जब एक भटकती आत्मा अचानक सामने आ गई || आचार्य प्रशांत (2023)

  • 11 days ago
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श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 19)
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्र्चैनं मन्यते हतम् |
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ||
भावार्थः
जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको
मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते ; क्योंकि यह आत्मा
वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी के द्वारा मारा जाता है ।।
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श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 20)
न जायते म्रियते वा कदाचि-न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणोन हन्यते हन्यमाने शरीरे॥२०॥
भावार्थः
यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर
फिर न होने वाला ही है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह मारा नहीं जाता॥
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वीडियो जानकारी: 08.09.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ हनुमानजी किसके प्रतीक हैं?
~ क्या भूत और भगवान होते हैं?
~ अहम वृत्ति क्या है?
~ मैं क्या है?
~ मृत्यु क्या है?
~ मुक्ति क्या है?
~ किन तीन मालिकों ने हमें नौकर बना रखा है?

संगीत: मिलिंद दाते
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