व्यक्ति इकट्ठा क्यों करता है? || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2015)

  • 2 months ago
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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 18.2.15, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, भारत

प्रसंग:
~ जितना पैसा इकठ्ठा करता हूँ उतना डर क्यों हावी होता है?
~ क्या पैसा इकठ्ठा करना और डर एक साथ चलता है?
~ क्या पैसा इकठ्ठा करना ज़रूरी है?
~ क्या इकठ्ठा करना हमारा स्वभाव है?
~ "साधु गांठ न बाँधई, उदर समाता लेय" इस भावार्थ का क्या आशय है?
~ संत कबीर इकठ्ठा करने को क्यों नहीं बोल रहे है?
~ धन जमा करना कितना आवश्यक है?
~ अमीरी क्या है?
~ असली धन क्या है?
~ बैभव क्या है?

दोहा:
साधु गांठ न बाँधई, उदर समाता लेय |
आगे पीछे हरि खड़े, जब मांगे तब देय ||
~ कबीर दास जी

संगीत: मिलिंद दाते
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