शब्दयोग सत्संग, ३३वां अद्वैत बोध शिविर २४ जून २०१७ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: बंधन क्या है? बंधनों को पहचानने में चूक कहाँ होती है? बंधन हमें अच्छे क्यों लगने लगते हैं? बंधन से मुक्ति कैसे पाये? हमारे बंधन क्या हैं? हमें बंधन प्रिय क्यों लगते हैं? हम अपने बंधनों को तोड़ क्यों नहीं पाते हैं? निस्वार्थ होने का क्या अर्थ है? स्वार्थ का क्या अर्थ है? स्वार्थी कहलाने पर दुःख क्यों होता है? संबंधों में स्वार्थ क्यों होता है? लोग मेरा इस्तेमाल क्यों कर ले जाते हैं? क्या हमारी उपयोगिता ही हमारा बंधन है