ग्रासलैंड के रूप में विकसित हो रहा झालाना

  • 4 years ago


लेपर्ड सफारी के रूप में बना चुका है पहचान

ग्रासलैंड में पक्षियों के लिए हैबिटाट

लगाई गई है 700 किलो धामण घास

लेपर्ड सफारी के रूप में अपनी पहचान बना चुका झालाना फॉरेस्ट एरिया को अब ग्रासलैंड के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। विभाग इस क्षेत्र में फलदार और छायादार पौधे लगाने के साथ साथ पर धामण और मुंजा घास उगा रहा है। यह घास शाकाहारी वन्यजीवों के लिए चारे का काम तो करती ही है साथ ही, पक्षियों के लिए घोंसला बनाने में भी मददगार साबित होती है।

गौरतलब है कि झालाना लेपर्ड सफारी जंगल महज 3 सालों में लेपर्ड साइटिंग से अपनी नई पहचान बना चुका है। देश विदेश से वाइल्ड लाइफ लवर्स यहां आते हैं। झालाना लेपर्ड फोरेस्ट में 30 से ज्यादा शावक और वयस्क बघेरे हैं। अब वन विभाग बड्र्स के लिए भी झालाना जंगल में नई सम्भावनाएं तलाश रहा है और इसलिए इसे ग्रासलैंड के रूप में डवलप करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
ग्रासलैंड तैयार करना क्यों हैं जरूरी
वन्यजीवों को संरक्षण देने के साथण्साथ पक्षियों को कैसे अनुकूल माहौल दिया जा सकता हैं। इस ओर वन विभाग कार्य कर रहा हैं। आपको बता दें कि प्रदेश में हर वर्ष बड़ी सख्या में साइबेरियन बड्र्स आती हैं, लेकिन अनुकूल जलवायु नहीं मिलने के कारण ये पक्षी या ठहर नहीं पाते हैं। इसके लिए वन विभाग प्रदेश के जंगलों में वाटर बॉडी बनाने पर काम कर रहा है। इसी के साथ जंगल में ग्रासलैंड तैयार की जा रही है।