगा, तुम्हारा इस संसार में आने का क्या करतब है, तुम कौन हो, जो तुम्हारा लक्ष क्या बना, उसकी पूर्ती कैसे होगी, इन चा
02:48मरत्यु को मरना है, आज नहीं तो पता नहीं कौन सा च्छन होगा, जिस समय सरीर छूट जाएगा, साब यहीं रह जाएगा, साब पूरा प्रपंच, कोई तुम्हें याद नहीं करेगा, और याद भी करेगा, आम नरक में हैं, तो क्या होगा उसकी याद से, शास्त्रों का
03:18है, तो पूरा राज परिकर उसके अधीन हो जाता है, मंत्री, शेनापती, शेना, खजाना, सब वैभो, इशी प्रकार, विवेक और अविवेक, यह अपने अपने राजा है, जहां विवेक जाग्रत हुआ, और शुरूप शिंगासन पर बैठा जीव, उसी समय पानंद, प
03:48दुनिया का प्रपंच सब उसके पाप का खजाना, यह सब एकत्रिक हो जाता है, इसलिए, अपनी सदगती के विशे में शोचो, जब तक तुम श्वा में इस्थित नहीं होगे, तब तक बच्चा ही थे तो एक प्रश्न के यह थे, कि अभिमान तो त्यागना चाहे, लेकि
04:18शमय वी भगवत किरपा से विवेक जागरत था, तो हमने का, श्वा को आपने कहां से लिया, जाति पक्ष से, देह पक्ष से, या श्वरू पक्ष से, अब तो थो संसारिक धरा कि है थे, उनका नहीं हम कहे रहे हो, तो श्वा अभिमान श्वा कहां इस्थापिद किया, आ�
04:48जो देखता है व आज्यानी है
05:16शरीर नेक हैं आत्मतत्रेक है
05:18जैसे करणा नेक है पंखा, हाईलोजन, एशी, माईक
05:23लेकिन सम्मे बिजली का संचार एक ही है
05:25ऐसे ही इस्त्री, पुरुष, जड़, चैतन ये सब सरीर अलग-अलग है
05:30लेकिन परमात्मा, आत्मा इनमें एक है
05:33जो ये जानता है, वो किस से किस की रक्षा करेगा
05:36कहां किस से अभिमान करेगा
05:37तो अग्यान अविवेक इसी को नष्ट करना साधना है
05:43विवेक इसी को जाकृत करना परमशिध्धावस्ता है
05:48जो 6 घंटे माला जबता है
05:53पर वो बिशही पुरुषों का संग करता है
06:03बड़ा भारी प्रभाब
06:04बाबा तो लिख रहे हैं कि सम मिट्टी हो जाएगा
06:08च्छै गंटे बजन करता है इसके बाद सोचता है
06:11यार बजन से पाप तो नष्ट हो जाएगे
06:13मनमानी पापा चरंग कर लेते हैं
06:15मौज लेते हैं मस्ती लेते हैं
06:17संसारिक
06:17तो बाबा कैने उसका च्छै गंटे का किया हुआ बजन सा मिट्टी पड़ जाएगा
06:21प्रकासित नहीं होगा
06:23बिपरीत भावना का त्याग करके यदि थोड़ा भी बजन किया जाए
06:28तो अखंड भगवद इस्मृती की तरफ ले जाएगा
06:31और च्छै गंटे भजन किये और फिर मनमानी आच्रण किये तो लाबने मिलेगा इसलिए लोग के देते 20 वर्स से भजन कर रहा हूँ
06:37लेकिन भजन का कोई प्रकास तो होई नहीं है तो मनमानी आच्रण कर रहे हो
06:41यदि तुम भगवत प्राति करना चाहते हो
06:46जाति पक्ष, शरीर पक्ष, इंद्री पक्ष, मन पक्ष, इन में मत फसो
06:55मन से अपने को अलग देखो, जाति से अपने को अलग देखो, शरीर से अपने को अलग देखो, इंद्रियों से अपने को अलग देखो
07:03तब ही तुम इन पर सासन कर पागो
07:05एक बिवस्ता है जैसे बड़ा भाई छोटा भाई तो छोटा बड़े के पेर छोटा है ये हमसे बड़े हैं तो बड़े हो गए क्या ये तो एक बिवहारिक भेद है एक बिवहारिक भेद है वरणाश्रम में बिवहारिक भेद है ये सत्य नहीं है क्योंकि सत्य वस्तू तो ए
07:35में चलने के लिए तो फिर हम इस बात को श्वैकार नहीं करते हैं
07:38सरीर धर्म को शरीर-जाति को हम भागवतिक बात को श्वैकार करते हैं
07:43हम सब एक परमातुम्श्वूरूप हैं हमारे सब के श蓬स एक ही पंच भूतों से
07:47बने हुए हैं, कुमार के आँछ छोटा सकोरा, बड़ा सकोरा, इसके बाद तशला मिट्टी का, घड़ा मिट्टी का, अब उसमें चारों में कोई गर्व करे कि हम बड़े हैं, तो केवल आकार की बात हो सकती, मिट्टी तो सम्में वही बनाने वाला कुमार भी एक है, चाक भ
08:17चड़े हुए हैं छोटे बड़े ये बिवार का भेद है
08:19परमार्त में इसको स्विकार नहीं किया गया
08:22परमार्त में एक बात स्विकार की गई है
08:24सबमेश्री भववा
08:26सिय राम में सब जग जानी
08:28करों प्रणाम जूरी जूपानी
08:31अपने भगवत मार्ग में चलने वाले को बहुत शावधानी रखने है शब हमारे और कोई हमारा नहीं ये हमारा सूत्र है शब हमारे और कोई हमारा नहीं कोई हमारा नहीं सामसारिक भेद में सब हमारे भगवान के रूप में शब हमारे प्रभु है ना ते नेह राम के मनियत
09:01क्या फाइदा हमारी दृष्टी नश्ट हो जा इस बात से अमुक जाते अमुक पक्ष अमुक अमुक एक ही छतुरी के नीचे सब रहे रहे हैं, नीली छतुरी के नीचे सब रहे रहे हैं, जहां भी चले जाओ ये नीली छतुरी मिलेगी, और इस नीली छतुरी को बनाने वाल
09:31ब्रत संस्रत हे तु अविद्या नासी हमारे सेवक जी कहते हैं अविद्या के अंतरगत है विद्या के अंतरगत नहीं है बे मतलब की ठसक बे मतलब का घ्रणा भाव दोनों बाते हैं बे मतलब की ठसक के हम बड़े और उनको बे मतलब का घ्रणा भाव की छोटा है हम कहते हैं
10:01पने हुई जब हम परमार्थ में चलते हैं तो ना अपने शरीर की जातिपक्ष को देखें न सामने वाले की हमें भगवत मार्ग में चलना है भगवान की बड़ी कृपा सुल्जे हुए परब्रम्श्वरुप सद्गुर्दयों मिले गुरु कृपाश ही ये देहा भिमान दे
10:31का नाज कर दिया जब साधक साधना में चलता है तुछ सरीर बहुत प्यारा लगने लगता है अपने सरीर के सुक्षु विधा खान पान इसा सरीर की रक्षा करना चाहते हो हरदय को सुरक्षित रखना नहीं चाहते फिर कैसे तुम्हारी परमार्थिकी आत्रा बढ़ेगी �
11:01दोस्ते क्रशित न हो जाए
11:02शरीर को शुद्द करना
11:06बाह पवित्रता है
11:08हरदय को शुद्द करना
11:10भगवत प्राप्ती का हेतु है
11:11जल और रज के इस पर्ष से
11:15बाहरी पवित्रता शरीर के होती है
11:17साबुन से चाहे ज़िए वारांद हो
11:19थोड़ा रज का इस पर्ष जरूर होना चीए अगर रज का इस पर्ष नहीं ज्यादा मत करिएगा नहीं नालियां जाम हो जाएंगी वासकल कि ऐसे थोड़ी रज तो बाद में ऐसे बिना रज के पवित्रता नहीं बिना रज के नहीं
11:31पवित्रता है शरीर पवित्र हरदय पवित्र वानी पवित्र तो परम पवित्र भगवान का सतति स्मरण होता है
11:38आप देखो दस दिन पवित्र रहके देखो तो आपको छूने की इच्छा नहीं होगी किसी को
11:42और जीवन पवित्र रखो तो शरीर से आपका वैराग्य हो जाएगा
11:46पवित्रता शरीर वैराग्य
11:48पवित्रता शरीर में द्रड राग
11:50बाणी की पवित्रता
11:52और जो मनावास बोल है बस बाणी है तो बोल नहीं समाल के बोलो
11:56बाते हाथी पा ये, बाते हाथी पा उससे वाणी की पवित्रता, सूच समझ की बूलो नहीं, मौन रो
12:02और लाग द्वेश, ईरिश्या, अहंकार, काम, चूरी, हिंशा, व्यविचार
12:11इनके त्याग से हरदय पवित्रता है, इससे हरदय पवित्रता है
12:18जितना सत्संग करोगे, विचारवान रहोगे, सहन सील रहोगे, नाम जब करोगे, उतने आपका अध्यात्म बनेगा, प्रायहा लोग भजन करने वाले चूक कर देते हैं और क्रोध कर लेते हैं, क्रोध करने से एक महिना के भजन में आपके क्रोध का प्रवाव डग देगा �
12:48समझना चाहिए अभी अंता करन पूर्ण पवित्र नहीं हुआ, क्रोधी मनुष्य का अध्यात में कुद थान नहीं होता, विशेष्ट या गुर्जनों और स्रेष्ट जनों की बातों में उनके निर्णय में क्रोध नहीं करना चाहिए, भजन करना कथिन, करके बचाना कथ
13:18इसमें बहुत समाल समाल करके पग रखा जाता है, ये निठले आदमी जो हैं, जो दूसरों के गुर्दोस देखते हैं, दूसरों की निंदा करते हैं, दूसरों की चुगली करते हैं, दूसरों पर क्रोध करते हैं, गंदी भावना रखते हैं, ना ये ग्यानी हैं, ना ये �
13:48विगत काम मदकोह, निजप्रभु में देखें जगत, केशन करें भी रोध, भक्त के अंदर तो है, और ग्यानी आत्म श्रूप है, दोईत है नहीं, तो क्रोध किसे हैं, और योगी परमात्म श्रूप है, तो योगी ग्यानी और भक्त, इनमें ना क्रोध होते हैं, न राग�
14:18सब सादकों को इसका उप्योग करना चाहिए, अभ्यास योग युगतेन, चेतसाना न्यगामिना, परमं पुरुशं दिव्यं यातिपार्थानु चिंतयन, है अर्जुन, ऐसा अभ्यास कर लिया जाए, कि मन हमारा अन्यत्र कहीं जाये न, चित हमारा कहीं अन्यत्र जाये �
14:48पुरुश दिव्य परमात्मा की प्राप्ति इसी से केवल हो जाएगे, पार्थान चिंतन, केवल चिंतन मात्र से भगवत प्राप्ति, ऐसा भ्यास सादक को करना चाहिए, हार शण अपने इस्ट का चिंतन हो, इसी से परम्पुरुश दिव्य परमात्मा की प्राप्ति हो �
15:18आपके घर में आज कमाने वाला है
15:24और भगवान ना करें कई वार ऐसा होता है
15:30बहुत लोगों के घर में कि जो कमाने वाला होता है
15:32उसी की म्रत्यू हो जाती है
15:35ऐसा होता है कई जगा
15:37हाँ या ना
15:39तो जब कमाने वाला ही चला गया
15:44तो परिवार बिल्कुल भिखर गया भुटबाट पे आने की स्थिति
15:48हाँ या ना इसलिए मैं आप सबसे छोटी सी आपके भले के लिए एक बात कहूँ
15:55जब समय अच्छा हो कमाई अच्छी हो सब बढ़िया हो तो अपने परिवार के लिए अच्छी प्लानिंग कर लो
16:02भविश्य की एक बढ़िया सा घर बनवा लो एक छोटा मोटा प्लॉट लेके डाल दो
16:11मुसीवद में काम आती है प्रवपरिटियां आया ना एक आद खेट लेके डाल लो काम आती है चीजें भविश्य में कल को
16:25कमाने वाला चला गया और बच्चे दो हैं अब पढ़ाना लिखाना कैसे कौन देगा पैसा
16:31तीन-तीन हजार रुपए तो फीस होती है स्कूलों की चार-चार हजार रुपए फीस होती है
16:35और कुछ लोग तो घर भी नहीं बना पाते और कमाने वाले की चली मृत्य हो गई अब किराय के घर में और दो बच्चे हैं वो अकेली महिला
16:44सुनो समय अच्छा होगा तो सारे लोग सपोर्ट करेंगे समय बिगड़ेगा तो कोई ना पूछने आएगा कि तुमारे गर में दीपक जल रहा है या नहीं
16:54चूला जल रहा है कि नहीं
16:57समय रहते जो समय का पैसे का सदुप्योग करता हो वो समझदार है
17:04और जो समय रहते पैसे का और समय का दुरुप्योग करे उससे वड़ा मूर्ख कोई नहीं हाँ या ना
17:13क्या कहते हैं आप लोग केतने लोग सहमच मेरी बात से
17:17समय रहते एक अच्छी प्लानिंग कर लेनी चाहिए
17:21बोलो हाँ
17:23समय का भरोसा
17:26अच्छी प्लानिंग करो
17:29अपने लिए अच्छा सोचो
17:31आप ये सोचो
17:33कि आपके शराब पीने से आपका क्या फाइदा है
17:36हर शराब पीने वाले आदमी से मैं प्रार्थना करता हूँ
17:40बस आप ये बताओ मुझे
17:41कि आपके शराब पीने से आपका क्या फाइदा है
17:44आपके गांजा पीने से आपका और आपके बच्चों का क्या फाइदा है
17:49चरसफीम का सेवन करने से आपका और आपके बच्चों का परिवार का क्या फाइदा है
17:55क्यों अपने परिवार को अपने बच्चों को अंधकार में डालते हो
18:01क्यों अपने भवश को अंधकार में डालते हो
18:04क्यों अपने पाउं में पुलहाडी मारते हो
18:07एक बैस्ट फ्लानिंग हो
18:10गरीबी बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है
18:14एक अच्छी प्लानिंग ना करने से आप सदा गरीब रह जाते हैं
18:19आप एक अच्छी प्लानिंग कर लेंगे अपने भवश्य के लिए
18:22तो आप गरीबी से बिल्कुल जल्दी उबर जाएंगे
18:25गरीबी से जो उबरता है वो गरीबों की भी कदर करता है
18:31मैं चाहता हूँ कि हमारे देश में गरीबी से हम सब उबर जाएं
18:37लेकर उसके लिए न तुम्हें सजग होना पड़ेगा
18:42व्यक्ति जो लोग अपने एक एक रुपे का सदुप्योग करते हैं
18:49वो कभी पैसों के महताज होते ही नहीं हैं
18:51वो कभी किसी चीज के महताज नहीं होते क्योंकि वो अपने धन का सदुप्योग करते
18:57बरवाद वो हो जाते हैं जो दुप्योग करते
19:01और पुरुसों से एक बात कह दूँ
19:05जो कमाया करो अपने खाते में ही रखा करो
19:12ना तो भाई को देने की जरूरत है
19:18ना परिवार में किसी और को
19:21क्योंकि दुनिया लेने के लिए
19:23तो दौनों हाथ फैलाए खड़ी है
19:25और जब आप ही अपनी संपत्ती मांगोगे
19:27तो लोग ठैंगा दिखा देंगे आपको
19:29ये रहा, क्या दिया तुने?
19:31चल निकल जाए यहां से
19:32ये सच्चाई है, आप मानो मत मानो
19:36तुम कितना भी अपने भाई के लिए कर लो
19:38करना चाहिए अच्छा है
19:39परन्तु जो आप कमाते हो
19:42महिने का हजार, दस हजार, लाख, दो लाख
19:44अपने पास रखो
19:45कल को आपको जरूरत पढ़ गई
19:48तो कोई न देगा
19:49जबकि कमाई आपकी है
19:52एक महिला की मैं हिस्ट्री सुना
19:58तो उसने बताया
20:03एक महिला थी, वो सरकारी
20:05जॉब करती थी, सरकारी
20:07करमचारी, अच्छा खासा
20:0987,000 रुपे महिना कमाती थी वो
20:11उसको लगा
20:13कि मेरा परिवार तो अच्छा है
20:15मेरा भाई अच्छा, मेरी बहन अच्छी, मेरा
20:17मेरी मा, मेरा बाप
20:19सब अच्छा, ठीक भी है
20:20उसने कमाया
20:24पर कमा कमा
20:26करके सारी
20:26उसके घर में
20:30उसके भाई के नाम पर चार एकड जमीन
20:32उसकी बहन के नाम पर दो एकड जमीन
20:36सब की जमीन
20:38जाजाज हो गई
20:39फिर हुआ
20:41उसका
20:44उसको जरुरत पड़ी
20:46किसी काम कब उसने
20:48अपने लिए कुछ प्लान किया होगा
20:49तो उसने अपने लोगों से माँगा
20:52कि भाई जो पैसा है वो दे दो
20:53बोले कहां पैसा है
20:56बोले जमीन आगे ये
20:57बोले जमीन किसके नाम पर है
20:58बोले उनके नाम पर है
20:59तुमारे नाम पर कुछ नहीं
21:00ऐसा होता है
21:03तुम ज़्यादा
21:07गन्ना बहुत मीठा होता है
21:09इसलिए कोल्हू में पेरा जाता है
21:13जो ज़्यादा मीठा होता है
21:16वो अपना नाश कराता है
21:18देखो तो मीठे गन्ने को
21:20कोल हूं में पेरा
21:22जाता है
21:23इसलिए
21:26हम आपसे सिर्व इतना कहते हैं
21:28अपनी कमाई अपने बैंक में रखो
21:30आप जो भी चीजें खरीदो
21:33अपने नाम पे करो
21:34वरना दुनिया लॉन आपके नाम पे देती है
21:38वस्तुएं अपने नाम पे कर लेती है
21:40ऐसे ही होता है
21:42चुकाओ तुम माँ जोडाएंगे वो
21:44कोई भी कैसा भी हो सकता है आज के युग में
21:48आज के युग में पैसे के लिए
21:50कोई भी बे इमान हो सकता है
21:52एक परसेंट छोड़ दो आप अच्छे लोगों को
21:54हाँ या ना
21:56आज कल पैसे के लिए वो इमानदारी वाला जमाना
22:02सत्युक चला गया
22:03जहां राम जैसे भाई होते थे
22:05चला गया तुमा भी बच्चे को मार डालती है
22:20हाँ या ना
22:22क्या नहीं हो रहा इस युग में
22:25इसलिए जो कमाओ किसके पास
22:29अपने पास
22:30और आपकी पतनी अच्छी है
22:34तो फिर पतनी को दो
22:36कुछ पतनिया
22:41कुछ पतनिया बहुत अच्छी होती है
22:43जहां को उस सारा कमा कमा के पतनियों को देता है
22:46और वो उसे सुरक्षित रखती है
22:48फिजूल खर्चा नहीं करती
22:49पर कुछ पत्नियां होती है
22:51कि पैसा आया तो थोड़ा मायके की दरब सप्लाई कर देती है
22:54हमारा भाई गरीब है
22:56हमारे यहां बाप के आई है
22:57तो पती को पता जला कि यह तो
22:59बंड़ार कर देगी
23:00तो फिर वो अपनी पत्नी को देनावन्द कर देता
23:03इसलिए पत्नियों को भी चाहिए
23:06कि अपने पती के विश्वास को न तोड़ें
23:08देखो
23:10रिस्ता भाई भाई का
23:12और हिसाब पाई पाई का है
23:15रिस्ता
23:17भाई भाई का और हिसाब
23:20जिसका हिसाब किताब सही है
23:22वो सदा सुखी है
23:24और जिसका हिसाब किताब
23:25सारा जगडा हिसाब किताब पर होता है
23:27आखरी में
23:29बोलो हाँ
23:31इसलिए पहले से हिसाब किताब ठीक करके चलो
23:34बात किस किस के समझ में आ गई
23:38तो बात हमने सही कही या गलत कही
23:40क्या हो सही है
23:42क्या टोपी वाले वही है
23:44सही है
23:45कि नहीं
23:47ऐसे मैं कितने भाईयों को जानता हूँ
23:51कि छोटा भाई कमा कमा के
23:53सारा वड़े भाई को देता रहा
23:54ये सोचके कि ये हमारे बाप के तुल्य है
23:56और वो सारा पैसा भाई का कमाया भी रखा
23:59बाप की संपत्ती अपने नाम पे करा दिया
24:01और भाईयों को दिखा दिया बाबाजी का ठुलू
24:03अब वो भाई वेचारे परेशान है
24:08सारे भाई ऐसे नहीं हैं पर बहुत ऐसे हैं
24:15इसलिए
24:16समझदारी यही है
24:20जादा परिवार में
24:23सबके साथ अच्छा व्यवहार करो
24:24सबकी मदद करो
24:26जरुरत पढ़ने पर
24:28भाई को जरुरत है 50,000 की दो
24:30भाई को हॉस्पिटल में
24:32दवाई की जरुरत है विमार पढ़ा है करो
24:34पर संपत्ती ही क्यों देना हो से
24:37जरुरत पढ़ने पर हैल्प तो करनी चाहिए
24:41अपने नहीं करेंगे तो कौन करेगा करो

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