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  • 6 years ago
झारखंड के कोल्हान में पर्व-त्योहार के अवसर पर मुर्गों की लडाई एक संस्कृति है और साथ ही मनोरंजन का साधन भी. इसी संस्कृति को चक्रधरपुर के एक कलाकार डॉ शुभंकर राय अपनी टेपेस्ट्री कला के माध्यम से पूरे विश्व से सामने लाए हैं जिसे ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में आयोजित प्रदर्शनी में जगह मिली है. प्रदर्शनी में कुल 45 देशों के आर्टस लगे हैं जिसमें भारत की एकमात्र प्रदर्शनी शुभंकर राय की मुर्गे की लड़ाई वाली कला है. डॉ शुभंकर राय ने अपनी टेपेस्ट्री कला में संदेश दिया कि आज विश्व की राजनीति हो या देश की, सब मुर्गे की लड़ाई की तरह है. इसके पहले भी डॉ शुभंकर की टेपेस्ट्री कला का 2013 और 2015 में चयन किया गया था. टेपेस्ट्री कला एक पेंटिंग ही है, इसे धागे पर बुना जाता है जिसमें वक्त काफी लगता है और खर्चीला भी होता है.

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