एमएस फ्रॉम एम्स के एसडी डॉ भार्गव ने कहा कि आमतौर पर मानसून का सीजन आते ही एमसीडी और एनडीएमसी के कर्मचारी घर-घर दौरा करते थे. कूलर से लेकर गमलों की जांच की जाती थी कि कहीं बारिश के पानी में मच्छर पैदा तो नहीं हो रहे. लेकिन कोरोना संक्रमण काल में यह सर्वे और जुर्माना भी संभव नहीं है. लिहाजा सिविक एजेंसी या कॉलोनियों में फागिंग और जागरूकता के अलावा कुछ कर भी नहीं पा रही.
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