जान गये तो राम पाया, नहीं जाने तो बस माया || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
८ जून २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
माया दो प्रकार की, जो जाने सो खाए |
एक मिलावे राम से, दूजी नरक ले जाए ||

प्रसंग:
माया क्या है?
संत कबीर माया को दो प्रकार क्यों बता रहे हैं?
माया को मन से कैसे उतारे?
क्या सिर्फ आकर्षण ही माया है?