विवेक तन्खा ने कहा कि ऐसे आपात माहौल में सुप्रीम कोर्ट से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। लॉकडाउन जिस तरीके से हुआ वो ठीक नहीं था। लेकिन हमें सबसे ज्यादा उम्मीद थी कि लोगों के हितों के लिए सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मजदूरों के लिए कोर्ट ने बोलने में बहुत देर की। अगर वह जल्दी बोलता तो शायद हालात दूसरे होते।