Part- 01 भारत के विदेश संबंध (POL--स्वतंत्र भारत में राजनीति--4--भारत के विदेश संबंध
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00:00नमस्कार विद्यार्तियों, मैं सुरेज भाटी, आप सभी का आज की इस क्लास में एक बार फिर से हार्दिक्स पारगत और अभिनंदन करता हूँ
00:06Students, आज की हमारी ये क्लास भारत के विदिश्चंबत है
00:10हमने पिछली क्लास में नियोजित विकास की राजनिती पर चर्चा की थी
00:15उसके questions, यानि कि quiz जो है उसमें हम चर्चा नहीं कर पाये थे
00:18एक या दो quiz हमने किये थे
00:21लेकिन हमारे बच्चे में जो quiz है वो हम इस chapter के बात
00:25यानि कि जैसे ये chapter complete हो जाएगा
00:28इसके हम quiz और मियोजित विकास की राजनिती की कुई जेक साथ में करेंगे तो
00:32सुनेंट्स देखे आज का जो हमाना चैप्टर है जिसका नाम है भारत के विदेश संब्ध क्या बताता है इस
00:39चैप्टर में हम चर्चा करेंगे भारत की विदेशनिती की कि भारत की विदेशनिती की स्वरकार की है फिर हम बात करेंगे भारत के परोसी रेशों में
00:47इस्पेशली भारत के पागिस्तान के साथ संबन्ध, भारत के चीन के साथ संबन्ध
00:51और फिर हम भारत के परमाणु कारिक्रम की चल्शा करेंगे
00:54तो भारत के संबन्धों को लेकर के जो भारत की विदेश नीती पंडित नहरू के द्वारा अपना ही गई थी
01:01वो नीती पंसिल सिद्धानतों पर आधारित सांतिपूर्ण शहस्तित्व की नीती थी
01:06जी और जी ने दो इस नीती पर आधारित थी
01:09हमारी विधेश नीती हमारे समिधान के अनुचेद धिक्लियावन में
01:15जो कि नीति निर्देशक तत्मों का एक अनुचेद है
01:18वहाँ पर इसका विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है
01:21जिसमें इस पस्कूर्प से लिखा गया है
01:24कि भारत अपने पडोसी देशों के साथ और दुनिया की सभी देशों के साथ
01:29सांतिपूर्ण सम्मंधों की इस्तापना करेगा
01:31बारत का प्रयास सभी देशों के साथ सहयोगात मक्सम मंधों का रहेगा
01:37पंडित नहरु ने जो कि हमार देश के प्रतम प्रधान मंतरी थे
01:41और प्रारंबिक विदेशनिती पर पंडित नहरु की जलक याउं की चाफ इस पस रूप से देखी जा सकती है
01:47उन्होंने पंसिल सिद्धानतों पर हस्ताक्षर किये थे चाउवन लाई के साथ
01:52जो की चीन के प्रधान मंतरी थे 1954-1954 में और उसके बाद उन्होंने
01:59अरेक जो अंतराश्ट्रीय मुद्दे थे उनकी तरफ अपना ध्यान ले जाते हुए
02:05उन मुद्दों को एक एक करके समधान करवाने का प्रयास भी किया
02:09विशेश रूप से जब भारत आजाद हुआ था तो भारत खुद भी रंगभेत की नीती का सिकार था
02:15उपनिवेश्वाद से लंबे समय तक ग्रसित रहा था
02:18हमारे प्रदानमंत्री पंडिक जवाहलाल लेरू ने नसल भेत और उपनिवेश्वाद दोनों का विरूद किया
02:24उनके प्रयासों से 1947 में ही अफ्रीकी एसियाई देशों का संभेलन आयुजित किया गया
02:31और प्रयास किया गया कि जो भी देश उपनिवेश्वाद से ग्रशित हैं उनको स्वतंत्र किया जाए
02:37स्पेशली इंडोनेशिया जो कि भारत के ही पडोस में इस्तेतेक देश है जो कि दक्षरपूर्व एशिया ही देश है
02:44उस देश की स्वतत्रता के लिए भारत की तरफ से पुर्जोर आवाज उठाई गई और अन्य देशों ने भी इसका समथन किया
02:52भारत ने गुटनिर पे एक स्नीती का अनुसरन किया
02:55भारत के साथ कुछ अन्य देश्ट जो कि इससा में उपनिवेश्वाद से आजाद हुए थे उन्होंने भी इस नीती में भारत का सईयोग किया
03:05भारत में चीन के साथ सांतिपून संबंधों पर बल दिया लेकिन हम यह कह सकते हैं कि सायथ उसमें कुछ कमी रह गई थी
03:13परिणाम सुरूप हमारी ये विदेशनीती यहां जाकर के असफल होती भी दिखाईती थी
03:19क्योंकि चीन ने भारत पर अचनक 1962 में अटेक कर दिया था और यहां भारत की विदेशनीती असफल सित हुई भारत और चीन के बीच में संबंध इसके बाद जो बिगड़े वो लंबे समय तक बिगड़े हुई रहे
03:331988 में राजीव गांधी से प्रधान मंत्री बने तब एक नए सीरे से इन संबंधों की चुरुवात हुई थी बारत और पाकिस्तान के बीच में आजादी के बाद से लेकर के वरतमान समय तक लगातार संबंध जो है वो विवादास्पदपूर ही रहे हैं उचाय कश्मीर का
04:03बहरत ने अपनी परमानु नीथी जो अपना वह एक संतिपून नी थी जिसके अंतरकर्त भारत ने कहा
04:09मिनो फॉर्स्पॉाइज पॉलिशी हमके अबवल अपने डिफेयंस के
04:12लिए अपने सुरक्षा के लिए परमाणू कारीक्रम पर
04:14काम कर रहे हैं यानी कि हमने जो एक्स्पलोजन किया है
04:18हमने जो हमार आत्मरक्षा bisa के लिए है किसी के
04:24खिलाफ इसका दुर्प्यू नहीं किया जाएगा तो इनी सब बातों पर आज की स्क्लास में हम चर्चा करने जा रहे हैं देखते हैं शुरुआत में हम लोग भारत बड़ी विकट और चुनोती पूर अंतराश्ट्रीय परिस्तितियों में स्वतंत्र हुआ था दुनिया वि�
04:54किस से बाहर निकली थी उस समय दुनिया बाहर निकली थी दुट्य विश्वयू युद्ध से आप सभी जानते हैं कि 1949 से लेकर 1945 तक है
05:06Second World War यानि कि दुट्य विश्वयू युद्ध जो कि 1949 से 1945 तक चला और जैसे ही युद्ध समात हुआ
05:22सीथ युद्ध प्रारब हो गया सीथ युद्ध यानि कि कोल्ड वर जिसको कहा जाता है कोल्ड वर 1945 से प्रारब हुआ और
05:301991 तक चला यानि कि भारत जिस समय आजाद हुआ था 1947 में भारत
05:37कि 1947 में स्वतंत्र हुआ और जब भारत स्वतंत्र हुआ उस समय दुनिया पुरण विर्माण की और अग्रसर थी
05:48दृत्य विश्विद के पच्चात सीत्युद भले प्रारभ हो गया हो लेकिन सीत्युद के प्रारभ होने के साथ साथ जो नुक्सान दृत्य विश्विद से हुआ था दुनिया के देशों को दुनिया के देश उस समय उसे उभरने की कोशिस कर रहे थे
06:02यानि कि मुख्य रूप से सभी देशों के समक्स इस समय जो सबसे बड़ी चुनौती थी
06:07वो चुनौती क्या थी?
06:10वो चुनौती थी आर्थिक विकास
06:14आर्थिक विकास
06:17जिसको हम यहाँ पर पुनर निर्माण कहकर पुकार रहे हैं
06:22पुनर्द निर्माण आर्थिक विकास ये दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनोती थी किसके सामने थी विश्व के समंग्स ये सबसे बड़ी चुनोती थी
06:34तो यहां आपने देखा कि विश्वईद की विविशिका से अभी बाहर निकली ही थी और उसके सामने पुलनर निर्मान का सवाल सबसे बड़ा था
06:43एक रास्त्र की रूप में भारत का जन्व विश्वईद की परिस्तिती विश्वईद की प्रस्ट भूमी में हुआ था
06:49ऐसे मैं भारत में अपनी विदेशनिती में अन्य सभी देशों की संप्रभूता का सम्मान करते हैं
06:55देखे भारत की विदेशनिती की विशेष्टा क्या थी कि हम सभी देशों की जो संप्रभूता है जो सोवरेंटी है उसका सम्मान करेंगे
07:03संप्रभुता का मतलब होता है देश की सरवोच शक्ति वो सब की एक समान होती है वो चाहिए छोटा देश रहाँ, चाहिए बड़ा देश हो जिसे हम संप्रभु शक्ति कह करके पुकारते हैं।
07:13वो एक सम्मान है तो हम उसका सम्मान करेंगे
07:16सांती कायम करके अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लक्षे को सामदर रखा गया
07:21दुनिया में सांती कायम होनी चाहिए
07:23केवल हमारे देश में ही नहीं
07:25बलकि हम प्रयास करेंगे
07:27दुनिया में जहां कहीं भी अशांती उप्पन होती है, युद्ध के हालात उप्पन होते हैं, वहां भारत हस्तक्षेप करेगा और सांती इस्तापित करने की कोशिस करेगा।
07:57केंतर गठ भाग्चार में नीती-निर्देशक तत्वों का हुलेत किया गया है किया है ?
08:07तो शवाद्थी निर्दैशक तत्व้ं में
08:17सबसे महतुपूं तत्व है और अगर में तो फुस्ता की विदेश निर्दैशक वाला जाज़ना ज़ना है
08:25अनुशे 36 से 51 में निती नदेशकत्त्व है और जो अनुशे 51 है अनुशे 55 इसमें भारत की भारत की विदेशनिती की बात नहीं यह कैसी होगी
08:50भारत की विदेशनिती और भारत की विदेशनिती को लेकर के अनुछे रिख्यावन के अंतरगत लिखा गया है जियो और जीनेदो यानि कि सांतिपून सहस्तित्व कह लीजिए जियो और जीनेदो कह लीजिए जियो और जीनेदो
09:18इस प्रकार की नीती का अनुश्र किया गया, सामतिपूर्श अस्तित्व की नीती कहिए, जीयो और जीनेदो की नीती कहिए, पंचील सिद्दान्तों पर आधारित नीती कहिए, पंचील सिद्दान्त, जो कि पंडित महरू के द्वारा दिये गए थे, पंचील सिद्दान्तों
09:48जो कि सांती के लिए स्थाफित किये गये थे वो पांस दांत कौन-कौन से हैं सबसे पहले हम बात करेंगे संप्रभुता
09:57संप्रभुता दूसरा समान्ता समान्ता तीसरा सांतिकुंशहस्तित्व
10:09सांतिकुंशहस्तित्व सांतिकुंशहस्तित्व और चोथा अहस्तक्षेप और पांच्वाद अनाकरवाद
10:36अना कर्मा तो इसका मतलब ये हुआ ये वो पांच बाते होंगी जिन पर भारत की विदेशनीती निर्भण रहेगी और कौन सी संप्रभुता हम दुनिया के सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करेंगे
10:50समान्ता हम सभी को एक समान समझेंगे बढ़ा नेपाल व ने भी शडकी सोटा नेश और वाहारी नीती नास प segle ३ हम जिटना सम्मान Till चीन को देंगे उतना ही संपने पाल होन भूतान को भी रहे. ये समान्ता
11:11जिसके लिए हम ने यहाँ पर एक सब्द काम में लिया है जीयो और जीने दू एकदम शांती की विरेशनिती होगी
11:19शांतीपुंण सहस्थित्व अपना स्टेयों को बनाए रखने के लिए हम सांती की विरेशनिती का अनुशरण करेंगे
11:25है कि चिसी के मामले मैं बिना किसी कारद के असत्क शेप नहीं करेंगे।
11:32चीज हम दूशरे देशों पर आक्रमण नहीं करेंगे। एक चीजि好吃 किसी होगी वritos थे सॉथ Конप को
11:50अमूर्ड़ मेंट्र वसुदेव को टुमकम यानि कि पूरा विश्व जो है पूरी धर्ती करता है इसाख को
12:12कुटमबकम तो यहां पर आप ने देखा कि हम किस प्रकार की नीती कानुसरन करेंगे ये बात अरुचे दिख्यावर में नीती निदेशत तत्वों में बढ़ने थे
12:21कि अब हम यहां से आगे चर्चा करेंगे धूसरे विषुइत के बारत भारत बात के दौर में अने एक विकास्य देशो ने ताकत्मर देशों के मर्जी को ध्यान में रखकर अपने विदेश
12:32अपना ही क्योंकि इन देशों से इन्हें अनुदान अत्वा कर्ज मिल रहा था तेकि विद्य विश्वुद के बात करें तो जाला तर देश जो थे उन्होंने अपनी विदेशनीती का अनुशरण इस द्रस्टी कौन से किया कि उनको कौन से देश से क्या लाब हो रहा है यान
13:02दूसरा विश्वयुद तो आप सभी जानते हैं कि दूसरा विश्वयुद तो 1949 से सुरू होकर के 1945 में समाप्त हो गया था लेकिन यहां से सुरुवात हो गई थी किसकी सीत्युद की यह सीत्युद जो था वो क्या था
13:241945 से सीत्युद प्रागफ हो गया था 1945 से लेकर 1991 तक चला था यह सीत्युद क्या था यह वैचारिक द्वंद था पहला आप इसके बारें तरचा कर चुके हैं यह हम शौट में बात करेंगे यह वैचारिक द्वंद था और यह वैचारिक द्वंद किसके बीच में था यह था
13:54अमेरिका कर रहा था किसके द्वारा किया जा रहा है तो गई ग्रशिए आ सामीमाइदी किस के त्वारा किया जा रहा था
14:14लें तो समकिंरव हैं कि समय हो रहे हैं कि बहुत दुरा है है उनका जुकाव इन
14:24कि तरफ होने के पीछ चारण क्या था कारण था उनके निजिए उनके लाप
14:39अब अब कर दो आप सभी जानते हैं इनले काद संग तरफ
14:43यानि कि सामयवादी विचार था था तो सामयवादी खेमे को अपनाने वाले प्रमकुरूप से जो देश थे वो थे पूर्वी यूरोप प्लस मध्य एशिया ये तो किसके साथ था ये तो था सामयवादी खेमे के साथ और पुजीवादी खेमे के साथ कौन था तो इसके साथ
15:13digital प्राएस पस्ट्िमि मी उर्ओक के अलाव़ब Hem ski अमेट का
15:18का मेरीका एशिया अफड़ीका और लेटिन अमेरिका के देशों पर था क्योंकि इस समय जो नवीन स्वतंत्रडेशं
15:24इस थे उपनी वेस्वार से जो आजाद हुए थे नवीन स्वतंत्र देश नवीन स्वतंत्र देश तो नवीन स्वतंत्रदेश कौन से थे ?
15:52नमारीक को मेरिका नाथ उसको कहते हैं ल्टिन अमेरिका कि यह देश लबीनष तंट्र देश देश को खीछने की कोशिज्य इन दोनों के रहे थृती अमेरिका भी जाका है
16:08कि इन देशों को अपने तरफ थीच लिया जाएं
16:11दूसरी तरफ साम्यावादी सोवेट संग भी ये प्रयास कर रहा था
16:15कि इन देशों को अपने तरफ अपने खेमे में सामिल किया जाएं
16:17तो खेमा बंदी का जो दौर चल रहा था
16:19इस दौर में विश्व के अधिकतर देश अपने नीजी हितों को देखते हुए किसी ना किसी एक खेमे की तरफ जाते हुए दिखाई दे रहे थे
16:27इस वज़े से दुनिया के विभिन देश दो खेमों में बढ़ गए एक खेमा स्वेकतराजी अमेरिका तथा उसके समर्थक देशों के प्रभाव में रहा तो दूसरा खेमा सोवेट संग के प्रभाव में रहा
16:38यहां अब आप आगे देखेंगे नहरुग की विदेश नेती इस दोना है बहुत इंपोर्टेंट हो गया था भारत जैसे देश के लिए जो कि उससमें एक नभीन स्वतंत्र देश था वो किस प्रकार की नेती का अनुसरन करें
16:51कि सीति दुद के दौर में सनयुतुराष्ट संग भी अस्तित्व में आया था इसी समय सहथे इव एनों का जन हुआ ता आप सभी जानते हैं युएनु एप ययानि कि संयुतुराष्ट संग कर दप
17:08जहां सीत्युत सुरू हुआ, वही संयुत्राष्ट संग का जन हुआ, चोईस अक्टूबर 1945 को, उद्देश्य क्या था? विश्व शांती, विश्व सांती के उद्देश्य से संयुत्राष्ट संग का जन हुआ था, ठीक इसी समय, चीन में कम्यूनिस्ट सासन की स्थापना ह�
17:381959, 1949 में, चीन में जो है, वो एक करांती हुई थी जिसे सामयवादी करांती कहते हैं, कमसी करांती कहते हैं? सामयवादी करांती, और सामयवादी करांती के बाद, चीन एक सामयवादी देश के रूट में स्थापित हुआ था, चीनी सामयवादी गंडाज्य जिसको कहते हैं,
18:08decolonialization कहली जिए या अनौपनिवेशी करण कहली जिए अनौपनिवेशी करण का मतलब होता है उपनिवेश वाद से मुक्ति क्या होता है अनौपनिवेशी करण
18:20अनौपनिवेशी करण यानि कि उपनिवेश वाद से मुक्ति
18:29तो प्रिवेश वात से मुक्ति की जो प्रकरिया है वो भी इसी समय शुरूवी थी वित्य विश्वेद के बाद
18:43भारत के नेताओं को अपने राष्ट्रिय हित इसी संधर्ब में साध्ने थे
18:49क्योंकि ये सब गटनाय जो थी वो भारत के विदे संबंधों को प्रभावित करने वाली थी जब भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ था
18:57स्वयुत राश्टर संग के साथ भारत को कैसे संबंध रखने है नया नया आजाद हुआ देश था चीन उसके साथ हमारे संबंध कैसे रहेंगे अन अपनिवेशी करन का दौर चल रहा था नया ने श्वतंत्र देश उदित होने वाले थे एसे अफरीका और लेटिन अमेरिका
19:27हैं 1949 से 1964 तक 1946 से लेकर 1964 तक भारत के विदेश नीती पर पंढित नहरू के द्रस्टी कौन की जलक दिखाय Ó कि भारत ती उस नीती पर पंढित नहरू की जलक इस पस ऐसे दिखाये
19:47प्रदान मंत्री रहे थे तो निश्यक रूप से उनकी जलत दिखाई देगी हमारी विदेशनिती परस रूप से दिखेगी
20:08नहरू की विदेशनिती के तीन बड़े उदेश्य थे वो क्या थे देखेए पहला उदेश्य था कठिन संघर्स से प्राप संप्रभूता को बचाया रखना दूसरा था शेतरी अखंडता को बनाया रखना और तीसरा था तीवुरगती से आर्तिक विकास करना ये तीन उदे�
20:38� Najए कर आदोलग चलाया था इसके लिए आजादी बड़ी मुश्किल से मिली थी
20:42और हम एसा कदब न ऊठाले कि हम अप्मिया आजादी कर दो कहा है याि कि अपनी सम्प्रभुता को बचाय रखना देखे transport को ही को संप्रभुता को बचाये रखना
20:53संप्रभूता को
20:55बचाय रखना
20:57ऐसा नहीं हो कोई और दूसरा दे
21:00संप्रधिकार कर ले भी
21:01हम बिटेन से तो स्वतंत्र हो चुके थे
21:03दूसरा क्या था?
21:05सेत्री अखंडता को बनाय रखना
21:06सेत्री अखंडता
21:08का मतलब यह है
21:11कि भारत एक देश रहे
21:13बारत का पटवारा न हो
21:15बारत की एकता को बनाय रखना
21:17यह दूसरा था
21:32और तीसरा क्या था?
21:33तीवर गती से आर्थिक विकास
21:34आर्थिक विकास
21:36यह किसी भी नवीन स्वतंतर देश के लिए
21:39सबसे महत्वपून चुनोती होती है
21:41आर्थिक विकास करना
21:42तो यह जो तीन बाते थी
21:45उन तीनों बातों पर काम करना था
21:46हमारी ततकाली सरकार को जो उस समय
21:49नहरू के नित्रत्व में गठित हुई थी
21:51नहरू इन उदेशियों को
21:52गुर्णिर पेक्स्ता की नीती
21:54अपना कर हासिल करना चाहते थे
21:56उन दिनों देश में कुछ पार्टियां
21:58और समूवों ऐसे भी थे
22:00जिनका मानना था कि भारत को
22:02अमेरिका से नजदीकी के संबनाने चाहिए
22:05देखें कौन-कौन थे
22:06जो यह चाहते थे कि भारत के संबन्द
22:09अमेरिका के साथ
22:10नजदीकी के हो
22:11डॉक्टर बियार अम्बिडकर
22:13भारती अजनसंग
22:15स्वतंत्र पार्टी
22:16यह सभी यह चाहते थे कि भारत और अमेरिका के संबन
22:19क्लोज होने चाहिए
22:21देखें हमने अपना इगुट निर्पिक्षनिती
22:23जिसका मतलब यह था
22:25कि हम किसी भी गुट के साथ
22:27सामिल नहीं होंगे
22:28हम इन गुटों का विरोध करेंगे
22:31यह गुट
22:31दुनिया को तबाही की ओर ले जा रहे हैं
22:36क्योंकि
22:37गुटों के साथ साथ
22:39सेनिक गुट बन रहे थे
22:42जिनमें नाटो, सीटो, वार्षा पेक्ट
22:45सेंटो
22:46यह सभी सेनिक गुट थे
22:48और सेनिक गुट हमेशा युद की ओर ले जा सकते हैं
22:51सस्तुरी करन का दौर चल रहा था
22:53घातक अतियार बन रहे थे
22:55तो भारत नहीं चाहता था
22:57कि भारत इस प्रकार की
22:58इस प्रकार के अंतरास्ट्रिय बातावरन को
23:01और ज़्यादा मजबूत बनाए
23:03तो भारतिय चाहता था कि
23:05इन से अलग रहा जाए
23:06गुट निर्पेक्स रहा जाए
23:07और ये जो कुछ चल रहा है
23:10इसे रोकने का प्रयास किया जाए
23:12इस नीती को गुट निर्पेक्स नीती
23:14का नाम दिया गया था
23:15अर्थात दौनों ही खेमों से अपने आपको प्रतक रखना
23:18लेकिन भारक में कुछ लोग थे जो ये चाहते थे
23:21जिसमें डॉक्टर बियार अंबेड कर भारतिय जनसंग और स्वतंत्र पाइटी का नाम आता है
23:26आप सभी जानते हैं कि भारतिय जनसंग एक हिंदुवादी दर्सन पर आधारित
23:32पॉलिटेकल पाइटी थी श्यामापरसाद मुखर जी इसके जन्म दाता थे
23:36और स्वतंत्र पाइटी जिसके जन्म दाता सी राज गोपालाचारी थे और जो पुझीवादी दरश्टी कौन का आधारित थी
23:43इसलिए दौनों ही पाइटीयां ये चाहती थी कि भारत के अमेरिका के साथ संबन नस्दीक के होने चाहिए
23:50भारत ने गुटनेर पेक्स्ता की निती का पालन किया भारत ने इसके लिए सीतियूध से उपजेत तनाव को कम करने की कोशिश की और स्वाइट राष्ट संग के सान्ती अभियान किया है
24:06सांतिय अभियान का मतलब होता है जहां कहीं भी हालात खराब हो सांतिय अभियान का मतलब है जिस देश में जिस देश में ग्रह युद्ध के हालात हो
24:23जिस देश में ग्रह युद्ध के हालात या वातावरं हालात हो वहां लिवयनों द्वारां सांतिय अभियान का मतलब हो
24:53उइनो के देशती संग से अभियानां की हो
25:06कभiny ऑपड़त कभी इंकार �ंगी के द्वारा तो भाषटने अपनी से निश्यत वुप सांसराजसंग के साथ देजी है
25:17निजी सो छपन पन जब ब्रिटेयन स्वेज नहेर पर, स्वेज नहेर किषन आकरमन किया?
25:24ब्रिटेयन ने कब किया? 1956 में
25:27मामले को लेकर मिस्र पर जब आकरमन किया
25:30जिसे इजिप्ट कहा जाता है
25:32तो भारत ने इस 9 आपनिवेशिक हमले के विरुथ
25:37विश्वव्यापी विरोध की अगुवाई की लेकिन इसी वर सोवित संग की हंगरी के खिलाफ सेनिक कार्यवाई पर भारत चुप रहा एक ही साल में दो गटनाएं गटित हुई यह दोनों बाते समझ नेकी है देखिए
25:481956 एस तरफ आया स्वेज संकट स्वेज संकट वहीं दूसरी तरफ क्या आया 1956 में इस तरफ आया अफगान हंगरी संकट कौन सा संकट आया हंगरी संकट
26:08हंगरी संकट क्या था हंगरी में जब जन विद्रो हुआ तो उसे कुचलने के लिए सोवेज संग ने अपनी सैना दीची थी और ब्रिटेन ने मिस्र पर इसलिए हमला कर दिया था कि मिस्र ने यानि कि मिस्र के तबकाली रास्ट्रपती जो थे गमाल अब्दुल नासिर उन
26:38अदिकार होगा और कोई बी देश वहाँ से जब भी गुजलेगा तो एससे परमिस्र ले करके गुजलेगा उस्कंड़ के लिए जानते हैं कि अरनी कि मिस्र भारत के साथ खड़ा थौत आप सभी जानते तो भाथ il
27:08और गाना, इंडोनेशिया, यूगोसलाविया, ये पाँच देशों के नाम आते हैं, जिसमें नहरू, नासी, टीटो, वामे, एंकुरूमा और सुकर्णो, इन सब के नाम आते हैं, तो ये भारत के साथ गुटनर पे एक अंदोलन में एक सक्रिय देश था, जिसे हम मिस्र कह र
27:38उसमें भारत चुप रहा, इस पर सवाल भी उठे, कि जब भारत मिस्र वाले मामले में बोल सकता है, तो हंघरी वाले मामले में भारत क्यों नहीं बोला,
27:54को सुधारने की कोशिश कर रहा था भारत को यह लगा कि सोवेट संग के साथ व्यापार और वानिज्जे के संबन्द इस्थापित करना भारत के लिए लाबदायक हो सकता है
28:04ऐसी स्थी में भारत में वहां पर अपनी मौन धार्म करके रखा यानि की चुप रहा लेकिन यहां पर भारत की विदेश नीती जो थी कुटनरपेक्स नीती ही थी यानि की गलत का विरोध करना था
28:17कि नेहरू की अगवाई में भारत में 1947 के मार्च में ही ACI संबन्द संबिलन एशियन रिलेशन्स कॉन्फरेंस का आयोजित किया था ये एक्जाम में प्रशन पूछा जाता है सी यूटी में कि एशियन रिलेशन्स कॉन्फरेंस या फिर
28:35ACI संबन्द संम्मिलन यह कब और आयोजित की अधा किसके नितरत्वं में 1947 और नई दिल भारत किसके नितरतों region किया था उंद्देशिए क्या
28:54यानि कि देशों के आपस में संबंधों को मजबूत करना जबकि अभी भारत को आजादी मिलने में पांच महीने बाकी थे हम अगस्त में आजाद हुए थे और यह मार्च में ही सम्मेलन आयुजित किया गया था भारत यह भी चाहता था कि इंडोनेशिया डच उपनिवेश्�
29:24यानि कि निदरलेंड जिसको हम कहते हैं हॉलेंड हम जिनको कहते हैं उनका साशन कहां पर था इंडोनेशिया पर भारत ने इसका विरोध किया भारत चाहता था कि इंडोनेशिया जल्द आजाद हो जाए इसके लिए भारत ने उनिस्तों पचास में 1949 पे इंडोनेशिया के स
29:54आयोजन किया गया पंडित नहरू के द्वारा, 1949 में इंडोनेशिया के समर्थन में एक सम्मेलन आयोजित किया गया, भारत अनोपनीवेशी कर्म की प्रक्रिया का प्रबल समर्थत था और उसने पूरी द्रड़ता से नशलवाद खास कर दक्षन अफरीका में जारी रंगभे�
30:24दक्षन अफरीका में जब महात्मा गांधी गये थे तो वो भी हुए थे, महात्मा गांधी डर्बन से जब ट्रेन में सफर करना चाह रहे थे और ट्रेन का टिकेट लिया उन्होंने पर्स क्लास यानि की प्रथम स्रेणी का उस समय उन्हें वहां से निकाल दिया गया, ये क
30:54ऐसा कुछ दक्षन अफरीका में लंबे समय से चल रहा था और नेलसन मंडेला ने एक आंदोलन छेड़ रखा था इसके खिलाब, खुद नेलसन मंडेला ने 28 साल जेल में गुजारे इस आंदोलन को लेकर के, वहां की गोरी शरकार ने नेलसन मंडेला को जेल में डाल दिया
31:24समय शरके BANDUNG का की किया
31:32कोंपेटिशन इसे कई का पूछा गया एक प्रश्न
31:34मिखी रस क्या बंसकते हैं यह आप देखें कर बंदूंगáng रहा है
31:40क्या है इसोट को आयुजीद किया गया last 1955 मा यहाँ पहला प्रसन यह किन किन देशों का संब्र नतात तो यह था एसिया और अफ्रीं पर के देशों का
31:55इस या अफ्रीका इन देशों का यह सम्मेलन था इस सम्मेलन का आयोजन किसके द्वारा किया गया था इंडोनेशिया के द्वारा इंडोनेशिया इंडोनेशिया में कौन थे इंडोनेशिया का सासन किसके अधीन था जिन्होंने इसका सम्मेलन इस सम्मेलन का आयोजन किया था
32:25स्कॉर्ण, जिनके द्वारा इंडोनेशिया में गया था इस समयलन में किन बातों पर बात्चित की गई थी तो इस कंवेलन में आप से करेंगे अफरीका एस ये देश्यों
32:38काई समयलन था और बात्रो की गई थी वह थी गुट निर्पेक्स की ह् le
32:45गुटनेर पेक्ष आंदूलन prophets備 के न कही जाती है कब 1955 नयंटीं 55 बांटों शंबेलन जु किया गया था
32:58इस में गुटनेर पेक्षquito रविलन और इसIP जिसका पहला सम्ने जिसकें कि आ गया था उसके बारे में बातचित 1955
33:06्ल्य Oleg कि जा चुकी थी का tbsp
33:11अब कर दोलों का पहला समयलन उनिस्वएकसर में बेलग्रेट युगोस्लाविया में आयोजित किया गया था
33:16देखें गुटनिर पेख शांदोलन की शुरुवाद जो हुई थी वो कब से हुई थी
33:201961 1990 रवित जब बंडूम सर्भुन बुलाएं गया स्वाले जब बैन्डइवेट सिकस्व डेल रुसिर टुम्दcast
33:40इस अंधे को ऊस्वागे यूगोस्लाविया और ये गुद्टमें देश्व का प्रथम 6सुकर समयलना सो प्रथम से कुछिक समयलन में जो भाग लेने
34:01कुछ थीch
34:0425 पचीश, 25 देशों ने इसमे भाग लिया था लेकिन समय के साथ साथ इसके संक्या में निरनतर व्रदी होती गई
34:11और वर्तमान में वर्तमान में इसके सदस्य कितने हैं?
34:20120, 120, गुटनिर पेक्स, अंदोलन के जन्म धाता कौन है?
34:27गुटनिल पेक्स, आंदोलन के जन्मदाता, तो पांच नाम साम जाते हैं, उसमें भारत का नाम सबसे पहले लेंगे हाँ,
34:56भारत, मिस्र, यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया, इंडोनेशिया और गहना, यह वो पांच देश हैं, भारत, पंडित नहरू, मिस्र, गमाल अप्दुल नासिर,
35:22यूगोस्लाविया, टीटो, मार्सल टीटो, इंडोनेशिया, सुकर्ण, गाना, वामे एंकुरूमा, वामे एंकुरूमा,
35:41यह सब जो थे वो गुट्मिर्पेक शांदोलन के जन्व दाता थे, जिन्होंने इस आंदोलन को जन्व दिया था,
35:46और गुट्मिर्पेक शांदोलन का मतलब क्या था, गुटों से स्वतंतर रहेकर, स्वतंतर विदेशनीती का अनुसरण करना,
35:54गुटों से अलग रहेकर, स्वतंतर विदेशनीती का अनुसरण करना,
36:21इसे को कहते हैं, गुट्मिर्पेक शांदोलन,
36:27भारत चीन यूथ 1962, अब देखिए, हमने भारत की विदेशनीती की चर्चा की जिसमें देखा,
36:34कि भारत ने सभी देशों के साथ सयोगात्मक संबन्द स्थापित करने, गुटों से अलग रहना,
36:41और विश्व में सांते इस्थापित करने की नीती का अनुसरण किया था,
36:46जी और जी ने दो, पंसिल सिद्धान्तों पर आधारित विदेशनीती,
36:49अफ्रीकी एसे आई देशों के साथ अच्छे संबन्द इस्थापित करना, आपसी सहीोग को बढ़ावा देना,
36:55इस प्रकार के संबन्दों को जहाँ भारत ने अपनी विदेशनीती का अधार बनाया,
36:59वही भारत को 1962 में भारत और चीन युद्ध देखना पड़ा, तो क्या कारण था भारत और चीन युद्ध का?
37:06इसमें आप देखेंगे कि चीन ने 1950 में तिबबद पर अपना अधिकार किया, इससे भारत और चीन के बीच एतिहासी कुरूप से जो मध्यवर्ती राज्ये बना चला रहा था, वह खत्म हो गया, देखें तिबबद के अगर हम बात करें,
37:28तिबबद, एक बफर स्टेट की भूमी का निभाता था, बफर स्टेट, बफर स्टेट का मतलब होता है, दो विरोधी, दो विरोधी या, दो विरोधी या, ताकत्वर देशों के बीच,
37:58ऐसा देश, ऐसा देश, जो दोनों के मध्य, इस्थित हो, तथा सांती, पूर्ण, नीती,
38:26का अनुस्वरण करे, अनुस्वरण करे, सांती पूर्ण, नीती का मतलब है, ना खुद लड़े ना लड़ने दे, और चूंकि आज सबी जानते हैं, कि तिबबत एक ऐसा देश है, जो कि देश था, आप तो देश नहीं कहेंगे,
38:41जो कि बहुत धर्मावलब्बियों का केंद्र, जहां पर बहुत धर्म के लोग रहते थे, जो कि बिलकुल शांती की नीती पर आसरित था, जिसका दुनिया के किसी भी देश के साथ में, विवात करना, युद्ध करना, ऐसा कुछ भी कभी उदेश ये नहीं रहा, और था भ
39:11दोनो देशों के बीच में जो एक मद्यवर्ती देश चला रहा था, वो समात्तों गयां। तिबबत के धर्मिक नेता, बहुत भारत में शरन लिए और भारते उने शरन दे दी है चीन ने आरूप लगाया कि भारत सरकार, अंदरूनी तोर पा चीन विरोदी गतिविदियों
39:41अर्थात चीन जो है यह कह रहा था कि भारत में दलाई लामा को शरण दे करके बहुत बड़ी गल्ती की है
39:51कि क्या गल्ती कि कि चीन का विद्रोही था दलाई लामा चीन ने जब तिबद पर अधिकार कर लिया और उस समय
40:00तिबद चीन का जब एक अंद्रूमी शेत्र बन गया और वहां का कोई ऐसा व्यक्ति भारत आ रहा है जो कि वहां पर विद्रोह फैला रहा था यानि कि चीन के मेद्यों का जुवरूत कर रहा था उसको अगर भारत अपने यहां पर सरण देता है तो भारत पे चीन के विद्र
40:30उसकky का मामला अंग्रेजी शासन के समय ही सुझाया जा चुका था लेकिन चीन के सवह कहना था कि अंग्रेजी शासन के समय
40:37का फैसला नहीं माना जा सकता चीन एक नेहीं धारशा है बारत में ज्यक Catholic खात्म कर लिया गया था लेकिन चीन का यह माना था यह सीम्य ngh выглядит
40:51ब्रेटिस सरकार्ठे खतम किया हो
40:52चीन ने नहीं खतम किया था
40:54चीन अब खतम करेगा क्योंकि भरते का आजार से
40:57उस समय कोling का सासब था
41:00अंग्रेशों के सासब के साथ
41:01हम पला कुई समझोता को जो कर रहे थे
41:03वो झांद शेथल पर की वेंगे हspeed को Range
41:06पास्त्विक समझता नहीं था समझता तो अब होगा यानि कि कौन-कौन से अशे शेत्र हैं जो चीन अपना अधिकार में मानता था और भारत ये कहता था कि वो हमारे शेत्र हैं उनको लेकर भारत और चीन के बीच में सीमा विवाद भी उठखड़ा हुआ
41:21मुख्या विवाद चीन से लगी लंबी सीमा रेखा के पस्चीमी और पूर्वी छोर के बारे में था चीन ने भारतिय भूख शेत्र में पढ़ने वाले दो इलाकों जम्मु कश्मीर के लद्दाख वाले इलाके या हिस्से को
41:37जम्मु कश्मीर में लद्दाख के हिस्से में एक शेत्र पढ़ता है नामें अक्षाई चीन और अरुना चलप्रदेश यह दोना हिस्सों पर अपना अधिकार जता है चीन ने किस पर अधिकार जता है एक तो अक्षाई चीन
41:53अक्षाई चीन जो कि ब्रेटे सरकार ने जब चीन के साथ समझोता किया था तो उसमें एत्त है कि या था कि अक्षाई चीन भारत का हिस्सा होगा और यह कहां पर इस्तित है यह इस्तित है लद्दाख जो कि जम्मु कश्मीर का एक हिस्सा था दूसरा अरूनाचल प्रदे�
42:23ना नियफा कहा जाता था नंइफा मतलब है नथी स्थ्ट प्रेंटियर एजेंसी नौर्थ या स्थ्बांटियर प्रेंदी एजेंसी ने इस्ट प्रेंटियर एजेंसी
42:49North East Frontier Agency, NIFA या अरुनाचल प्रदेश पर चीन अपना अधिकार मानता था
42:551957 से 1960 के भी चीन ने अकसाई चीन इलाके पर कबजा कर लिया
43:01कैस पर कबजा किया? अकसाई चीन पर
43:031957 से लेकर 1959 के बीच में
43:09चीन ने अकसाई चीन इलाके पर अपना कबजा कर लिया
43:11और इस इलाके से उसने रणितिक बड़त हासिल करने के लिए एक सड़क बनानी भी सुरू कर लिए जो भारत का इस्सा था उस पर अपना अधिकार इस्थापित कर लिया
43:20और वहाँ पर एक सड़क निर्मान का काम भी प्रारम कर लिया
43:24कि दौनों देशों के बीच सीर्स बेंताओं के बीच लंबे समय तक बाजचिती रही वारताइं चलती रही लेकिन इसके बावजूत मध्यत को सुल्जाया नहीं जा सका।
43:35दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर कई बार जड़ब हो गई थी चोटी-चोटी जड़ब दोनों देशों के बीच में 1962 से पहले कई बार हो चुकी थी
43:44चीन ने 1962 के अक्टूबर में दोनों विवादित क्षित्रों पर बड़ी तेजी तथा व्यापक स्तर पर हमला कर दिया था कब किया अक्टूबर में चीन ने जो भारत पर हमला किया था वह दो चरणों में किया था
44:00चीन का भारत पर आकरमार तो पहला हुआ पनिस्तो स सथ stability और मश्यcando सब कॉनों सु स्कत्र में पनिस्तो सेत्र पर अटेग किया यह देखिए जराव
44:13निस्तो से पहने कुछ तक चला है यनि के एक अबते तक अप्टे तक लगाता हुआ है
44:29और इस दोरान चीनी सेना ने अरुनाचल परदेश के कुछ
44:31महत्यो पूर्नाव
44:32पर अपना कब्जा कर लियए तो पहला टार्गेट जो किया वो कहां पर किया उसने
44:40अरुनाचल प्रदेश पर किया नेफाजी से कहा जाता था
44:43जिसे कहा जाता था अरुनाचल प्रदेश हमले का अगला दौर्ट जो कि नवंबर महिने में सुरू हुआ
44:50नवंबर 1962 में लग्दाख से लगे पस्चिमी मूर्चे पर भारतिय सेना ने चीन की बढ़त रोकी कहा पर अटेक किया था पहला लग्दाख में अटेक किया था लेकिन यहां भारत की सेना ने चीन के सेनिकों को रोक लिया आगे नहीं बढ़ने दिया
45:11पूरू में चीनी सेना आगे बढ़ी और असम के मैदानी हिस्से के प्रवेस द्वार तक पहुँच गई
45:17क्यानि कि जब लगा चीन को कि यहां वो नहीं बढ़त ले पा रहे हैं
45:22लदाप ने क्या किया यहां पर भारत की सेना ने उसे रोक दिया
45:26भारत ने रोक दिया
45:31सेना को आगे नहीं बढ़ने दिया तब उसने अपना हमला बदला और उसने अटेक कहां पर किया असम की तरफ
45:39असम के प्रवेस द्वार तक पहुँच गया यानि कि वो चाहता था कि भारत अपनी सेना असम की तरफ
45:49मूव करे और भारत जो है वो यहां पर बड़त ले सके जिसे वो अधिकार में लेना चाहता है आखिरकार चीन ने एक तरफा युद्ध विरान गोशित किया और चीन की सेना उस इस्थान पर लोट गई जहां से वे हमले से पहले तैनाद थी यानि कि चीन ने अपनी सेना को
46:19उसने युद्ध विराम ही गोशित कर दिया वो चाहता तो क्या युद्ध को और लंबा नहीं कीच सकता था क्या भारत के बहुत सारे प्रदेशों पर अपना अधिकार नहीं कर सकता था फिर उसने अचानक युद्ध क्यों रोप दिया तो चीन का मुख्य उप्धेश्य भ
46:49जरूर चर्चा करेंगे लेकिन कुछ ऐसी महत्वपूर बाते हैं जिनपर हमें एक बार चर्चा और कर लेनी चाहिए फिर हम यहां से आगे बढ़ते हैं लेकिन छोटे से इस ब्रिंस ग्रें के बाद
47:19तो देखे, हम लोग यहाँ पर जो आप चर्चा करने वाले हैं, वो चर्चा करेंगे हम थोड़ा सा, इसी दर्मियानी चीज जो छूट रही थी, पहले उस पर ध्यान दे रहेते हैं, वो है तिबद पर जब चीन अपना अधिकार इस्थाफित किया,
47:47तो तिबद के लोगों के साथ चीन ने कैसा बरताओ किया था, थोड़ा उस पर आपका ध्यान भी जाना चाहिए, देखे, तिबद दिवाद, तिबद को लेकर के फोट सी बाते हैं, जिन पर देखे करके हम चर्चा करेंगे, ये तो हमने देख लिया कि तिबद भारतों चीन क
48:17जिसे हम बफर स्टेट कहते हैं, लेकिन चीन, ये कहता था कि सदियों से चीन का अधिका तिबद पर रहा है, ये चीन का दावा था, चीन का दावा, क्या था?
48:35कि सदियों से, सदियों से, तिबद पर, सदियों से, तिबद पर, चीन का अधिकार, चीन ये कहता था कि सदियों से तिबद हमारे अधिकार सेतर में ही रहा है, ये तो ठीक है, ब्रेटिस काल के दोरान, जब चीन में भी करांती चल रही थी,
49:02तो चीन का राजवन्स कमजोर होने के कारण तिबबत पर ध्यान नहीं दे पाया
49:06और तिबबत एक स्वतंतर देश के रूप में रहा
49:08तो ये वास्तर में तो हमारा ही शेत्र है
49:10ये चीन का माना था
49:12अब चीन जब उस पर अपना अधिकार जताई रहा था
49:15तो यहां क्या हुआ 1950 में 1950 में जब चीन अधिकार किया जब भारत शांत रहा तो इसका मतलब
49:38चीन ने क्या माना कि भारत की स्विक्रती है भारत की स्विक्रती माना जब कि सबसे बड़ी बात यह है
50:02कि जब अंग्रेज भारत को छोड़ करके गए थे तो तिबबत के पुनण निर्माण की जिम्मेदारी भारत पर छोड़ करके गए थे
50:09कि तिबबत का जो पुनद निर्मान होगा उसमें भारत की बड़ी भूमी का रहेगी और भारत की सेना तिबबत के पुनद निर्मान में वहाँ पर तैनात रहेगी यानि कि भारत की जिम्मेदारी थी तिबबत को खड़ा करने के बड़ चीन ने उस पर अधिकार कर लिया और
50:39चीन ने तिब्वतियों पर अत्याचा प्रारभ कर दिये तथा उन पर उन पर चीनी संस्क्रति
51:09उन पर चीनी संस्क्रति व भाशा लाधने का प्रयास किया
51:28चीन की संस्क्रति और भाशा को लाधने का प्रयास किया और तिवच के लोगों पर
51:34आक्रमांट तिबत के लोगों पर
51:36सैनिक कारेवाई तक करनी सुरू
51:38कर दी जिन जिन लोगों ने इसका विरूत किया
51:40उनके खिलाफ अमानविय यातनाय
51:43उनको दी गई
51:44तिबत ने बार-बार भारत पर
51:46भारत की तरफ भारत को
51:48इस गटना की तरफ
51:50चेताय कि जो चीन कर रहा है
51:53वो ठीक नहीं कर रहा है
51:54तो हम यह कह सकते हैं
51:56पिबत के धर्म गुरू
52:02दलाई लामा द्वारा
52:05धर्म गुरू दलाई लामा द्वारा
52:11चीन के अत्याचारों से
52:17बारत को परिचित करवाया गया
52:30कि चीन जो कुछ कर रहा है
52:38वो ठीक नहीं कर रहा है
52:39लेकिन इसी समय
52:41चीन के प्रधानमंत्री का भारत में एक दौरा हुआ था
52:44चीन के प्रधानमंत्री
52:46अर्थात चाउ एन लाई
52:49चीनी प्रधानमंत्री
52:55चीनी प्रधानमंत्री
53:01भारत की यात्रा की
53:14भारत की यात्रा की तथा भारत को तथा भारत को भरोशा या विश्वास दिलाया
53:30भारत को विश्वास दिलाया कि तिप्वत को स्वायत प्रांत का दर्जा दिया गया है
53:56दिया गया है तिप्वत हमारे अधिकार में है लेकिन बहुत खुश है
54:10क्योंकि तिप्वत को विश्वाद रज्जे का दर्जा दिया है
54:12वहाँ पर चीन के अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां के रोग अधिक स्वतंत्र है
54:18जो कि सब जूट था बारत को भी सायद इस बात का पता था कि ये सब जूट है ऐसा नहीं हो रहा है क्योंकि चीन के अर्थिबत के धर्मगुरु दलायलामा बहुत इस पस्रूप से ये कह रहे हैं कि लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं खुन खराबा हो रहा है जबरन चीन अ�
54:48लेकिन फिर भी भारत ने अपनी आँक को बंद करके रखा पंडित नहरु ने यह माना कि जब हम चीन के साथ पंसिल सिधानतों पर हस्ताक्षब कर चुके हैं तो फिर हम चीन के साथ विवात कैसे मूर ले सकते हैं हम तो चीन के साथ चीन को एक बड़े भाई जैसा दरजा �
55:18लेकिन यहां भारत ने इक देलेरी का काम किया था और भारत की देलेरी क्या थी वो थी दलाई लामा को भारत में शरण देना और शरण देते वक्त ये कहना कि अथिति देवो भवव चीन ने कहा कि आपने शरण कैसे देदी तो भारत ने कहा भई अथिति है हमारे महमान है �
55:48चीन ने इसको अपना एक पैस्टीज पॉइंट बना लिया कि भारत ने ऐसा करके से थिया हलां कि भारत पर वैसे भी अटेक तो करना चाहता ही था यह तो उसके मन में पहले से ठनी भी थी यह तो एक महाना मिल गया कारण बन गया बाकि वो लगातार ऐसी कोशिस कर रहा था कि
56:18अद्र रमगुरू जीक द्रें। भारत में कहां पर रहेते हैं हिमाचल-डेश
56:30हिमाचर मैं प्रदेश के दो हुआं हमाचल प्रदेश के दर्म शाला में रहते हैं
56:43दार्मशाला में रहते हैं तथा अनेक तिपती तथा अनेक तिपती दिल्ली वह उसके आसपास दिल्ली में रहते हैं
57:03कि दिल्ली में जो है वह अनेक तिपतियों की बस्तियां देख सकते हैं लंबे समय से वह जो छोड़कर आये थे तिपत को आज भी यहां पर बसे हुए हैं और इस बात को लेकर के चीन हमेशा भारत के साथ कहीं न कहीं बाचित करता रहता है अब तो क्यों दोनों देशों के ब
57:33करता है तो यह चीजें कुछ महत्वफून थी जिनको लेकर के आपको यह जानकारी देना अवश्य था अब देखेंगे आप कि चीन युद्ध से भारत की चवी को देश और विदेश दौनों जगया पर धक्या अचानक चीन ने हमला किया अचानक चीन ने हमना रोक दिया
58:03करने का लक्ष ये क्या था उद्देश ये था भारत को दुनिया के समग से कमजोर देश शिद्ध करना और वो चीन ने कर दिया अना कि भारत अगर तैयारी रटता इसकी तो चीन की इमत नहीं होती कि वो भारत को इतना नुक्षान पहुंचा सके
58:19बात के कुछ डॉकुमेंट्स ऐसे मिले हैं जिसमें ये बताया गया है कि अगर उस समय भारत ने अपनी हवाई सेना को यानि की एरफोर्स जिसको कहते हैं अगर उसे तैयार कर दिया होता चीन के बॉडर पर तो चीन की कभी इमत नहीं होती कि वो एक इंच जमीन भी भारत से ह
58:49यह सबसे बड़ी गलती भारत की उस समय रही बट जो नुक्षान पहुंचा वो क्या पहुंचा यह देखे जरा चीन युद्ध से भारत की छवी को देश और विदेश दौनों जगों पर धक्का लगा इस संकट से उभरने के लिए भारत को अमेरिका और ब्रिटेन जैसे �
59:19के उन देशों से सहायता मागनी पड़े, सहयोग लेना पड़े, तो ये थोड़ा सा कही न कहीं हमारी प्रेस्टीज के लिए ठीक नहीं था, तो हमने अंतरास्ट्री और आस्ट्री दौनों जगों पर अपनी छवी को नुक्षान पहुंचाया, स्टुनेंट्स देखे आज
59:49ये अंतरा से प्रेखक Łग मैं कर लेका एंपना पुक्ता रस दाईड़े, तो हमने हम दौने धेभ, हमने हमारा बॉट नहुटरी छूना चर्श्री पु signatures लोड़े वेरोफे टिरोड़े, तो हमने हमने हमने हम दोड़े प्रेस्ट एंतरा से गमने हमने हमने हैं भ। लेक्त