औरैया: धूप में हो छांव सा, कंटकों में फूल सा,प्रणम्य है पिता जो महान से महान है, सुनें पिता को समर्पित यह कविता

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औरैया: धूप में हो छांव सा, कंटकों में फूल सा,प्रणम्य है पिता जो महान से महान है, सुनें पिता को समर्पित यह कविता

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