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Dhruv Rathee Controversy : सिख धर्म प्रमुख धर्मों में से एक है, जिसका मानना है की ईश्वर एक है और उसे अलग अलग रुपों में पूजा जाता हैं, सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए हैं, और इस 10 गुरुओं के रुप को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है, सिक्ख धर्म का मानना है की गुरुओं के रुप को चित्रों के जरिए प्रदर्शिंत नहीं किया जा सकता है, बल्कि उसे शबद के रुप में महसूस किया जा सकता है...और अब ये मामला इस लिए चर्चा में हैं क्योंकि यूट्यूबर ध्रुव राठी (YouTuber Dhruv Rathi) द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI )की मदद से एक विडियों बनाया, जिसमें उन्हों ने गुरुसाहब और साहबजादों के चित्रों को गलत तरीके से दिखाया गया, जिसपर सिक्ख समाज ने आपत्ती दर्ज कराई...इसी मुद्दे पर वनइंडिया की टीम ने सिख रिसर्च इंस्टिट्यूट(Sikh Research Institute) के सह संस्थापक हरिंदर सिंह (Harinder Singh) से बात की और जाना की क्या है गुरु का स्वरुप...

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00:00जैसे आपने कहा कि पिक्चर्स नहीं बनाई जानी चाहिए तो जो ट्रेडिशनल पेंटिंग है क्या वो भी इस दाइरे में आती है
00:05ट्रेडिशनल पेंटिंग अगर कोई बनाना चाहे पेंट ब्रश से ड्रॉ करना चाहे
00:10क्योंकि AI-generated picture में और उतमें फर्क है अब इसको हम आर्ट के दाइरे में भी लेकर आते हैं कि अगर एक
00:16creative expression है तो कई लोग तो ऐसा भी कहते हैं हमको स्वापन में दर्शन हुआ और हम उस दर्शन को हमने कागस पर उतारना के अनवास पर उतारना चाहा
00:26सर बड़ी महीन सी रेखा है मतलब भारत तो उस परंपरा का देश है जहां पर लोगों ने मंदिर बनाये हैं या बड़े-बड़े धर्मस्थर बनाये हैं सिर्फ एक ड्रीम या एक inspiration को आधार मान कर और ऐसे कई दिव्य विबूतियां इस धर्ती पर जनम ले भी चुकी है
00:56सिख ऐस्थेटिक्स उसका तो अभी जनम हूँ नीरपारा ना यह प्रॉब्लम इसलिए आ रही है सो मैंसे एक आपके सवार के पीछे जाओंगा एक उसकी स्पिरिट में भारत में और साउथ एजिया के जो परंपराएं उन परंपराओं में हिंदू परंपरा वी एक समों �
01:26जो इस चित्रों को ध्यान देती है कई तो नहीं देते उसमें निरत्य कला भी आती है हिंदूस्तानी परंपरा में बड़ियां कला आएंगी बट सिखों में जो की परंपरा वो परधान रही है शबत को सुनाने में अब यहां पहली बात यह समझने बहुत जरूरी है उसके
01:56को उसमोने कि सब्राट को कि लोग कहते हैं कि तुम तो जो बुदफ पूझ है और तुम बुद तोड़ने वाले हो बुद शिकन हो यह तुमने एकठे कैसे कर लियो दोनों को कहते क्यों कि मैं ग्यान के दिमाग के बुद तोड रहा हूं और फिजिकल बुद नहीं तोड़
02:26अगर दृष्टी ही नहीं है तो दृष्टी कुन किसा होगा लो नहीं है तो नजरिया कैसा बनेगा वह इममच्ज़ नजरिया किहा जा vend侣 कि
02:36किसी को बैन करना हुड़ुबाजी करनी यह स्परांते को डियर्थ préc啊 कभी भी नहीं आया था już
02:42साथ साथ चल रहा है गुरु पीरियड में भी सिखों में भी गुरदवारों
02:47में भी गुबदवारे की जो वाल्ज में एवन घरमंदर साब कॉमप्लेक्स में। orders
02:52गुरदवारा है प्राना पर इसके। सते बनाए गए थे बड़ वो सब गुरु काल के
02:58के बाद बनाए गए गए लोगों ने अपनी अपनी बंशा के मतावक अपनी अपनी अपनी द्रिश्टी के मतावक बना दिये वह कमिशन्ड वर्क था जो आज कर हम बोलते हैं महाराजा रंजीच सिंग्ग के वक्त से शुरू होया और एटीन फिफ्टीज में शुरू होया ए
03:28हुग कहते हैं मेरा भी मन करता है कि मैं रोज गुरू की फोटो बनाओ मैं पेंट भी कठा करता हूं ऐद केन वस मी लेके आता हूं पर मैं शाम को जाकर सपलुच में ठेक आता हूं फिर मैं सपलुच से पूछ तूब था कैसे बना कहते हैं यह image गंगा से हूँ तुमने दे

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