मनोज गर्व मोचनम् विशाल लोल लोचनम्, विधूत गोप शोचनम् नमामि पद्म लोचनम्, करारविन्द भूधरम् स्मितावलोक सुन्दरम्, महेन्द्र मान दारणम्, नमामि कृष्ण वारणम् ॥ २ ॥
यथा तथा यथा तथा तदैव कृष्ण सत्कथा , मया सदैव गीयताम् तथा कृपा विधीयताम. प्रमानिकाश्टकद्वयम् जपत्यधीत्य यः पुमान , भवेत् स नन्द नन्दने भवे भवे सुभक्तिमान ॥ ९ ॥