बाराबंकी जिले के रामनगर तहसील के अंतर्गत आने वाले पौराणिक लोधेश्वर महादेव मंदिर पर इन दिनों जलाभिषेक शुरू हो गया है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भक्तों का हुजूम धीरे-धीरे बाबा के दरबार में पहुंच रहा है। लोधेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक मान्यता है और यह महाभारत कालीन माना जाता है। कहा जाता है कि यहां पांडवों ने भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग स्वरूप की पूजा की थी। कानपुर के बिठूर से गंगाजल भरकर कावड़िए लगभग 110 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके महादेवा धाम तक पहुंचते हैं। इनकी इस यात्रा में यह मानते हैं कि इन्हें कोई छू नहीं सकता यह सीधा भगवान भोलेनाथ से संवाद स्थापित करते हैं और जल चढ़ाने के बाद किसी को छूते हैं इस पूरी यात्रा के दौरान कावड़ के साथ इनके पास इनकी रामप्यारी (छड़ी) होती है, जिससे यह अपना बचाव भी करते हैं ताकी इन्हें कोई छुए ना। सप्तमी और एकादशी का दिन विशेष महत्व रखता है। महाशिवरात्रि के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है।
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