पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण की मांग को लेकर ओबीसी महासभा द्वारा BJP  का घेराव

  • 3 years ago
दिनोंक 28 जुलाई 2021 प्रेस को जारी विज्ञप्ति में राष्ट्रीय सचिव ओबीसी इंजी. दिनेश कुमार ने बताया कि शासन द्वारा जारी आंकड़ो के अनुसार वर्तमान में गा में लगभग 50% आबादी अन्यपिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की निवासरत है, साथ ही वर्तमान में प्रदेश के मुखिया भी ओबीसी वर्ग से ही संबंध रखते है रामान परिस्थितियों के बाबजूद भी ओबीसी वर्ग के युवाओ और छात्र-छात्राओं के हितों पर सत्ता प्रशासन में बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों और उच्च न्यायालय में बहे जातिवादी मानसिकता के न्यायाधीशों द्वारा लगातार कुठाराघात हो रहा है। प्रदेश के एक बहुत बड़े तबके, लगभग आधी जनसंख्या वाले वर्ग के साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार करते हुए उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। अतः ओबीसी महासभा(रजि.) संगठन सहित प्रदेश के समरत ओबीरी वर्ग के जनसामान्य के प्रतिनिधि संगठन, सामाजिक संगठन आपके निवेदन करते हैं कि1. केंद्र सरकार द्वारा NEET प्रवेश परीक्षा में केंद्र द्वारा भरी जाने वाली राज्य कोटे की सीट में ओबीसी आरक्षण नहीं लागू किया जा रहा है जिससे सैकड़ों ओबीसी के छात्र MBBS, BDS सहित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम MD/MS/MDS में प्रवेश से वंचित हो रहे है। अतः राज्य पूलिंग कोटे सीटों में ओबीसी आरक्षण तत्काल बहाल करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का काट करें। 2. बर्ष 2021 में होने वाली जनगणना में जातिगत जनगणना करवाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें।3. माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आरक्षण संबंधित लंबित विभिन्न याचिकाओं में जातिवादी मानसिकता से
ग्रसित न्यायाधीश द्वारा 10% सवर्ण आरक्षण(EWS) को यथावत रखा गया तथा ओबीसी के 27% आरक्ष को लागू नहीं कर 13% आरक्षण रिजर्व रखने के अन्यायपूर्ण आदेश दिनाँक 13 जुलाई 21 को पारित कर ओबीसी वर्ग के युवाओं के साथ छलावा किया गया है। उक्त आदेश के विरुद्ध निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा सत्र में एक अध्यादेश पारित कर हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू करवाने का काट करें।4.MPPSC/ शिक्षक पात्रता भर्ती एवं अन्य परीक्षाओं में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण लागू कराने का काट करें। 5 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की CHO भर्ती में 27% की जगह 6% आरक्षण दिया गया है। इस प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मन की संचालक श्रीमती छवि भारद्वाज पर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए
तत्काल निलंबित करने का कष्ट करें।


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