दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर होती वायु प्रदूषण की स्थिति ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। वैसे तो जीने के लिए सांस लेना जरूरी होता है लेकिन हर सांस अगर गंभीर बीमारियों या मौत को दावत दे तो सवाल यही उठता है कि जिएं तो जिएं कैसे बिन साफ हवा के। प्रकृति ने मनुष्य को कुछ चीजें उपहार में दी हैं जैसे जल, धरती, हवा, सूर्य, चाँद, नदियां, पहाड़, हरे भरे वन और धरती के नीचे छिपी हुई खजिन सम्पदा। लेकिन विकास की अंधी दौड़ कह लें या मनुष्य के लालच की सीमा का नहीं होना, प्रकृति के सभी उपहारों का हमने बुरा हाल करके छोड़ दिया है।
Be the first to comment