संगीत के साजोसामान के लिए ख्यात मेरठ की सुबह किसी भी आम शहर से अलग नहीं. नाश्ते की दुकानों पर सब्जी-पूरियां तलने की महक. जल्दबाजी में एक-दूसरे को धकियाते लोग. मंदिरों को जाते झुर्रीदार चेहरे. धूप-लोबान और मौसमी फूलों की खुशबू. दफ्तर की हबड़तबड़ में घरों की रुटीन किचकिच. सड़कों पर भीड़ बढ़ रही है. इसी भीड़ का हिस्सा है ये फेरीवाला. कपड़ों का गट्ठर साइकिल के पीछे रख आवाज लगा रहा है. सुबह की आपाधापी से फुर्सत पा चुकी औरतें उसे बुलाती हैं. वो चाव से कपड़े दिखाता हुए एक-एक कपड़े की खासियत बखानता है. उसे घेरकर खड़ी भीड़ को शायद ही अंदाजा हो कि ये फेरीवाला देश के चंद जल्लादों में से है.