KALI MAUT ka dusara name BUBONIC PLAGUE ||काली मौत का दुसरा नाम ब्यूबोनिक प्लेग ||

  • 4 years ago
कोरोंना वायरस संक्रमण बनाम ब्यूबोनिक प्लेग नामक संक्रमण (Bubonic Plague)

इसी महीने की शुरुआत में मंगोलिया के खोव्द प्रांत में ब्यूबोनिक प्लेग के दो मामले दर्ज किए गए थे | बताया जाता है कि एक चरवाहा चीन के उत्तरी आंतरिक मंगोलिया क्षेत्र में इस बीमारी के संपर्क में आ गया था | इसके बाद ही शोधकर्ताओं ने बताया कि मार्मेट नामक जानवरों के शिकार कर के उसका मांस खाने से संक्रमण फैल रहा है | मार्मेट नामक जानवर गिलहरी औऱ चूहा की एक प्रजाति हैं |

मालूम हो कि ब्यूबोनिक प्लेग को 'ब्लैक डेथ' यानी काली मौत भी कहते हैं | यह एक बहुत पुरानी महामारी है, जिसकी वजह से करोड़ों लोग मारे जा चुके हैं | प्लेग अबतक तीन बार व्यापक स्तर पर लोगों को अपना शिकार बना चुका है | इस प्लेग बीमारी के चपेट में आने से पहली बार लगभग पांच करोड़ लोग जान गवाएं थे |
दूसरी बार यूरोप की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार लगभग 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है |

कैसे होती है यह प्लेग महामारी बीमारी....
विशेषज्ञों की माने तो यह बीमारी जंगली चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से होती है | बीमारी जंगली चूहों को होती है और फिर उसके मरने के बाद प्लेग के बैक्टीरिया पिस्सुओं के जरिए मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं | इन पिस्सुओं के काटने पर संक्रमण वाले बैक्टीरिया व्यक्ति के ब्लड में मिल जाते हैं और व्यक्ति प्लेग नामक बीमारी से संक्रमित हो जाता है।

ब्यूबोनिक प्लेग के क्या होते हैं लक्षण....
व्यक्ति को तेज बुखार और शरीर में असहनीय दर्द होता है.......
मनुष्य की नाड़ी तेज गति से चलने लगती हैं......
नाक और उंगलियां भी काली पड़ने लगती हैं और सड़ने लगती हैं....
दो-तीन दिन में शरीर में गिल्टियां निकलने लगती हैं, जो 14 दिन में पक जाती हैं......
गिल्टियां निकलने की वजह से इस बीमारी को गिल्टीवाला प्लेग भी कहते हैं.....
ब्यूबोनिक प्लेग इंसान के फेफड़ों पर भी हमला करने में सक्षम होता है....
ब्यूबोनिक प्लेग फैलाने वाले बैक्टीरिया का नाम यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम है......
यह शरीर के लिंफ नोड्स यानि (लसीका ग्रंथियां), खून और फेफड़ों पर हमला करता है....

वैसे तो यह पुरानी महामारी है, लेकिन आज भी इसके नये मामले सामने आने जारी हैं....
भारत में भी साल 1994 में ब्यूबोनिक प्लेग फ़ैला था | औऱ इस ब्यूबोनिक प्लेग की वज़ह से करीब 700 मामले सामने आए थे जिससे 52 लोगों की मौत हो गई थी |

जानकारों ने बताया जाता है कि छठी और आठवीं शताब्दी में इस बीमारी को 'प्लेग ऑफ जस्टिनियन' नाम से जाना जाता था | प्लेग महामारी से अब तक करीब ढाई से पांच करोड़ लोगों की मौत हुई हैं |
इसके बाद साल 1347 में जब ब्यूबोनिक प्लेग से यूरोप की एक तिहाई आबादी की मौत हो गई थी, तभी से इसे 'ब्लैक डेथ' नाम दिया गया था....
प्लेग की वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिक आज भी प्रयासरत हैं,

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