शब्दयोग सत्संग १५ फरवरी २०१५ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: स्त्री हो कर पुरुष से या पुरुष हो कर स्त्री से बात करने में हिचक क्यों होती है? सभी प्रकार के व्यक्तियों के लिए समान भावना कैसे लायें? क्या व्यक्ति-व्यक्ति में अंतर होता है? क्या लड़कियों से दूर रहना चाहिए? क्या लड़कियों या लड़कों से दूर रहना ब्रह्मचर्य की निशानी है?