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  • 6 years ago
दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा की अहम सुनवाई के दौरान जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले की अधिसूचना जारी करने पर ज़बरदस्त हंगामा हुआ. इस बीच जस्टिस एस. मुरलीधर ने गुरुवार की सुबह दिल्ली हाईकोर्ट में आख़िरी बार सुनवाई की और पंजाब हरियाणा कोर्ट के लिए निकल गए. मगर उनके पुराने फैसले बताते हैं कि सांप्रदायिक हिंसा जैसी चुनौती पर उनकी राय बेहद साफ थी. दिसंबर 2018 में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार उम्र क़ैद की सज़ा सुनाते हुए उन्होंने कहा था कि दंगों में ताक़तवर राजनीतिक लोगों ने अल्पसंख्यकों को टारगेट किया और उन्हें सरकारी मशीनरी का भी साथ मिला. उन्होंने यह भी कहा था कि हमारे क़ानून में सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लगाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है और इस ख़ामी पर तत्काल विचार किया जाना चाहिए. दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा ने जस्टिस एस मुरलीधर के फैसले को सच साबित किया है.
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