इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए जितना चंदा आया उसमें से ज्यादातर बीजेपी को मिला. एक वोटर के नाते आप जानना चाहेंगे कि चंदा किसने दिया है? लेकिन आप ये नहीं जान सकते. क्योंकि कानून में इसकी व्यवस्था है. तो आप बताइए कि ये कानून हमारे चुनावों और हमारी राजनीति को पारदर्शी बनाता है या संदेह बढ़ाता है? जाहिर है संदेह बढ़ाता है.अब खुलासा हुआ है कि आरबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड लाने का विरोध किया था लेकिन सरकार नहीं मानी.