आज प्रश्नकाल में सवाल मोदी के नेपाल दौरे का. सवाल ये है की आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने चार साल के कार्यकाल में तीसरी बार नेपाल जाने की जरूरत क्यों पड़ी. वो भी उस नेपाल में जो सालों से भारत का करीबी पड़ोसी देश रहा है.. लेकिन सच्चाई ये है कि बीते कुछ सालों में भारत और नेपाल के बीच के रिश्तों की मजबूती पहले के मुकाबले कमजोर पड़ी है. औऱ मसला सिर्फ रिश्ते कमजोर होने का नहीं बल्कि इसका भी है कि भारत का अहम पड़ोसी नेपाल चीन के करीब भी गया है. इस हद तक करीब कि नेपाल में आए भयानक भूकंप के वक्त ताइवान से मदद नहीं ली ताकि चीन नाराज़ न हो जाए और इस हद तक करीब की भारत को सार्वजनिक तौर पर खरी खोटी भी सुना दी थी. ऐसे में पीएम का ये दौरा बहुत अहम हो जाता है. और सवाल ये उठता है कि क्या मोदी अपनी इस नेपाल यात्रा से एक तीर से कई निशाने लगाने की कोशिश कर रहे हैं.. औऱ क्या वो इसमें कामयाब होंगे. इसे इस रिपोर्ट से समझिए.
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