वह वासना, आलंबन, परतंत्रता आदि के बंधनों से स्वच्छंद होता है। प्रारब्ध रूपी वायु के वेग से उसका शरीर उसी प्रकार गतिशील रहता है, जैसे वायुवेग से सुखा पत्ता।
प्रसंग: मनुष्य का उच्चतम संभावना क्या है? प्रकृति से एक कैसे हुआ जा सकता है? वह वासना, आलंबन, परतंत्रता आदि के बंधनों से स्वच्छंद होता है। प्रारब्ध रूपी वायु के वेग से उसका शरीर उसी प्रकार गतिशील रहता है, जैसे वायुवेग से सुखा पत्ता। अष्टावक्र किनका सम्बोधन कर रहे है? मनुष्य के लिए सभ्यता कितना आवश्यक है? सभ्यता कैसी होनी चाहिए?