00:00 स्वयम नर्मदा ने भी काशी जा करके पंचकरोशी के अंदर रहते हुए तपस्या की।
00:05 और तपस्या करके भगवान शिव को प्रसंद कर लिया।
00:10 भगवान शिव ने कहा बताओ नर्मदा क्या चाहती हो।
00:14 कहा एक तो मैं ये चाहती हूँ
00:16 कि कलपकलपांतर में मैं विद्धे मान रहा। नाशना हो मेरा। कहा और कहा ये चाहती हूँ कि आप मेरे पुत्र बनें।
00:30 भगवान शिव ने कहा कि भाई ये तो बड़ा असंभव साफ प्रस्ण है।
00:34 जब हमारा विबाह हो रहा था हिमाचल के यहां तो ब्रह्मा जी पुरोहित बने था। और हमारा गोत्र पुछा जा रहा था। हमारे बाप दादा का नाम पुछा जा रहा था। अब हम क्या बताते हैं।
00:51 हमारा बाप कौन। हमीं तो सबके बाप हैं। जब ब्रह्मा जी ने उनसे पुछा क्या आपके पिताजी का नाम का हमारे पिताजी का नाम ब्रह्मा। का अच्छा। उनके पिता का दादा जी का नाम का विश्नू। का अपरदादा का नाम का हमाई।
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