संसारी सिर्फ़ अपने लिए रोता, संत चिंतित संसार के लिए होता || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१४ मई २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
कबिरा तेरी झोपड़ी, गलकटियन के पास |
जैसी करनी वैसी भरनी, तू क्यों भया उदास ||

प्रसंग:
क्या है कर्म और कर्मफल?
संत की सबसे गहरी पीड़ा क्या है?
संसारी को देख कर संत का हृदय क्यों भर आता है?