Skip to playerSkip to main content
  • 6 years ago
आजादी के बाद से ही कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद की वजह बना हुआ है। पाकिस्तान के नेताओं के लिए तो यह 'राजनीतिक ऑक्सीजन' है, जिसके बिना उनकी राजनीति चल ही नहीं पाती। नरेन्द्र मोदी सरकार-2 ने जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर पाकिस्तान की दुखती रग को बुरी तरह दबा दिया। भारत सरकार के इस कदम से पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया, तिलमिला गया। पाक ने इस मुद्दे पर दुनियाभर में मुंह की खाई। इसे वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भी ले गया, लेकिन भारत ने उसके बेबुनियाद आरोपों का करारा जवाब दिया। आइए नजर डालते हैं कश्मीर के इतिहास पर...

1947 में भारत आजाद तो हुआ, लेकिन उसने विभाजन की पीड़ा भी सही। उस दौर में भारत छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था। जहां भारत में रियासतों के विलय का काम चल रहा था, जबकि वहां पाकिस्तान कबाइलियों को एकजुट कर रहा था। इधर जूनागढ़, कश्मीर, हैदराबाद और त्रावणकोर की रियासतें विलय में देर लगा रही थीं तो कुछ राजा अपना स्वतंत्र राज्य चाहते थे। इसके चलते इन राज्यों में अस्थिरता का माहौल था।

जूनागढ़ और हैदराबाद की समस्या से कहीं अधिक जटिल कश्मीर के विलय की समस्या थी। कश्मीर में मुसलमान बहुसंख्यक थे, लेकिन सिख, बौद्ध और हिन्दुओं की तादाद भी कम नहीं थी। कश्मीर की सीमा पाकिस्तान से लगने के कारण समस्या जटिल थी। अतः जिन्ना ने कश्मीर पर कब्जा करने की साजिश पर काम शुरू कर दिया। हालांकि भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो चुका था, जिसमें क्षेत्रों का निर्धारण भी हो चुका था, लेकिन जिन्ना ने परिस्थिति का लाभ उठाते हुए 22 अक्टूबर 1947 को कबाइली लुटेरों के भेष में पाकिस्तानी सेना को कश्मीर में भेज दिया।

#UNHRC #ShahMehmoodQureshi #KashmirIssue #IndoPakNews #JammuandKashmir #Article370 #India #Pakistan

Category

🗞
News
Be the first to comment
Add your comment

Recommended