आगरा। शहर के एक प्रतिनिधि मंडल ने एडमिशन में चल रहे अनियमितताओं पर दयालबाग एजुकेशन इंस्टिट्यूट - डीम्ड यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार से मिलने की कोशिश की। हेल्प डेस्क काउंटर ने मिलने का रास्ता बताया, लेकिन यूनिवर्सिटी के सुरक्षा कर्मियों को जब मुलाकात करने का विषय बताया तो उन्होंने रजिस्ट्रार से बात की। उसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने मेडिकल टेस्ट का हवाला दे कर जाने नहीं दिया। पूछने पर बताया कि शरण हॉस्पिटल से पैसे दे कर मेडिकल सर्टिफ़िकेट बनवाना पड़ेगा, जबकि लोगों का आवागमन चल रहा था। विश्वविद्यालय के प्रशासन के मिलने के इनकार करने से यह प्रतीत होता है। दयालबाग डीम्ड विश्वविद्यालय प्रशासन एनएसयूआई से डर गया और अपनी गलती छुपाने के लिए हम लोगों से मुलाकात नही करना चाहता। प्रतिनिधि मंडल में सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के सचिव अनिल शर्मा, एनएसयूआई के राष्ट्रीय मीडिया सयोंजक अपूर्व शर्मा, छात्र और उनके अभिवावक थे। सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने इस मामले को आगरा के दोनों सांसदों को पत्र के माध्यम से अवगत भी करा दिया है। अनिल शर्मा ने बताया के सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिख कर अवगत कराया है कि आगरा में उत्तर प्रदेश के सब से ज्यादा अनुसूचित जाति के लोग हैं, जो उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आई.एस.सी. बोर्ड १२ कर रहें हैं। यह उनके अधिकार का भी हनन है। मांग की गयी है कि सारे बोर्ड के रिजल्ट आने तक प्रवेश क्रिया पर रोक लगाई जाये।
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