शब्दयोग सत्संग २१ दिसम्बर २०१४ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा: राम तजूं पर गुरू ना विसारुं। गुरू के सम हरि को ना निहारूं॥ (सहजोबाई)
प्रसंग: गुरु का क्या काम है? सहजोबाई ने गुरु को इतना क्यों महत्त्व दे रहे है? "राम तजूं पर गुरू ना विसारुं" ऐसा क्यों कह रहे है सहजोबाई? कबीर, नानक ने भी गुरु का पद गोविन्द से भी ऊपर क्यों बातये है?