00:00बादल को बरसने से बिज्ज़नी को चमकने से कोई भी रोख न पाएगा
00:18भूलों को महखने से बुल्बुल को चह्कने से कोईभी रोख न पाएगा
00:30समरी दी रोक लापाएगा
00:35जब जब उल्पत की रहों में हो
00:41जब जब उल्पत की रहों में ही
00:44अदीबार उठाएगी
00:47मोहपत बड़ती जाएगी
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