शब्दयोग सत्संग २४ अगस्त, २०१३ अद्वैत बोधस्थल,नॉएडा
प्रसंग: द्वैत क्या है? दृश्य और दृष्टा में क्या अंतर है? द्वैत के दोनों सिरों को कैसे पहचानें? द्वैत का होना क्यों आवश्यक है? अद्वैत से द्वैत क्यों पैदा हो जाता है? द्वैत को कैसे समझें? 'द्वैत के पीछे अद्वैत है,' ऐसा क्यों कहा जाता है? क्या अद्वैत में जीया जा सकता है? मन द्वैत में क्यों जीता है? मन को एकात्मक कैसे करें?