अपहरण कर मुंह में गन ठूंस दी
भीलवाड़ा। अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छूटे 24 घंटे से अधिक हो चुके लेकिन जेहन में बदमाशों की यातनाएं सिरहन पैदा कर रही है। बदमाशों की कैद में गुजारे 10 घंटे ताजिंदगी याद रहेंगे। पुलिस ने मुझे नया जन्म दिलाया। पत्नी अभिलाषा व करीबी दोस्तों के हौसले को बयां करने के लिए शब्द नहीं है। यह कहना था, कलर पेंट व्यवसायी आदित्य जैन (35) का, जिनका सोमवार रात छह जनों ने अपहरण कर लिया था।
आरके कॉलोनी निवासी आदित्य का निजी चिकित्सालय में इलाज चल रहा है। अपहरणकर्ताओं ने फिरौती के लिए आदित्य से मारपीट की। आदित्य ने अपहरण से लेकर पुलिस के मुक्त कराने तक की कहानी राजस्थान पत्रिका से शेयर की। आदित्य ने कहा, कभी सोचा नहीं सोचा था कि ऐसी घटना भी हो सकती है।
सोमवार रात साढ़े आठ बजे कार में चार बदमाशों ने मुझे बंधक बनाया। छुटने की कोशिश की तो उन्होंने मुझ पर लात-घूसे बरसाए। हालांकि दो बदमाशों को मैंने भी पीटा। इस पर एक ने अपनी जेब से गन निकाली व मेरे मुंह में ठूंस दी। जान से मारने की धमकी दी। बहोश करने के लिए मुझे क्लोरोफार्म सूंघाया। इससे बेहोश नहीं हुआ तो जबरन नींद की गोलियां खिला दी। इस बीच मैं खुद को होश में रखने की मशक्कत करता रहा।
आदित्य ने बताया कि कार में बदमाशों ने सीट से नीचे गिरा बायां हाथ पीछे की तरफ मरोड़ दिया। हाथ टूट गया। यह दर्द अहसनीय है। फिरौती नहीं मिलने पर परिवार व बेटे को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।
काश, मुझे मदद मिलती
आदित्य की पीड़ा थी कि शहर की पॉश कॉलोनी कांचीपुरम व पार्श्वनाथ कॉलोनी के सामने उसे पीटा व बंधक बनाया, लेकिन कॉलोनी में आने जाने वाले लोग रूके भी नहीं। राहगीर तमाशा देखते रहे। किसी ने मदद नहीं की।
बंटवारे को लेकर झगड़ा
आदित्य ने बताया, एक भी बदमाश को नहीं जानता। पहले पचास लाख फिरौती की बात कही, लेकिन समय बढ़ने लगा तो राशि घटने लगी। अंत में 25 लाख पर आ गए। राशि के बंटवारे को लेकर बदमाश आपस में लड़ पड़े।
कोडवर्ड में बात
बातचीत के दौरान नाम छिपाने के लिए बदमाश कोडवर्ड में बात कर रहे थे। हालांकि कई बार चूक भी गए। अपहरणकर्ताओं ने पत्नी से मेरे मोबाइल से लगातार बातचीत की, ऐसे में मोबाइल की बैट्री डिस्चार्ज भी हो गई।
गाड़ी देख बंधा हौसला
आदित्य को पुलिस पर भरोसा था। उन्होंने कहा, परिवार, मित्र व रिश्तेदार मुझे छुड़ाने में पूरी ताकत लगा देंगे। पुलिस व दोस्त की गाड़ी भी लगातार पीछे नजर आ रही थी। इससे मेरा हौसला बना रहा। प्रतापनगर थाना प्रभारी गजेन्द्रसिंह नरूका ने कार का गेट खोल मुझे बाहर निकाला। एक बार तो सुरक्षित होने पर विश्वास ही नहीं हुआ।
तीन दिन का रिमांड पर अभियुक्त
अपहरण के सभी छह अभियुक्तों को पुलिस ने बुधवार को न्यायाधीश के समक्ष पेश किया। थाना प्रभारी नरूका ने बताया कि अभियुक्त आजादनगर के कैलाश सुथार, करजालिया के गौरीशंकर शर्मा, कादीसहना एवं हाल आरके कॉलोनी कच्ची बस्ती के सन्नी घूसर, रायपुर के सगरेव हाल आजादनगर के आनंद सोनी, चित्तौड़गढ़ के कपासन हाल आजादनगर के मनोज पाराशर एवं हमीरगढ़ के आमली के गोविन्द शर्मा को पुलिस ने मंगलवार सुबह पकड़ा।इनको तीन दिन के रिमांड पर लिया है।
बाइक, स्कूटर करेंगे बरामद
अभियुक्तों की निशानदेही से वारदात में प्रयुक्त, बाइक, स्कूटर बरामदगी के प्रयास होंगे। पिस्टल व चाकू पहले ही जब्त कर चुके। आरोपी कैलाश का कलर पेंट की दुकान पर आना जाना था। लूट व अपहरण की साजिश उसने ही साथियों के साथ रची।
बचने को छोड़ा टोल रोड
पुलिस जांच में आया कि भीलवाड़ा से मांडल व आसींद मार्ग के मध्य बदमाशों ने अपनी कार एक भी टोल से नहीं गुजारी। टोल देखते ही गांव के रास्ते गाड़ी मोड़ देते। भीलवाड़ा से मांडल वाया आसींद की दूरी 50 किमी थी, लेकिन बदमाशों ने कार 300 किमी चलाई। सोमवार सुबह पेट्रोल की टंकी फुल कराई थी, जो घूमने के दौरान खत्म हो गई। कार में फिर तेल भराया गया। रास्ते में बदमाशों ने शराब भी पी।
आरके कॉलोनी निवासी आदित्य का निजी चिकित्सालय में इलाज चल रहा है। अपहरणकर्ताओं ने फिरौती के लिए आदित्य से मारपीट की। आदित्य ने अपहरण से लेकर पुलिस के मुक्त कराने तक की कहानी राजस्थान पत्रिका से शेयर की। आदित्य ने कहा, कभी सोचा नहीं सोचा था कि ऐसी घटना भी हो सकती है।
सोमवार रात साढ़े आठ बजे कार में चार बदमाशों ने मुझे बंधक बनाया। छुटने की कोशिश की तो उन्होंने मुझ पर लात-घूसे बरसाए। हालांकि दो बदमाशों को मैंने भी पीटा। इस पर एक ने अपनी जेब से गन निकाली व मेरे मुंह में ठूंस दी। जान से मारने की धमकी दी। बहोश करने के लिए मुझे क्लोरोफार्म सूंघाया। इससे बेहोश नहीं हुआ तो जबरन नींद की गोलियां खिला दी। इस बीच मैं खुद को होश में रखने की मशक्कत करता रहा।
आदित्य ने बताया कि कार में बदमाशों ने सीट से नीचे गिरा बायां हाथ पीछे की तरफ मरोड़ दिया। हाथ टूट गया। यह दर्द अहसनीय है। फिरौती नहीं मिलने पर परिवार व बेटे को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।
काश, मुझे मदद मिलती
आदित्य की पीड़ा थी कि शहर की पॉश कॉलोनी कांचीपुरम व पार्श्वनाथ कॉलोनी के सामने उसे पीटा व बंधक बनाया, लेकिन कॉलोनी में आने जाने वाले लोग रूके भी नहीं। राहगीर तमाशा देखते रहे। किसी ने मदद नहीं की।
बंटवारे को लेकर झगड़ा
आदित्य ने बताया, एक भी बदमाश को नहीं जानता। पहले पचास लाख फिरौती की बात कही, लेकिन समय बढ़ने लगा तो राशि घटने लगी। अंत में 25 लाख पर आ गए। राशि के बंटवारे को लेकर बदमाश आपस में लड़ पड़े।
कोडवर्ड में बात
बातचीत के दौरान नाम छिपाने के लिए बदमाश कोडवर्ड में बात कर रहे थे। हालांकि कई बार चूक भी गए। अपहरणकर्ताओं ने पत्नी से मेरे मोबाइल से लगातार बातचीत की, ऐसे में मोबाइल की बैट्री डिस्चार्ज भी हो गई।
गाड़ी देख बंधा हौसला
आदित्य को पुलिस पर भरोसा था। उन्होंने कहा, परिवार, मित्र व रिश्तेदार मुझे छुड़ाने में पूरी ताकत लगा देंगे। पुलिस व दोस्त की गाड़ी भी लगातार पीछे नजर आ रही थी। इससे मेरा हौसला बना रहा। प्रतापनगर थाना प्रभारी गजेन्द्रसिंह नरूका ने कार का गेट खोल मुझे बाहर निकाला। एक बार तो सुरक्षित होने पर विश्वास ही नहीं हुआ।
तीन दिन का रिमांड पर अभियुक्त
अपहरण के सभी छह अभियुक्तों को पुलिस ने बुधवार को न्यायाधीश के समक्ष पेश किया। थाना प्रभारी नरूका ने बताया कि अभियुक्त आजादनगर के कैलाश सुथार, करजालिया के गौरीशंकर शर्मा, कादीसहना एवं हाल आरके कॉलोनी कच्ची बस्ती के सन्नी घूसर, रायपुर के सगरेव हाल आजादनगर के आनंद सोनी, चित्तौड़गढ़ के कपासन हाल आजादनगर के मनोज पाराशर एवं हमीरगढ़ के आमली के गोविन्द शर्मा को पुलिस ने मंगलवार सुबह पकड़ा।इनको तीन दिन के रिमांड पर लिया है।
बाइक, स्कूटर करेंगे बरामद
अभियुक्तों की निशानदेही से वारदात में प्रयुक्त, बाइक, स्कूटर बरामदगी के प्रयास होंगे। पिस्टल व चाकू पहले ही जब्त कर चुके। आरोपी कैलाश का कलर पेंट की दुकान पर आना जाना था। लूट व अपहरण की साजिश उसने ही साथियों के साथ रची।
बचने को छोड़ा टोल रोड
पुलिस जांच में आया कि भीलवाड़ा से मांडल व आसींद मार्ग के मध्य बदमाशों ने अपनी कार एक भी टोल से नहीं गुजारी। टोल देखते ही गांव के रास्ते गाड़ी मोड़ देते। भीलवाड़ा से मांडल वाया आसींद की दूरी 50 किमी थी, लेकिन बदमाशों ने कार 300 किमी चलाई। सोमवार सुबह पेट्रोल की टंकी फुल कराई थी, जो घूमने के दौरान खत्म हो गई। कार में फिर तेल भराया गया। रास्ते में बदमाशों ने शराब भी पी।
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00:00When did they torture you?
00:02I want to know that too.
00:03Where did you go during the operation,
00:05did the guns come in your mouth?
00:07Did you sit on the backseat?
00:09Yes, I put the guns on my mouth.
00:11They put the gun on my mouth.
00:13They threatened me with a knife.
00:17I went to a farm in the odd sector.
00:19They threatened me a lot.
00:21They said, they will do this and that.
00:25They had been doing this to me for a long time.
00:28I was in a state of intoxication, everyone was intoxicated in the car
00:34Everyone was in the same state of intoxication, they beat me up
00:38I also struggled, it's not that I didn't beat them up
00:41I struggled, but my entire arm was broken
00:45So there were only 4 members in that car?
00:47Yes
00:48There were 4 from the start and 4 till the end
00:51Sir, it's not like that, they must have done something to me with chloroform
00:55Smelled it
00:56It could have been 5 or 4, I don't know
00:59So you were intoxicated for a while?
01:02There were only 4 members in the car, I was the 5th
01:05And the 2 handlers, who were here in Bilwara
01:09They were caught later
01:11My wife caught them while handling the money
01:16The rest were in the procession
01:19You were covered in the back seat?
01:22I was in the corner seat, but they broke my arm
01:25They broke my shoulder
01:27I couldn't do anything
01:29They had the confidence that I wouldn't do anything
01:32We have also come across in the police station
01:35That they fought with you
01:39Which one?
01:40That they fought with you
01:42They used to talk to each other and fight
01:45There were a lot of things going on
01:47But even if they laughed, I couldn't understand anything
01:50They were changing their names again and again
01:52So that I wouldn't have to say anything
01:54But they were doing all these things again and again
01:57I was in the police procession
02:00That they should save me
02:02You had full hope that they would save you
02:04I had full hope from the police procession
02:06And more than that, they saved me
02:08Let's assume that it was around 8.30
02:12From 8.30 till early morning
02:14What time did you reach home?
02:16Around 6.30 in the morning
02:18When we called first
02:20We knew that the phone would be traced by that time
02:25So I called my wife's mobile
02:27And told her to get the first aid kit ready
02:30Then they took me out of the hospital
02:34And took me to Hashim Road
02:36They took me to the mortuary from Hashim
02:38Then I called them again
02:41And told them that I couldn't do anything
02:43And that my arm was broken
02:45And told them to leave me
02:47Then they took me to the mortuary
02:50And took me to the mortuary
02:52All the police officers were there
02:55All the police officers were there
02:57Yes, everyone was there