हजारीबाग के दो शिक्षक वन संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे हैं. दोनों ने रिटायरमेंट के बाद इस मुहिम की शुरुआत की है.
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00:00करंए दे कल्यान जगत विस पीने दे
00:05करने दे कल्यान जगत विस पीने दे
00:11घर की मुन्डेरे हैं
00:14यह गीत नहीं है बलकि बदलाव का सूचक बन गया है
00:18हजारी बाग के रहने वाले परियावरण स्षक सुरेंदर परसाथ सिंग ने इस गीत को लिखा है
00:24इस गीत को उन्होंने गंतर्द दिवस के औसर पर दिली में कारिकर्म के दोरान भी गुन-गुनाया था
00:31सुरेंदर परताप सिंग 1987 से वन सनक्षन के छेतर में काम कर रहे हैं
00:37अपने गीतों के माध्यम से वो दूर दराज जंगली छेतर में जाकर लोगों को जागरू करते हैं
00:43यह सिलसिला 35 सालों से अनवरत जारी है
00:47पहले वन सनक्षन को लेकर कोई भी व्यक्ति गंभीर नहीं था और नहीं बात सुनना चाहता था
00:52सुरेंदर परसात सिंग ने गीत के जरी यह लोगों को समझाया
00:56आज यह परिनाम है कि उनके सहमू के द्वारा सुरू किया गया
00:59वन मोहत सव जिसमें रिक्षों का रक्षा बंधन किया जाता था
01:04उस पधती को पूरे देश भर में कई सेंकठनों ने अपनाया है
01:08गाना गाकर के इसलिए हम जागरुक करते हैं कि जब शुरुवाती दोर में 1987 से हम यह कारिक्रम शुरू किया है
01:19उस समय ग्रामीन लोगों में पडियावरन के प्रती उतनी जागरुकता नहीं थी
01:24लोग हम लोगों की बात को नहीं सुनना चाहते थे
01:28तब हमने गीतों की रचना शुरू कर दी वहां की लोकल भासा में
01:33खोठा में, नागपूरी में, बोजपूरी में, हिंदी में
01:37इन सारी भासाओं में मैंने गीतों की रचना की
01:41जो मेरी यह पुस्तक जर्खन सरकार चापी है
01:44रच्छित बन सरगक धाम
01:46।
02:13प्रोश कुमार सिंग जिसे हजारी बाकी जनता बरगत बाबा के नाम से जानते हैं इन्होंने बरगत समित कई तरह के पौधे लगाए हैं और उनकी रक्षा भी किया है आज उनके लगाए हुए पौधे पेल का रूप धारन कर रहा है इन्होंने इस मुहीम को पूजा से जो�
02:43पर भी पौधोरोपन किया जाता है यही विंति करना चाहेंगे कि हमारी संस्कृति में प्रकृति के प्रति कितना पुज्यभाव रहा है इसी से चुपा हुआ नहीं है प्रथम प्रतिवी शम्मेलन का धेवाक के हमारे अथरवेद के भुमिशुप्त से लिया गया माता भ�
03:13कि प्रति संततियों का क्या करतब्ब्य होना चाहिए यह वोध कराने की आवसकता नहीं है ऐसी दीवंचर्या अपनाएं जिससे प्रकृति और प्रयावरन का तनिक फीच्छती नह हमारी दिविमाधरती कराह रही है इनके कराह को कम करने के लिए हमारा करतब्य बनता है कु�
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