सेक्युलरों के दबाव में दिल्ली दंगों पर किताब क्यों रुकी? दिल्ली दंगे की किताब आने से कौन डरा? किताब से अभिव्यक्ति की आज़ादी को कैसे खतरा? ब्लूम्सबरी इंडिया को किताब छापने से किसने रोका? 'शाहीनबाग' को चमकाएंगे, दंगे की किताब पर रोक लगाएंगे? इस मुद्दे पर पूर्व आईएएस संजय दीक्षित ने कहा, लेफ्ट वाले दूसरे की बात नहीं सुनना चाहते हैं. लेफ्ट की पुरानी आदत है, ये किसी दूसरे की बात को सुनना ही नहीं चाहते हैं. भारत के इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब किसी किताब को छपने से पहले ही रोक दिया गया है. साल 1908 के आसपास अंग्रेजों ने एक किताब रोकी थी जिसे सावरकर ने लिखा था. #दिल्ली_दंगों_का_सच #DeshKiBahas #Delhiriot
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